24 सालों तक भारतीय दर्शकों के लिए क्रिकेट का दूसरा नाम रहे सचिन ने खुलासा किया है कि वह 1999 में ऑस्ट्रिलिया में हुई सीरीज को अपने करियर की सबसे मुश्किल सीरीज मानते हैं.
मुंबई में एक कार्यक्रम में तेंदुलकर ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं कि सबसे कड़ी सीरीज 1999 की थी जब हम ऑस्ट्रेलिया गए थे और उनकी टीम बेजोड़ थी. उनकी एकादश में सात से आठ मैच विजेता थे और बाकी भी काफी अच्छे थे. यह ऐसी टीम थी जिसने विश्व क्रिकेट में कई वर्षों तक दबदबा बनाया. उनकी खेलने की अपनी शैली थी, काफी आक्रामक.’
आपको बता दें कि स्टीव वॉ की टीम ने तीन मैचों की इस सीरीज में पूरी तरह से दबदबा बनाते हुए भारत का 3-0 से वाइटवॉश किया था.
सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उन्हें अच्छी तरह से याद है कि मेलबर्न, एडिलेड और सिडनी में ऑस्ट्रेलिया ने जिस तरह का क्रिकेट खेला उससे पूरी दुनिया प्रभावित हुई थी. सभी इसी तरह का क्रिकेट खेलना चाहते थे. हालांकि हम सभी अपने खेलने के तरीके का सम्मान करते हैं लेकिन सभी को लगता था कि उन्होंने जो क्रिकेट खेला वह विशेष था. तेंदुलकर ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी लगातार ऐसा ऐसा प्रदर्शन करने में सफल रहे. वह विश्व स्तरीय टीम थी.
इस गेंदबाज का सामना करने से घबराते थे सचिन
तेंदुलकर ने रहस्योद्घाटन किया कि उन्हें दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोन्ये का सामना करना पसंद नहीं था. उन्होंने कहा, ‘1989 में जब से मैंने खेलना शुरू किया उस वक्त कम से कम 25 विश्व स्तरीय गेंदबाज मौजूद थे. लेकिन जिनके खिलाफ बल्लेबाजी का मैंने लुत्फ नहीं उठाया वह हैंसी क्रोन्ये थे. किसी न किसी कारण से मैं आउट हो जाता था और मुझे महसूस होने लगा था कि मैं गेंदबाजी छोर पर खड़ा ही अच्छा हूं. पिच पर जो भी दूसरा बल्लेबाज होता था मैं उसे कहता था कि हैंसी की गेंद पर स्ट्राइक तुम रखो.’
हैंसी ने कितने बार किया आउट
आपको बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोन्ये ने सचिन तेंदुलकर को 32 वनडे मैचों में सिर्फ तीन बार आउट किया था. लेकिन 11 टेस्ट मैचों में क्रोन्ये ने सचिन को 5 बार पवेलियन की राह दिखाई थी.
हैंसी क्रोन्ये एक मीडियम पेसर थे और वो अपने मजबूत कंधों की वजह से गेंद को बाउंस कराने के साथ-साथ उसे तेजी भी प्रदान करते थे, जिसकी वजह से उन्हें खेलना मुश्किल हो जाता था.
टेस्ट है फेवरेट फॉर्मेट
सचिन तेंदुलकर ने कहा कि अगर उन्हें टेस्ट और एकदिवसीय की तुलना करनी पड़े तो उन्हें टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन करने पर ज्यादा संतोष मिलता है. शायद यही वजह है कि सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट से सबसे आखिर में सन्यास लिया था. बताते चलें कि सचिन ने अपने करियर में केवल एक टी-20 इंटरनेशनल मैच खेला है.