वे दोनों हैरान हो कर मुझे चिंतित नजरों से देखने लगीं, फिर वे हलकी सी मुसकराईं, थोड़ा झेंपीं और जल्दी ही मेरे साथ पलंग पर वे दोनों भी हंसी के मारे लोटपोट हो रही थीं.
“दिन में फुरसत निकाल कर मैं शालिनी से मुलाकात करूंगी. उस के बाद ही इस समस्या का समाधान खोजेंगे हम सब मिल कर,” ऐसा वादा कर के मैं ने अपनी दोनों सहेलियों को विदा किया.दोपहर को रवि का फोन आया तो मैं ने उन्हें सारी बातें हंसते हुए बताईं.
“ये पटेल और गुर्जर बिलकुल ‘टू मच’ हैं वंदना. औफिस की हर लड़की ने इन्हें डांटा हुआ है और सब इन कार्टूनों का खूब मजाक उड़ाती हैं, पर ये सुधरने को तैयार नहीं,” रवि के इन वाक्यों ने मुझे गहरे सोचविचार में डाल दिया था.
शालिनी से हुई मेरी मुलाकात के बारे में सबकुछ जानने के लिए सविता और मधु सब कामधाम छोड़ कर अगले दिन सुबह ही मेरे घर आ पहुंचीं.
“वह शालिनी तुम दोनों के पतियों को जानबूझ कर बढ़ावा नहीं दे रही है. हंसतेमुसकराते हुए खुल कर बातें करना उस का स्टाइल है,” मैं ने अपना निर्णय उन्हें बता दिया.
“तुम ठीक कह रही हो, पर हमारी मुसीबत दूर करने के लिए कुछ करो भी यार,” मधु खीज उठी.
“उस के लिए मैं ने एक प्लान तैयार किया है,” मेरी यह बात सुनते ही वे दोनों कूद कर मेरी अगलबगल में आ बैठीं.
सस्पैंस बढ़ाने के लिए मैं कुछ देर खामोश रही और फिर अकड़ कर बोली, “मेरी योजना सुनने से पहले मुझे तुम दोनों आश्वासन दो कि मेरे कहे पर चलोगी?”
“बिलकुल चलेंगीं,” पहले सविता और उस के पीछेपीछे मधु ने मेरी शर्त फौरन मान ली.
“कोई सवालजवाब नहीं करोगी?”
“नहीं करेंगी.”
“जब तक परिणाम न निकले, तब तक किसी तरह के अविश्वास, डर या घबराहट का शिकार नहीं बनोगी?”
“तेरी योजना में कोई मर्डर होगा क्या…?” सविता ने जोर से चौंकने का अभिनय किया.
“आजकल दूसरी औरत वाली हर फिल्म में ‘मर्डर’ जरूर होता है. अगर हमारी समस्या भी ‘मर्डर’ से हल होती हो तो चलेगा,” मधु ने लापरवाही से पहले कंधे उचकाए, पर फिर अपने बेसिरपैर की बात पर हंस पड़ी.
“तुम दोनों फालतू की बातों में टाइम बहुत खराब करती हो,” मैं आंखें तरेर कर उन्हें रास्ते पर लाई और फिर दोनों को अपना प्लान समझाया.
“रास्ता खतरनाक दिखा रही हो तुम वंदना, पर तुम्हें प्लान के सफल होने का विश्वास है, तो हम दोनों तुम्हारे साथ हैं,” सविता के इस फैसले के समर्थन में मधु ने भी अपना सिर ऊपरनीचे हिलाया और मेरी योजना स्वीकृत हो गई.
हम ने उसी दिन से अपनी योजना पर अमल करना शुरू किया, तो पटेल और गुर्जर की मानो लौटरी निकल आई. उन दोनों को शालिनी से मिलाने व उस के साथ कुछ वक्त गुजारने का अवसर उपलब्ध कराने से हम तीनों बिलकुल नहीं चूक रही थीं.
गुर्जर और पटेल हमारे प्रयासों के कारण लगभग रोज ही शालिनी के दर्शन कर लेते. उन्हें अपने सपनों की रानी से जी भर कर बातें करने का मौका भी हम खूब देती थीं.
सविता ने छोलेभटूरे बनाना सीखने के लिए शालिनी को अपने घर आमंत्रित किया. पटेलजी भी रसोई में घुस आए, तो उन की पत्नी ने रत्तीभर एतराज नहीं किया. शालिनी तो कुछ देर बाद हमारे पास ड्राइंगरूम में आ बैठी और पटेलजी ने पूरी दिलचस्पी के साथ भटूरे बनाने सीखे.
हम तीनों ने नोट किया कि गुर्जर साहब यों बेचैन हो रहे थे मानो पेट में तेज मरोड़ उठ रही हो. अपनी माशूका को अपने रकीब के साथ अकेले में हंसतेबोलते देखना उन्हें जरा भी हजम नहीं हो रहा था.
गुर्जर बेचारे ने जबजब उठ कर रसोई की तरफ जाने की कोशिश की, मधु ने उन्हें माथे पर बल डाल कर रोक दिया. उन का मूड ऐसा खराब हुआ कि पेट भर कर छोलेभटूरों का स्वाद भी नहीं ले सके.
गुर्जर साहब की लौटरी 2 दिन बाद रविवार को निकली. शाम के समय शालिनी मार्केट से कुछ सामान खरीदने निकली, तो मधु गुर्जर साहब को ले कर उस के साथ हो ली. आधे रास्ते पहुंच कर उस ने गैस पर सब्जी चढ़ा आने का बहाना बनाया और अकेली ही वापस लौट आई.
गुर्जर शालिनी को डेढ़ घंटे बाजार में घुमा कर बड़े विजयी और प्रसन्न अंदाज में वापस लौटे और घर पर उन का स्वागत करने के लिए हम सभी मौजूद थे. पटेल अपने प्रतिस्पर्धी को ऐसे घूर रहे थे मानो कच्चा चबा जाएंगे.
“मैं आज डिनर नहीं करूंगी. समीर ने टिक्की, आइसक्रीम, फ्रूट चाट और बड़ी सी चौकलेट खिला कर मेरी हालत खराब कर दी है,” शालिनी के मुंह से गुर्जर साहब की जगह ‘समीर’ नाम सुन कर पटेलजी तो अंगारों पर लौटने लगे.
वैसे तो पटेल और गुर्जर आपस में अच्छे दोस्त हैं, पर शालिनी के मामले में दोनों ही बाजी मारने के लिए एकदूसरे की टांग खींचते रहते.
सविता और मधु की अनुपस्थिति में रवि और मैं उन्हें शालिनी का नाम ले कर अकसर छेड़ते. जरा सा चढ़ा देने पर वे खुल जाते और उन के बीच खूब नोकझोंक होती.
“अबे मोटे, तू नहीं जंचता उस रूपसी के साथ,” तैश में आ कर पटेल गुर्जर से उलझ जाते, “फिल्म की हीरोइन किसी बैंड मास्टर के नहीं, बल्कि मुझ जैसे लंबे, स्मार्ट हीरो के गले में प्रेम की माला डालती है.”
“अरे, ज्यादा इतरा मत मेरे लंबे बांस,” गुर्जर साहब चिढ़ कर जवाब देते, “वह मेरी दीवानी है. मेरे साथ होती है, तो उस का हंसतामुसकराता चेहरा फूल सा खिला रहता है. मेरे सामने तेरा कोई चांस नहीं है बच्चू.”
सविता और मधु की उपस्थिति में कभी रवि उन्हें छेड़ते, तो दोनों हंस कर बात को टालने की कोशिश करते. उन्हें डर लगता कि उन की पत्नियां ऐसी चर्चा के छिड़ते ही हमेशा की तरह उन के पीछे पड़ कर झगड़ने न लगें.
सविता और मधु में आए परिवर्तन को नोट करने में उन्हें कुछ दिन लगे. शालिनी के साथ उन के ‘फ्लर्ट’ करने को ले कर दोनों की पत्नियां कोई शोर नहीं मचाती हैं, ये देख कर दोनों कभीकभी काफी हैरान नजर आते.
जब पत्नियों ने कोई अंकुश नहीं लगाया, तो दोनों के हौसले बुलंद हो गए. एकदूसरे से बढ़चढ़ कर दोनों शालिनी पर लाइन मारते. अरुण की उपस्थिति का भी धीरेधीरे उन पर नकारात्मक असर होना बंद हो गया. उस के सामने ही मजाक की आड़ में दोनों शालिनी का दिल जीतने का बेहिचक प्रयास करने लगे थे.
योजना पर अमल करना शुरू करने के करीब 2 सप्ताह बाद वह दिन आ गया, जब दोनों बकरे हलाल होने को पूरी तरह से तैयार हो चुके थे.
रविवार की उस सुबह मैं ने गुर्जर और पटेल दोनों के फ्लैट में जा कर घबराहट और चिंता से कांपती आवाज में खबर दी, “जल्दी से शालिनी के घर आइए. उस ने नींद की गोलियां खा कर आत्महत्या करने की कोशिश की है. उस की हालत बड़ी नाजुक है.”
उन के किसी सवाल का जवाब देने को मैं रुकी नहीं थी. शालिनी के घर में मेरे वापस पहुंचने के करीब 5 मिनट बाद ही वे दोनों घबराई सी हालत में भागते से वहां साथसाथ पहुंचे.
“शालिनी बैडरूम में है. तुम दोनों अंदर जाओ और अरुण की उसे होश में लाने में सहायता करो,” मैं ने फटाफट सविता और मधु को वहां से हटाया. मुझे डर था कि दोनों में से कोई अचानक हंसना शुरू कर सारी योजना पर पानी न फेर दे.
रवि ने गंभीर स्वर में जवाब दिया, “डाक्टर को बुलाया, तो वह पुलिस को सूचना जरूर देगा.”
“क्यों खा ली इस ने नींद की गोलियां?” गुर्जर ने चिंतित लहजे में पूछा.
“इस सवाल का जवाब तो आप दोनों में से कोई एक ही दे सकता है,” मैं ने क्रोधित अंदाज में दोनों को घूरा.
वे कुछ प्रतिक्रिया जाहिर करते, उस से पहले ही शालिनी की उलटी करने का प्रयास करती ऊंची आवाज हम तक पहुंची.
“अगर इसे उलटी नहीं हुई, तो हालत बहुत बिगड़ जाएगी,” मेरे पति की बात सुन कर उन दोनों के चेहरे का रंग और ज्यादा उड़ गया.
“नींद की गोलियां खाने का कारण हम कैसे बता सकते हैं?” कई बार थूक सटकने के बाद गुर्जर के मुंह से बस इतना ही निकला.
“हमें इतने भयानक अंदाज में क्यों घूर रही हो तुम?” पटेल की आंखों में मुझे भय के भाव बिलकुल साफ नजर आ रहे थे.
“शालिनी ने ‘सुसाइड नोट’ छोड़ा है,” मैं ने यह जानकारी दे कर बम के जैसा विस्फोट किया.
“और वह नोट इस वक्त अरुण के पास है,” रवि ने बात को आगे बढ़ाया.
‘‘उस नोट में लिखा है… ‘अरुण, मेरे मन में पाप आ गया है. किसी और ने मेरे दिल में जगह बना ली है. मैं उसे चाह कर भी भूल नहीं पा रही हूं और तुम से विश्वासघात कर के जीना नहीं चाहती. मेरी भूल को माफ कर देना.’
“मुझे लगता है गुर्जर साहब, तुम ने शालिनी को अपने प्रेमजाल में फंसा कर आत्महत्या करने पर मजबूर किया है,” मैं ने गुर्जर पर सीधा आरोप लगाया, तो चक्कर आ जाने के कारण वे ‘धम्म’ से सोफे पर बैठ गए.
“नहीं वंदना, तुम गलतफहमी का शिकार हो,” रवि ने मेरे आरोप का खंडन किया, “मैं ने पटेल को कल ही शालिनी के घर में तब घुसते देखा था, जब अरुण घर में नहीं था. उस के आत्महत्या करने के प्रयास के लिए यह रोमियो जिम्मेदार है.”
“नहींनहीं, कल शाम को तो मैं सिर्फ कटोरी भर चीनी लेने के लिए यहां आया था,” पटेल ने कांपती आवाज में सफाई दी.
“हम से तुम्हारी पुरानी पहचान है, तो हमारे यहां चीनी मांगने क्यों नहीं आए?” पटेल से रवि के इस सवाल का कोई जवाब देते नहीं बना.
तभी बैडरूम से अरुण ने बाहर झांका और हमारी तरफ मुंह कर के भावुक लहजे में बोला, “अगर मेरी शालिनी को कुछ हो गया, तो मैं जेल में चक्कियां पिसवा दूंगा. खून हो जाएगा मेरे हाथों.”
“कुछ चाहिए क्या?” मैं उस की तरफ बढ़ गई, नहीं तो वे दोनों जरूर देख लेते कि हंसी रोकने को मुझे कितनी कोशिश करनी पड़ रही थी.
“एक जग पानी ले आओ,” आग्नेय दृष्टि से उन दोनों को घूरने के बाद अरुण अंदर चला गया और मैं भाग कर रसोई की तरफ चली गई.
पानी भरा जग ले कर मैं बैडरूम में घुसी तो देखा कि वे चारों तकिए में मुंह छिपा कर खूब हंस रहे थे. मैं ने भी एक तकिया उठाया और बड़ी देर से रुकी अपनी हंसी को बाहर आने की छूट दे दी.
“मधु, तुम्हारे पति की डर के मारे कहीं पतलून ही खराब न हो जाए,” अरुण की आंखों से ज्यादा हंसने के कारण आंसू बह रहे थे.
“और पटेल साहब की आवाज ही नहीं निकल रही है,” मैं ने उन्हें सूचना दी.