Best Hindi Story : सबकुछ कितना अच्छा चल रहा था. लोगों की नजरों में हमारी फैमिली परफैक्ट थी. आज उन्हीं लोगों की नजरों में हमारे लिए तिरस्कार था. ऐसा क्या हो गया था?
रिमी 22 साल की हो गई थी. उस की वर्षगांठ पर देने के लिए सुर्ख लाल रंग की जयपुरी प्रिंट की एक चूनर खरीदी थी मैं ने. मुझे पता था कि रिमी को रंगबिरंगे दुपट्टे बहुत पसंद थे और वह इन दुपट्टों को अपने एक कलैक्शन में बहुत सहेज कर रखती थी.
आज सब दोस्तों के बीच होटल प्रेम विलास में रिमी ने केक काटा तो सब से पहला टुकड़ा मुझे खिलाया. वैसे भी, सभी दोस्तों के बीच मेरे और रिमी के रिश्ते की बात छिपी नहीं थी और हम इसे छिपाना भी नहीं चाहते थे. मैं बीकौम के द्वितीय वर्ष में था और थर्ड ईयर के पूरा होते ही कोई जौब तलाश कर रिमी के घरवालों के सामने शादी का प्रस्ताव रख देने का विचार था मेरा.
रिमी केक काटने के बाद गिफ्ट खोल कर देखने लगी और मेरा लाया हुआ दुपट्टा देख व उसे ओढ़ते हुए बोली, ‘‘अरे वाह, यह तो बिलकुल किसी दुलहन के लाल जोड़े के दुपट्टे जैसा है.’’
‘‘हां, दुलहन ही तो हो तुम मेरी,’’ मैं ने मुसकराते हुए कहा.
शरमा कर रह गई थी रिमी.
मेरे घर वालों को भी एक ऐसी बहू की तलाश थी जो सिर्फ साड़ी पहन कर घर में न बैठे बल्कि बाजार, हाट और बैंक आदि का काम भी बखूबी देख सके और मौका पड़ने पर अपनी व परिवार की सुरक्षा भी कर सके.
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