रोहन दोपहर के खाने के बाद औफिस में सुस्ता रहा था. औफिस का कामधंधा तो बढ़िया टनाटन चल रहा है, फिर भी सोच उन की पुत्री नेहा पर अटक गई.

नेहा 32  वर्ष की हो गई है. रोहन की सोच नेहा के विवाह की थी. इस उम्र तक पुत्री का विवाह हो जाना चाहिए.

हुआ कुछ यों, पहले नेहा ने विवाह के लिए इनकार कर दिया. जब तक उस की पढ़ाई समाप्त नहीं हो जाती, वह विवाह नहीं करेगी. नेहा पढ़ने में होशियार थी. बी कौम के साथ चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई कर रही थी. बी कौम फर्स्ट डिवीजन में पास कर ली. सीए इंटर भी पास हो गया. सीए फाइनल में अटक गई. नेहा ने ठान लिया जब तक सीए नहीं बन जाती, शादी नहीं करेगी. एक ग्रुप अटका हुआ था, आखिर 2 वर्ष बाद सफलता मिल ही गई. नेहा सीए बन गई और नौकरी भी करने लगी.

रोहन ने पत्नी रिया के माध्यम से नेहा से कहना आरंभ कर दिया. विवाह कर ले. नेहा ने अपनी पसंद से विवाह की बात की.

कालेज के दिनों में नेहा की मित्रता नयन से गाढ़ी हो गई थी. नयन के पिता का अपना व्यापार था. नेहा और नयन एकदूसरे के घर आतेजाते रहते थे. रिया को ऐसा महसूस हुआ, नेहा की पहली और अंतिम पसंद नयन ही है.

रोहन और रिया को नयन के साथ रिश्ते में कोई आपत्ति नहीं थी. उन्हें नेहा की हरी झंडी की प्रतीक्षा थी.

जहां नेहा ने फर्स्ट डिवीजन में बी कौम किया, नयन थर्ड डिवीजन में पास हुआ. उस ने भी सीए में दाखिला तो लिया लेकिन इंटर में लुढ़क गया और सीए की पढ़ाई छोड़ कर अपने पिता के व्यापार में सैट हो गया.

नेहा के सीए बनने पर रोहन और रिया ने एक शानदार पार्टी का आयोजन किया और अपने दिल की बात नयन के पिता को बता ही दी. नयन के पिता ने एक सप्ताह बाद बातचीत करने को कहा.

एक रैस्त्रां में रोहन और रिया नयन के मातापिता से मिले. कुछ औपचारिक कुशलक्षेम की बातें हुईं और फिर रोहन सीधे मुद्दे की बात पर आए.

“नेहा और नयन कालेजके दिनों से घनिष्ठ मित्र हैं और मेरी इच्छा है हम दोनों के विवाह के लिए सहमत हो जाएं.”

नयन के मातापिता का जवाब सुन कर रोहन का माथा घूम गया.

“माना दोनों बहुत वर्षों से दोस्त हैं. दोस्ती का यह मतलब नहीं होता, वे आपस में विवाह भी करें.”

“अच्छी दोस्ती का सीधा अर्थ होता है, वे एकदूसरे को अच्छी तरह समझते हैं. विवाह सफल रहेगा,” रोहन ने अपना मत रखा.

“देखिए, नयन बी कौम है और हमारे पारिवारिक व्यवसाय में रचबस गया है. उस के लिए कई व्यापारिक घरानों से रिश्ते आ रहे हैं. हम उन रिश्तों पर भी विचार कर रहे हैं.”

“मेरा भी अपना व्यापार है. दादा जी ने एक दुकान से काम आरंभ किया था, अब 2 फैक्ट्री हैं,” रोहन ने नयन के पिता को प्रभावित किया.

“वह तो ठीक है लेकिन हमें अधिक पढ़ीलिखी लड़की बहू के रूप में स्वीकार्य नहीं है.”

“शादी का पढ़ाई से क्या संबंध है. लड़का और लड़की जब एकदूसरे को पसंद करते हैं तब पढ़ाई आड़े नहीं आती.”

“हम आप की बात से सहमत नहीं हैं. आप की लड़की हमारे लड़के से अधिक पढ़ी है. स्वाभाविक रूप से वह अपनी पढ़ाई का रोब डाल कर लड़के से ऊपर रहेगी. नयन कुंठा में नहीं जीना चाहता. हमें सिर्फ बी कौम पास लड़की ही चाहिए, जो नयन की बराबरी करे लेकिन ऊपर रहने का रोब न डाले,” नयन के पिता ने दो टूक कह दिया.

रोहन ने बात संभालने का प्रयास किया, “नेहा और नयन एकसाथ घूम फिर रहे हैं. दोनों खुश हैं. मुझे तो कभी एहसास नहीं हुआ, नेहा को अपने सीए होने का घमंड हो या नयन को कभी ताना मारा हो. जब अच्छे मित्र पतिपत्नी बनते हैं तब उन का प्यार और निखरता है. नेहा सीए है, उस की पढ़ाई आप के काम आएगी. उस के ज्ञान और टैक्स की जानकारी से आप को फायदा होगा, आप के व्यापार को फायदा होगा.”

“फिर तो हमारे ऊपर भी रोब डालेगी, हमें कुछ नहीं आता. सब ज्ञान उसी को है. हम जिस सीए से काम कराते हैं वह हमें सलाम मारता है और झुक कर काम करता है. उस को मालूम है अधिक टूंटा की तो किसी और सीए से काम करवा लेंगे. अगर नेहा ने हमारा काम संभाला तब वह बहू नहीं, हमारा बाप बन जाएगी जो हम नहीं चाहते.”

रोहन नयन के पिता के तर्क सुन कर चुप हो गया. उस ने कभी सोचा नहीं था आज के आधुनिक युग में भी पुरानी सोच के लोग जी रहे हैं.

नेहा और नयन अच्छे मित्र तो थे लेकिन पतिपत्नी नहीं बन सके. जो सपने संजोए थे उन्होंने, धाराशाही हो गए.

कुछ दिनों बाद नयन की शादी का समाचार मिला. एक बार फिर रिया ने बात छेड़ी.

“तेरी कोई पसंद हो, तो बता. कोई औफिस सहपाठी या फिर कोई मित्र?”

नेहा ने कुछ समय मांगा. अभी नौकरी बदलनी है. कुछ समय बाद सोचेगी. लड़की सीए है, अच्छी नौकरी है. सैलरी बढ़िया है. रिश्तेदारों ने भी अपने लड़कों के लिए रिश्ते भेजने बंद नहीं किए थे.

रोहन औफिस में यही सोच रहा था. लड़की हो या लड़का, हर किसी को शारीरिक जरूरतों के लिए विवाह के बंधन में बंधना होता है. कुदरत के नियम पर समाज ने अपनी मोहर लगाई है. नयन की शादी हो गई. नेहा को कुछ सोचना चाहिए. जब उसे खुली छूट दी है, जिस लड़के को पसंद करेगी उसी से विवाह करा देंगे. इसी उधेड़बुन में रिया को फोन लगाया.

“मैं आज रात फाइनल बात करती हूं. आज भी मेरे पास 2 रिश्ते आए हैं, क्या जवाब दूं. कब तक मना करती रहूं. एक समय बाद तो रिश्ते आने भी बंद हो जाएंगे.”

रात को नेहा ने कह दिया, “नयन के बाद कोई लड़का उसके जीवन में नहीं है. आप के सुझाए लड़के पर वह विचार करेगी.”

रोहन और रिया को इस जवाब पर प्रसन्नता हुई. आए रिश्तों पर चर्चा होने लगी. कुछ लड़के नेहा की 32 वर्ष उम्र देखते ही पीछे हट गए, हमें अपने से बड़ी उम्र की लड़की नहीं चाहिए.

बिरादरी के होली मिलन पर रोहन, रिया और नेहा हंस-मिल कर सभी से बातें कर रहे थे. कुछ आंखें संभावित बहू और वर की तलाश में थीं.

“और रिया, अपने को खूब मेंटेन कर रखा है,” सुकन्या ने हायहेलो करते हुए पूछा.

“थैंकयू, और बता, क्या चल रहा है?”

“इस से तो मिलवा,” नेहा को देख कर पूछा.

“अब वर्षों बाद मिल रही है, भूल गई क्या. मेरा एक ही तो बच्चा है, नेहा.”

“हाऊ स्वीट, बड़ी प्यारी बच्ची है. शादी का कोई इरादा है क्या?”

“सीए बन गई है. गुरुग्राम में नौकरी कर रही है. कोई लड़का हो तो बताना,” रिया ने सुकन्या के कान में बात डाल दी.

“नेकी और पूछपूछ. वह सामने देख लड़का, जंचे तो बता. अभी मिलवा देती हूं.”

“कौन है?”

“मेरी भाभी का लड़का है. गुरुग्राम में सौफ्टवेयर इंजीनियर है.”

सुकन्या रिया का हाथ पकड़ कर अपनी भाभी से मिलवाने ले गई. लड़के का नाम यश था. रिया और यश को मिलवाया. खैर, मिलने का पहला अवसर था. बस, हायहेलो हुई.

रिया ने यह अवसर लपक लिया. सुकन्या और उस की भाभी से पूरी जानकारी प्राप्त कर ली.

नेहा खूबसूरत थी. यश भी हैंडसम था. पहली नजर में दोनों एकदूसरे के परिवार को पसंद आ गए. 2 दिनों बाद रविवार था. सुकन्या के घर मिलने का कार्यक्रम तय हुआ. रोहन का पहला अनुभव खट्टा रहा था, इसलिए उस ने एक रैस्त्रां में मिलने का कार्यक्रम तय किया.

रैस्त्रां में नेहा और यश अलग टेबल पर बैठ कर बातचीत करने लगे.

रोहन ने यश के परिवार को स्पष्ट कर दिया. नेहा सीए है और यश सिर्फ बी टैक है. देखा जाए तो नेहा की डिग्री बड़ी है. और दूसरी बात यह है कि नेहा की उम्र 32 वर्ष है और यश की आप ने 30 वर्ष बताई है. मुझे और रिया को कोई फर्क नहीं पड़ता. भारतीय समाज में आज भी कुछ पुरानी सोच के व्यक्ति हैं जो विवाह के समय लड़की का कम पढ़ा होना और छोटी उम्र का होना पसंद करते हैं.

यश के पिता ने रोहन का हाथ पकड़ा और एक अलग टेबल पर ले गए. रोहन को कुछ समझ नहीं आया. आखिर, एकांत में क्या कहना चाहते हैं.

“देखो, एक अंदर की बात बताता हूं. मैं इन बातों पर विश्वास नहीं रखता हूं.”

“यह तो आप का बड़प्पन है,” रोहन ने यश के पिता का शुक्रिया अदा किया कि वे दकियानूस नहीं हैं.

“पहले नेहा और यश अपनी पसंद बताएं. उन की पसंद मिल जाए तो आप को वह बात बताऊंगा जिस के लिए मैं आप को अलग टेबल पर लाया हूं.”

कुछ बातें हुईं. खाना हुआ और सभी अपने घर वापस आ गए. रोहन उस बात को समझने की कोशिश कर रहा था, यश के पिता क्या कहना चाहते थे, कहीं बेवकूफ तो नहीं बना रहे.

रात को नेहा और यश ने अपनी अपनी स्वीकृति प्रदान की. रोहन और रिया के चेहरे पर रौनक आ गई. अगले रविवार शगुन की थाली ले कर रोहन यश के घर पहुंचे. रिश्ता पक्का हुआ.

मुसकराते हुए यश के पिता रोहन को फिर एकांत में ले गए.

“वह एक बात रह गई जो उस दिन रैस्त्रां में बतानी थी.”

“जी, कहिए.”

“शादी के समय मैं सिर्फ 12वीं पास था. 33 फीसदी के साथ पास हुआ. कालेज में एडमिशन के लिए कम से कम 40 फीसदी नंबर चाहिए होते हैं. मैं तो स्टौकब्रोकर बन गया. यश की मां एमए पास है. जब मुझे मालूम हुआ, नेहा सीए है तब सब से बड़ी खुशी मुझे हुई. नेहा से कहना, नौकरी छोड़ कर मेरे औफिस में हाथ बंटाए.”

रोहन मुसकरा दिया. यश के पिता को गले लगाया. मुड़ कर देखा, नेहा और यश एकदूसरे कमरे में बतिया रहे थे. उन दोनों को डिग्री से अधिक एकदूसरे के विचारों से मतलब था.

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