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अंधविश्वास में जकड़ा नरेन अपने साथ स्वामीजी और उन के एक चेले को अपने घर ले तो आया पर मुसीबत उस की पत्नी रवीना को ?ोलनी पड़ी. ऐसी क्या बात हुई कि नरेन के मन में स्वामीजी के प्रति नफरत भर गई? ‘‘देवी, स्वामीजी को गरमागरम फुल्का चाहिए,’’ स्वामीजी के साथ आए चेले ने कहा. रोटी सेंकती रवीना का दिल किया, चिमटा उठा कर स्वामीजी के चेले के सिर पर दे मारे जिस की निगाहें वह कई बार अपने बदन पर फिसलते महसूस कर जाती थी. ‘‘ला रही हूं.’’ न चाहते हुए भी उस की आवाज में तल्खी घुल गई. तवे की रोटी पलट, गरम रोटी की प्लेट ले कर वह सीढ़ी चढ़ कर ऊपर चली गई.

आखिरी सीढ़ी पर खड़ी हो उस ने एकाएक पीछे मुड़ कर देखा तो स्वामीजी का चेला मुग्ध भाव से उसे ही देख रहा था. लेकिन जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो कोई क्या करे. वह अंदर स्वामीजी के कमरे में चली गई. स्वामीजी ने खाना खत्म कर दिया था और तृप्त भाव से बैठे थे. उसे देख कर वे भी लगभग उसी मुग्ध भाव से मुसकराए, ‘‘मेरा भोजन तो खत्म हो गया, देवी. फुल्का लाने में तनिक देर हो गई. अब नहीं खाया जाएगा.’’ ‘उफ्फ, सत्तर नौकर लगे हैं न यहां. स्वामीजी के तेवर तो देखो,’ फिर भी वह उन के सामने यह बोली, ‘‘एक फुल्का और ले लीजिए, स्वामीजी.’’

‘‘नहीं देवी, बस, तनिक हाथ धुलवा दें,’’ रवीना ने वाशरूम की तरफ नजर दौड़ाई. वाशबेसिन के इस जमाने में भी जब हाथ धुलाने के लिए कोई कोमलांगी उपलब्ध हो तो ‘कोई वो क्यों चाहे, ये न चाहे’ रवीना ने बिना कुछ कहे पानी का लोटा उठा लिया, ‘‘कहां हाथ धोएंगे स्वामीजी?’’ ‘‘यहीं, थाली में ही धुलवा दें.’’ स्वामीजी ने वहीं थाली में हाथ धोया और कुल्ला भी कर दिया. यह देख रवीना का दिल अंदर तक कसमसा गया पर किसी तरह छलकती थाली उठा कर वह नीचे ले आई. स्वामीजी के चेले को वहीं डाइनिंग टेबल पर खाना दे कर उस ने बैडरूम में घुस कर दरवाजा बंद कर दिया. अब कोई बुलाएगा भी तो वह जाएगी नहीं जब तक बच्चे स्कूल से आ नहीं जाते. 40 वर्षीया रवीना खूबसूरत, शिक्षित, स्मार्ट, उच्च पदस्थ अधिकारी की पत्नी, अंधविश्वास से कोसों दूर, आधुनिक विचारों से लबरेज महिला थी पर पति नरेन का क्या करे, जो उच्च शिक्षित व उच्च पद पर तो था पर घर से मिले संस्कारों की वजह से घोर अंधविश्वासी था. इस वजह से रवीना व नरेन में जबतब ठन जाती थी. इस बार नरेन जब कल टूर से लौटा तो स्वामीजी और उन का चेला भी साथ थे. उन्हें देख कर वह मन ही मन तनावग्रस्त हो गई. सम?ा गई, अब यह 1-2 दिन का किस्सा नहीं है.

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