खेल मंत्रालय की तरफ से द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए जारी कोचों की सूची में नाम न होने के कारण भारतीय तीरंदाजी कोच जीवनजोत सिंह तेजा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि जब सरकार व खेल मंत्रालय की ओर से अच्छे कोच को अवॉर्ड न देकर दूसरे कोच को अवॉर्ड दिया जा रहा है, तो काबिल कोच क्यों अपमान सहन करें. इसी वजह से वह भारतीय आर्चरी कंपाउंड टीम के कोच पद छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कमेटी के ओर से गठित टीम कोचों के अंक के आधार पर अवॉर्ड को तय करती है और इस बार मेरे अंक 80 से अधिक हैं, बावजूद मेरे से कम अंक वाले कोच को द्रोणाचार्य अवॉर्ड दिया जा रहा है. इसका विरोध करते हुए कोच तेजा ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका भी दायर कर दी है, जिसकी सुनवाई सोमवार को होगी. उन्होंने इसकी लिखित शिकायत प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी भेज दी है.
तीरंदाजी कोच जीवनजोत सिंह तेजा ने कहा कि वह वह अपने खिलाड़ियों को अलग से कोचिंग देते रहेंगे, लेकिन टीम के साथ अब कभी नहीं करेंगे. इसके साथ ही उनके पिता ने कहा कि बेटे टीम को बेहतरीन ट्रेनिंग देने के लिए घर परिवार तक का त्याग कर दिया है, लेकिन सराहना की बारी आती है तो सरकार व मंत्रालय दूसरों को चुन लेता है. जीवनजोत ने बताया कि भारत की महिला टीम कभी नंबर-1 रैंकिंग पर नहीं आई थी, लेकिन जब से मैंने कोचिंग का पदभार संभाला है, टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कई खिताब जीते.
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