क्रिकेटर मोहम्मद अजहरूद्दीन अपने समय के शानदार बल्लेबाज और बेहतरीन कप्तान रहे हैं और आजकल वे दोबारा सुर्ख़ियों में हैं. दरअसल, वैस्टइंडीज के खिलाफ हुए पहले ट्वेंटी20 मैच से पहले इडेन गार्डन्स स्टेडियम में उन्हें एक रस्मी घंटी बजाने की इजाजत देने को ले कर भारत के ओपनिंग बल्लेबाज रह चुके गौतम गंभीर नाराज हो गए. उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड, प्रशासकों की समिति और बंगाल क्रिकेट संघ की सोशल मीडिया पर आलोचना करते हुए ट्विटर पर लिखा, 'भारत ने भले ही ईडन गार्डन्स स्टेडियम में हुए मैच में जीत हासिल की हो लेकिन मुझे खेद है कि बीसीसीआई, सीओए और सीएबी की हार हुई है. ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में बरदाश्त नहीं करने की नीति रविवार को छुट्टी पर थी. मैं जानता हूं कि उन्हें (मोहम्मद अजहरूद्दीन को) एचसीए का चुनाव लड़ने की इजाजत दी गई थी लेकिन यह तो सदमा पहुंचाने वाला है. घंटी बज रही है, उम्मीद करता हूं कि शक्तियां सुन रही होंगी.'

गौतम गंभीर की नाराजगी की वजह यह है कि साल 2000 में मैच फिक्सिंग विवाद में मोहम्मद अजहरूद्दीन का नाम सामने आया था और उन पर बीसीसीआई ने आजीवन प्रतिबंध लगाया था. हालांकि, इस फैसले को अजहर ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और साल 2012 में कोर्ट का फैसला उन के पक्ष में रहा था.

पर असली खबर यह है कि गौतम गंभीर के गुस्से और इस विवाद को ज्यादा तूल न देने वाले  मोहम्मद अजहरूद्दीन एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं.

कोलकाता के बर्धवान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोहम्मद अजहरूद्दीन ने कहा कि अगर बंगाल के लोगों का आशीर्वाद रहा तो वे चुनाव जरूर लड़ेंगे. इस बार उन की अपने गृह राज्य तेलंगाना की सिकंदराबाद सीट से चुनाव लड़ने की चाहत है. खबर है कि उन्हें इस सीट से टिकट भी मिल सकता है. लिहाजा, उन्होंने इस के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं और कांग्रेस आलाकमान को बता दिया है.

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