जींस और ढीलेढाले टौप में लिपटी हुई उस दुबलीपतली सी लड़की को मैं शायद ही कभी पहचान पाती, मगर जिस अंदाज में उस ने मुझे ‘चिकलेट मैम’ कह कर बुलाया था, उस से मैं समझ गई थी कि यह मेरे दिल्ली के स्कूल की मेरी ही कोई छात्रा रही होगी.
गोराचिट्टा रंग, कंधों तक खुले बाल और बड़ीबड़ी आंखों वाला निहायत मासूम सा चेहरा… देखते ही देखते मैं उसे पहचान तो गई थी, मगर अचानक मैं उन के पैरों की तरफ देखने लगी थी. कभी पोलियोग्रस्त रहने वाला उस का एक पैर अब काफी ठीक लग रहा था. लेकिन पुराने मर्ज के कुछ लक्षण शायद अभी भी बाकी थे. और उसी से मैं ने उसे क्षणभर में ही पहचान लिया था. वह यकीनन सोनम वर्मा ही थी.
‘‘सोनम… तू यहां… पूना में…” मैं ने पलभर में ही उसे गले लगाते हुए कहा था.
‘‘हां, हां… बस मैम… मैं अब यहां पूना में ही हूं… यहां मुझे इंफोसिस कंपनी में जौब मिली है… अभी तो मेरी ट्रेनिंग चल रही है…’’
‘‘अरे वाह. वैरी गुड… बहुत अच्छी और बड़ी कंपनी है… तुम ने पढ़ाई कब खत्म की…’’
‘‘मै ने दिल्ली में ही अपनी इंजीनियरिंग पूरी की मम… और फिर मुझे कालेज कैंपस इंटरव्यू में ही यह जौब मिली…’’
‘‘वैरी गुड… मुझे बहुत खुशी हुई. कौंग्रेच्युलेशन… चलो, अब मेरे घर चलो… मैं घर ही जा रही हूं… घर चल कर खूब बात करेंगे…’’
‘‘नहीं मैम… अभी नहीं… अभी तो हम सब फ्रैंड्स पिक्चर देखने जा रहे हैं… आप मुझे अपना एड्रैस बताइए…
मैं कल… कल पक्का आऊंगी…”
मैं ने फिर उसे अपने घर का पता ठीक से समझा दिया था और मैं अपने घर आ गई थी…
घर आते ही कहने को तो मैं अपने रोज के कामधाम निबटा रही थी, मगर मन 10-15 साल पीछे जा कर दिल्ली पहुंच गया था.
मैं उन दिनों दिल्ली के एक अंगरेजी मीडियम स्कूल में सीनियर केजी की टीचर थी. मेरी क्लास में 60 बच्चे होने के कारण यह क्लास हम 2 टीचर मिल कर संभालते थे. एक मैं और दूसरी मेरी सहशिक्षिका मिसेस आभा…
आभा मुझ से 3 साल सीनियर थी और उसे अपने काम का अच्छाखासा अनुभव था. देखने में बहुत ही खूबसूरत और नाजुक सी होने के बावजूद वह बच्चों के मामले में काफी सख्त थी. उस के शिक्षाबद्ध स्वभाव की वजह से क्लास के अधिकतर बच्चे मुझ से ज्यादा घुलमिल जाते थे… ‘चिकलेट मैम’, ‘चिकलेट मैम’ कहते हुए मेरे आसपास मंडराते रहते.
लेकिन सोनम जाने क्यों आभा को ज्यादा पसंद करती थी. बच्चों की मानसिकता भी बड़ी अजीब होती है. जो उन्हें पसंद आ जाए, उसे ही वे पसंद करते हैं… और उस का कोई कारण नहीं होता. सोनम भी ऐसी ही थी.