“कौंग्रेच्यूलेशन रत्ना... वैलडन. तुम्हारी मेहनत रंग लाई. तुम्हारी पीएचडी को ‘ए ग्रेड’ मिला है. वाकई तुम ने बहुत मेहनत की है आंकड़े जुटाने में,” आज सागर, मध्य प्रदेश की केंद्रीय यूनिवर्सिटी से रत्ना को पीएचडी अवार्ड होने पर उस के गाइड प्रोफैसर मिश्रा ने शाबाशी दी.
“अरे वाह, रत्ना को देख कर लगता नहीं कि वह ऐसे चुनौतीपूर्ण विषय को ले कर बाजी मार जाएगी.”
“इसलिए कहते हैं कभी किसी की शारीरिक बनावट से उस को मत तोलो. तुम ने क्या सोचा सांवली, दुबलीपतली सी रत्ना भला कहां अंजाम दे पाएगी अपने प्रोजैक्ट को... तुम ने शायद वह कहावत नहीं सुनी...”
“कौन सी?”
“अरे वही, वह क्या कहते हैं कि ’मूर्ति लहान कर्म महान’... ऐसी ही है हमारी रत्ना.”
“भई, कदकाठी से कुछ नहीं होता... जंग जीती जाती है आत्मविश्वास से. देखते नहीं हमारी रत्ना में वह आत्मविश्वास कूटकूट कर भरा है,” दोस्तों में चर्चा का विषय बनी हुई है आज रत्ना.
“भई, रत्ना शुरू से ही होनहार है, राजनीति शास्त्र में प्रथम श्रेणी में एमए और फिर ‘ए ग्रेड’ में पीएचडी... भविष्य उज्ज्वल है तुम्हारा. हमारी तरफ से भी बहुत बधाई,” प्रोफैसर रजनी ने भी रत्ना की पीठ थपथपाते हुए कहा.
“थैंक्यू सर, थैंक्यू मैम, आप सभी का बहुत सपोर्ट रहा, तभी मैं यह कर पाई.”
आज जहां उस के कालेज साथी बहुत खुश थे, वहीं सभी प्रोफैसर रत्ना को बधाई दे रहे थे.
“वाओ... रत्ना बधाई, आज से तुम्हारे नाम के आगे डाक्टर लग गया है... डा. रत्ना प्रखर,” निशिकांत बोला.
“वैसे, क्या विषय था तुम्हारे शोध का?”
“निशि, मैं ने ‘प्रजातंत्र में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया की भूमिका’ विषय पर शोध किया है.”