फिरकी के जादूगर कहे जाने वाले पूर्व क्रिकेटर अनिल कुंबले को बीसीसीआई ने एक साल के लिए मुख्य कोच के रूप में टीम इंडिया का जिम्मा सौंपा है. कुंबले को ऐसे समय पर कोच बनाया गया है जब टीम इंडिया को कुछ दिनों पश्चात वैस्टइंडीज के दौरे पर जाना है. जहां मेजबान देश के साथ 4 टैस्ट मैच खेलने हैं. उस के बाद घरेलू मैदानों में टीम इंडिया इंगलैंड, आस्ट्रेलिया, बंगलादेश व न्यूजीलैंड के साथ कुल 13 टैस्ट मैच और 8 एकदिवसीय मैच खेलेगी. इसी बीच टीम इंडिया को ट्वैंटीट्वैंटी मैच भी खेलने हैं.
इस का मतलब साफ है कि अनिल कुंबले के लिए कम चुनौती नहीं है. टीम इंडिया वैसे भी विदेशी पिच पर ढेर हो जाती है. अनिल कुंबले के लिए सब से बड़ी चुनौती तो विदेशी धरती ही है क्योंकि चाहे बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी, विदेशी धरती पर टीम इंडिया की हवा निकल जाती है.
चूंकि कुंबले स्वयं गेंदबाज रहे हैं इसलिए गेंदबाजी पर उन्हें विशेष ध्यान देना होगा. अगर टैस्ट मैचों में वैस्टइंडीज के सामने टीम इंडिया अच्छा परफौर्म नहीं कर पाई तो सारा ठीकरा अनिल कुंबले पर फूटने वाला है और अगर टीम इंडिया जीत कर लौटती है तो कम से कम कुंबले से कुढ़ने वाले खिलाडि़यों की बोलती तो बंद हो ही जाएगी. रही बात घरेलू मैदानों की, तो टीम इंडिया यहां तो शेर है पर आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व इंगलैंड जैसी मजबूत टीम को कम आंकना महंगा पड़ सकता है. हालांकि इस मामले में कुंबले माहिर हैं. कुंबले को प्रशासन का अनुभव भी है. फिर भी शांत रहने वाले कुंबले को आक्रामक बनना होगा, तभी वे इन चुनौतियों का सामना कर पाएंगे.
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