गुजरात का गिर अभयारण्य दुनियाभर में एशियाई शेरों की शरणस्थली के रूप में जाना जाता है. लेकिन हालफिलहाल यह अभयारण्य इसलिए चर्चाओं में है, क्योंकि यहां के शेरों पर खतरा मंडरा रहा है. इस साल सितंबर के दूसरे सप्ताह से अक्तूबर के पहले सप्ताह तक यहां के 23 शेरों की मौत हो चुकी है. इस से पहले भी गुजरात में 2016 और 2017 में 182 शेरों की मौत हो गई थी. गुजरात सरकार ने शेरों की इन मौतों की बात इसी साल मार्च में विधानसभा में की थी.

काफी अंतराल के बाद गिर अभयारण्य में इस साल सितंबर महीने की 12 तारीख को सब से पहले एक वयस्क शेर का शव मिला. वन अधिकारियों ने इस शेर के शव का पोस्टमार्टम करवा कर उस का अंतिम संस्कार कर दिया. इस शेर की मौत की जांचपड़ताल शुरू होने से पहले ही 13 सितंबर को एक मादा शेर का शव और मिल गया. इस के बाद एक दिन छोड़ कर 15 सितंबर को 3 शावक मृत मिले तो वन अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं.

अधिकारियों ने जांचपड़ताल शुरू की, लेकिन फिर 17 सितंबर को एक मादा शेर का शव मिल गया. इस के अगले दिन 18 सितंबर को 2 शावकों और एक वयस्क शेर व एक मादा शेर की मौत की सूचना आ गई. अभी इन शेरों की मौत की पड़ताल शुरू भी नहीं हुई थी कि 19 सितंबर को एक अन्य शेर की मौत हो गई.

इस तरह 12 से 19 सितंबर तक 11 शेरों की मौत हो चुकी थी. लेकिन इन मौतों की चर्चा तक नहीं हुई. इस का कारण यह था कि वन अधिकारियों ने बदनामी के डर से शेरों की मौत के मामलों को दबा दिया था.

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