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वृंदा मिश्रा

कुछ दिनों से पापा की स्थिति में काफी सुधार आ रहा है. मम्मी के जाने के बाद जो मुसकराहट उन के चेहरे से लापता हो गई थी, वह अब हलकीहलकी फिर ?ालकने लगी है. मैं इस बात से बहुत खुश हूं.’ यह पढ़ कर मु?ो भी काफी आनंद हुआ था. फिर इस के बाद कुछ महीनों तक उस का न ही कोई पत्र आया, न फोन और फिर उस के बाद जो पत्र आया, उसे पढ़ कर मैं सम?ा नहीं पा रही थी कि मैं खुश हूं या अपनी दोस्त के लिए व्यथित, ‘प्रियल, पापा आज अपनी प्रेमिका को घर लाए थे.

वे पापा की सैक्रेटरी हैं. उन का नाम है जिया मल्होत्रा. उन्होंने अभी कुछ महीने पहले ही औफिस जौइन किया था और अपने मधुर व्यवहार से पापा के टूटते हुए मन को बांध लिया था. ‘उम्र में वे पापा से काफी छोटी हैं पर शायद जैसा लोग कहते हैं, प्यार की कोई उम्र नहीं होती. वे पापा की खुशी का कारण हैं और मु?ा से भी वे अच्छी तरह से पेश आती हैं. बहुत अच्छी हैं जिया दीदी. हां, मैं उन्हें दीदी कहती हूं, मां नहीं, क्योंकि मां तो एक ही होती न? पर पता है दीदी को इस बात का जरा भी बुरा नहीं लगा. अब अगले महीने पापा और दीदी की शादी है. हां, सुन कर थोड़ा अटपटा लगता है कि मैं अपने पापा की पुनर्विवाह की बात से खुश हूं पर सच में दीदी बहुत ही प्यारी हैं. ‘पापा ने इस रिश्ते की इजाजत मु?ा से मांगी.

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