क्रिकेट को भद्रजनों का खेल कहा जाता है. इस के बावजूद इस खेल में कभीकभार खिलाड़ियों में आपस में उलझ जाने, हाथापाई करने या गालीगलौच करने की खबरें भी आती ही रहती हैं, फिर चाहे वह इंटनेशनल लेवल का कोई मैच हो या क्लब लेवल पर खेला जाने वाला कोई मैच ही सही.
कुछ मामलों में तो बात इतनी बिगड़ जाती है कि खिलाड़ी गलीमहल्ले के बदमाश लड़कों की तरह मैदान पर खूनखराबा तक कर देते हैं. अभी हाल ही में रविवार, 17 फरवरी को न्यूजीलैंड में एक क्लब मैच के दौरान एक अंपायर के साथ ही गलत बरताव किया गया.
दरअसल, होरोवहेनुआ कपिती के क्लब पारापारौमु और वेरारोआ के बीच मुकाबले के दौरान अंपायर के एक फैसले पर विरोध जताया तो उन के साथ ही मारपीट की गई. इस हमले अंपायर की नाक टूट गई. हालांकि, बाद में आपसी रजामंदी से मामला सुलझा लिया गया. लेकिन यह चिंता की बात है कि क्रिकेट में इस तरह मुक्केबाजी से मामले निबटाने की कोशिश होती है.
इसी तरह दिल्ली की अंडर 23 टीम के सिलेक्शन ट्रायल के दौरान हाल ही में सिलेक्टर अमित भंडारी पर हमला किया गया. इस से अमित भंडारी को सिर और कान में गंभीर चोटें आईं.
अंडर 23 के मैनेजर शंकर सैनी ने इस मामले में बताया, ”मैं टेंट के भीतर एक साथी के साथ खाना खा रहा था. भंडारी और दूसरे चयनकर्ता सीनियर टीम के कोच मिथुन मन्हास के साथ ट्रायल मैच देख रहे थे. 2 लोग आए और भंडारी के पास गए. उन की भंडारी से तीखी बहस हुई और वे तुरंत चले गए. इस के बाद 15 लोग हॉकी स्टिक, लोहे की छड़ें और साइकिल की चेन ले कर आए.
”ट्रायल में भाग ले रहे लड़के और हम भंडारी को बचाने दौड़े. उन्होंने हम को भी धमकी दी और कहा कि इस में न पड़ो, वरना गोली मार देंगे. इस के बाद उन्होंने भंडारी को हॉकी स्टिक और छड़ों से मारा.”इस घटना का दुखद पहलू यह था कि सिलेक्शन में रिजेक्ट होने वाले खिलाड़ी ने अपने कुछ साथियों की मदद से इस हरकत को अंजाम दिया. बाद में उस खिलाड़ी पर लाइफ बैन लगा दिया गया.
यह ठीक है कि उस खिलाड़ी ने बहुत बड़ी गलती और उस का नतीजा भी भुगत लिया लेकिन क्या गारंटी है कि ऐसी घटना फिर नहीं होगी?सच तो यह है कि जब से क्रिकेट में बेतहाशा पैसा आया है तब से इस में कैरियर बनाने वालों की बाढ़ सी आ गई है. अगर इंटरनेशनल लेवल पर चांस न भी मिले तो कोई बात नहीं, बस किसी तरह आईपीएल में ही नंबर आ जाए तो वारेन्यारे हो जाएंगे. और अगर कहीं वहां अच्छा प्रदर्शन कर दिया तो पैसों की बरसात हो जाएगी.
आईपीएल में जब किसी अनजान खिलाड़ी को करोड़ों में बोली लगा कर खरीदा जाता है तो छोटे क्लबों में खेलने वाले औसत खिलाड़ी भी ग्लैमर के समंदर में गोता लगाने के सपने देखने लगते हैं. अपने इलाके के सचिन तेंदुलकर कहलाने वाले ऐसे खिलाड़ी जब शुरू में ही सिलेक्टरों द्वारा नकार दिए जाते हैं तो कभीकभार इस तरह की वारदातें भी हो जाती हैं.
इस के अलावा आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सभी जल्दी से जल्दी रिजल्ट की चाह रखते हैं. तभी तो टेस्ट क्रिकेट से ज्यादा मशहूर अब ट्वेंटी20 हो गया है. छोटे लेवल पर हर औसत खिलाड़ी खुद को महारथी समझता है. हो सकता है कि वह एक हद तक अच्छा भी खेलता हो पर इंटरनेशनल लेवल पर तो क्रीम ही छांटी जाती है. लंबी रेस का घोडा तो वही बनता है जिस में खेल के हुनर के साथ सब्र भी होता है. साथ है, वह खेल की तकनीकियों से भी वाकिफ होता है. बहुत से ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने काफी जद्दोजेहद के बाद इस फील्ड में नाम कमाया है. अजय शर्मा और वसीम जाफर रणजी के लेवल तक क्रिकेट के बादशाह रहे पर इंटरनेशनल लेवल पर वे ज्यादा नाम नहीं कमा पाए. हालांकि उन्हें मौका भी मिला था.
कहने का मतलब यह है कि क्रिकेट के मैदान को मुक्केबाजी का रिंग बनाने से समस्या का हल नहीं होगा. अगर खिलाड़ियों को किसी बात से दिक्कत है तो वे प्रॉपर चैनल से उस का समाधान निकालने की ही कोशिश करे.