झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 300 किलोमीटर दूर दुमका में एक रात को शर्मनाक घटना घटी. 28 साल की एक स्पैनिश महिला के साथ गैंगरेप किया गया. उस महिला ने अपने पार्टनर के साथ 5 साल पहले मोटरसाइकिल पर दुनिया घूमने का प्लान किया था. लगभग 36 देश और एक लाख 70 हजार किलोमीटर का सफर तय करने के बाद वे लोग झारखंड में आए थे और यहां से नेपाल जाने वाले थे. मगर किस को पता था कि यहां आने के बाद उन की जिंदगी बदल जाएगी. उस रात वह अपने पार्टनर के साथ रात के वक्त मेकशिफ्ट टैंकट में रुकी हुई थी और तब महिला के साथ 1 नहीं, 2 नहीं, बल्कि 7 लोगों ने गैंगरेप किया.

इस बात की जानकारी स्पैनिश महिला ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर के दी और कहा कि हमारे साथ कुछ ऐसा हुआ है जो हम नहीं चाहेंगे कि किसी और के साथ हो. 7 लोगों ने मेरा रेप किया. तब लोग इस घटना से अवगत हुए.

पीड़ित महिला ने एफआईआर में बताया है कि सातों आरोपी उस पर वारदात के दौरान लगातार लात-मुक्के बरसाते रहे. इतना ही नहीं, पीड़ित विदेशी महिला ने बताया कि रेप के आरोपियों ने उस के पति के हाथों को भी बांध दिया और उसे भी पीटते रहे.

फिलहाल 7 आरोपियों में से 3 को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया है. साथ ही, पीड़िता के पति को मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपए दिए गए हैं.

दुमका में स्पैनिश महिला के साथ हुए गैंगरेप का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और गैंगरेप की वारदात सामने आ गई. यह मामला भी झारखंड से जुड़ा है. यहां के पलामू इलाके में छत्तीसगढ़ से आई एक महिला कलाकार का गैंगरेप हुआ.

पुलिस ने इस केस में 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जानकारी के मुताबिक नशीली दवा खिला कर गाड़ी में मौजूद लोगों ने ही सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया. वे सभी और्केस्ट्रा कलाकार थे और महिला भी उन के साथ ही थी. दरअसल पीड़ित कलाकार छत्तीसगढ़ की रहने वाली है, और्केस्ट्रा ग्रुप के साथ कार्यक्रम के लिए हुसैनाबाद पहुंची थी. लौटने के दौरान विश्रामपुर थाना क्षेत्र में पीड़िता को 4 युवकों ने नशीला पदार्थ खिला कर उस के साथ दुष्कर्म किया और उस के बाद पीड़िता को लावारिस हालत में सड़क किनारे छोड़ दिया. स्थानीय ग्रामीणों ने घायल युवती को अस्पताल पहुंचाया. पुलिस ने इस केस में 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

विदेशी महिलाओं से जुड़ा यह मामला नया नहीं है. इस से पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं. इस से पहले 23 सितंबर, 2023 को झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में एक युवती के साथ उस समय गैंग रेप किया गया जब वह अपने मंगेतर के साथ बाहर निकली थी. 22 साल की युवती के साथ बलात्कार करने के बाद बदमाशों का ग्रुप उसे एक सुनसान जगह पर छोड़ कर व उस का बैग और मोबाइल ले कर भाग गया. मंगेतर ने मौके से भाग कर पुलिस को फोन कर के सूचना दी थी.

अभी हाल ही में केरल में 5 लोगों के एक गिरोह ने एक विदेशी महिला के साथ दुर्व्यवहार किया था. उन्होंने उस के साथ बदसलूकी की और महिला का रिजौर्ट तक पीछा किया. यह एक बड़ा सवाल है कि देश में महिलाएं और लड़कियां आखिर कैसे सुरक्षित रहेंगी जबकि देश की ही नहीं, बल्कि विदेशी महिलाओं के साथ भी बदसलूकी की जा रही है. ऐसी घटनाएं आएदिन दोहराई जाती हैं.

आज फिर से लोग इस के बारे में बात कर रहे हैं. लोग बहस कर रहे हैं, नेतागण एकदूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं. महिला सुरक्षा के मुद्दे पर फिर से वादे किए जा रहे हैं. दफ्तर से अकेली आती लड़की फिर से डर रही है. इस के बाद क्या होगा? इस के बाद फिर से सब भुला दिया जाएगा. फिर अपने आसपास की कोई लड़की किसी की हवस और दरिंदगी का शिकार बन जाएगी तो फिर से बहस और दोषारोपण का दौर शुरू हो जाएगा. मगर सवाल वहीं रह जाएगा कि आखिर महिलाएं सुरक्षित कब हो पाएंगी?

देश की सरकार तो एक तरफ महिला सशक्तीकरण का दावा करती आ रही है लेकिन नतीजा कुछ भी निकलता नहीं दिखता है. नैशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 2021 में 1 जनवरी से 15 जुलाई के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराध के 6,747 मामले दर्ज किए गए थे और 2022 में यह संख्या बढ़ कर 7,887 हो गई. राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2020 में देशभर में बलात्कार के कुल 28,046 मामले दर्ज किए गए.

बदहाल कानून व्यवस्था

देशभर में हो रही ऐसी घटनाएं इस बात की तरफ इशारा करती हैं कि देश की कानून व्यवस्था की स्थिति बदहाल है. न्याय प्रक्रिया बहुत सुस्त है. प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाता नहीं. महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अभी बहुतकुछ किया जाना बाकी है.

एक महिला अभी भी अपने देश, शहर, महल्ले, गली, घर के अंदर सुरक्षित महसूस नहीं करती है. सालदरसाल ये आंकड़े बढ़ते ही चले जा रहे हैं और हम धीरेधीरे इसी असलियत के साथ जीना सीख रहे हैं. घर के अंदर जब किसी बेटी का रेप होता है तो उसे चुप रहने की सलाह दी जाती है. घर के बाहर बेटी-बहन का रेप न हो जाए, इस डर से उन के बढ़ते कदमों पर बेड़ियां जड़ दी जाती हैं. आखिर महिलाएं कब खुल कर जी पाएंगी और कब उन्हें आगे बढ़ने के लिए सुरक्षित माहौल मिलेगा.

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