देश हो या विदेश हर व्यक्ति जो फुटबौल मैच देखता है वह मेसी का दीवाना है. लेकिन विश्व फुटबौल के सब से चमकते सितारे अर्जेंटीना के 29 वर्षीय लियोनेल मेसी ने कोपा अमेरिका कप के फाइनल में चिली के हाथों हार के बाद अंतर्राष्ट्रीय फुटबौल को अलविदा कह दिया. इस फैसले से फुटबौल प्रेमियों को धक्का तो लगा ही है, साथ ही दुनियाभर के स्पौंसर्स भी सकते में हैं क्योंकि स्पौंसर्स के चहेते मेसी जैसे खिलाड़ी जब इस तरह के फैसले लेते हैं तो कोई न कोई बड़ी वजह होती है पर अब उन स्पौंसरों का क्या होगा जो मेसी के नाम पर अरबों का कारोबार करते हैं. वर्ष 2018 में रूस में होने वाले विश्वकप में मेसी की गैरमौजूदगी से आयोजकों और प्रायोजकों के सामने सवाल उठ खड़े हुए हैं.
पर एक बात तो तय है कि मेसी हमेशा से खेल जगत में आने वाली पीढि़यों के लिए प्रेरक रहे हैं और रहेंगे. इस की एक बड़ी वजह है उन का कारनामा, उन के पैरों का जादू, मैदान में उन की फुरती, उन का कद. अर्जेंटीना के लिए मेसी ने सब से अधिक 55 गोल किए हैं. वे कई बार दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी का खिताब जीत चुके हैं पर बार्सिलोना को यूरोप की नंबर वन टीम बनाने वाले मेसी को यह दुख हमेशा सालता रहेगा कि वे अपने देश के लिए विश्व कप नहीं ला पाए.
मेसी ने कहा कि मेरे लिए राष्ट्रीय टीम का सफर पूरा हो गया. मैं जो कर सकता हूं वह मैं ने किया पर 4 बार फाइनल में पहुंचने के बाद भी हम चैंपियन नहीं बन पाए. मेसी ने ऐसा फैसला तब लिया जब वे अपने कैरियर की बुलंदियों पर थे. उन्हें शायद यह एहसास था कि अब वे अपनी टीम को चैंपियन नहीं बना सकते.
वर्ष 2014 के बाद अर्जेंटीना को तीसरी बार फाइनल मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2014 में विश्व कप फाइनल में जरमनी ने अर्जेंटीना को 1-0 से पराजित किया. वर्ष 2015 और 2016 में मेसी के रहते हुए अर्जेंटीना को हार का मुंह देखना पड़ा. शानदार कैरियर और 5 बार विश्व के सर्वश्रेष्ठ फुटबौलर का खिताब जीतने के बावजूद मेसी को कई बार आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा. मेसी को हमेशा डिएगो माराडोना की याद दिलाई जाती थी क्योंकि डिएगो माराडोना ने 1986 का विश्व कप अपने दम पर जिताया था. मेसी के संन्यास के पीछे चाहे जो भी कारण रहा हो लेकिन इस महान फुटबौलर से युवा खिलाडि़यों को सीखने की जरूरत है क्योंकि खेल के मैदान में जीत बड़ी बात है लेकिन न जीतने पर अपने को जिम्मेदार मानना उस से भी बड़ी बात है.