सावन भगवान शिव के लिए जाना जाता है इस बार सावन में चार सोमवार पड़ेंगे जिसकी शुरुआत हो चुकी है...श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी और शिवालयों को सजाया जाएगा साथ ही इस बार भी लोग अपनी श्रद्धानुसार व्रत रखेंगे और भगवान शिव का दूध से अभिषेक करेंगे,लेकिन इस श्रद्धा की आड़ में जो अंधविश्वास फैल रहा है उसका क्या? सबकी अपनी-अपनी श्रद्धा होती है..मैं किसी की श्रद्धा पर सवाल नहीं उठा रही लेकिन यदि अंधभक्त बनकर भक्ति करेंगे तो यह भी ठीक नहीं...

ये भी पढ़ें- प्यार की राह में

आज समाज में कितनी गरीबी है,लोग लाचार हैं ,बेबस हैं उनको अपने बच्चों को कुछ खिलाने के लिए पैसे नहीं हैं,घर में अन्न का एक दाना नहीं है...छोटे-छोटे बच्चे दूध के लिए तरसते हैं तो क्या भगवान पर ज्यादा दूध चढ़ाने से वो खुश होंगे? भगवान ने तो कभी नहीं कहा कि मुझपर ही दूध चढ़ाओ तभी मैं प्रसन्न होउंगा. मेरे हिसाब से तो अगर थोड़ा सा भी दूध श्रद्धानुसार चढ़ा लो और कुछ गरीबों को दो.. दूध को बर्बाद न करो यही सच्ची भक्ती होती है. हम मंदिरों में फूल- मालाएं चढ़ाते हैं फिर क्या होता है उन्हें एक साइड करके फेंक दिया जाता है और वो भी बर्बाद होतें हैं फिर उन्हीं फूल-मालाओं को जानवर खाते हैं जिससे वो भी बिमार होते हैं या फिर तो वो सड़ जाते हैं जिससे और भी ज्यादा बिमारियां होने का खतरा बनता है....इतना ही नहीं मंदिर भी गंदा हो जाता है क्या भगवान को गंदगी पसंद है? मंदिर को जितना साफ रखा जाए उतना ज्यादा अच्छा होता है. भला ये इस किस तरह की श्रद्धा है जिसमें इतने नुकसान है और वस्तुओं की बर्बादी के साथ-साथ लोगों की बिमारी भी है. भक्ति करना गुनाह नहीं है लेकिन ऐसी भक्ति का भी कोई मतलब नहीं है. भगवान की भक्ति के लिए जरूरी नहीं है कि आप ढेर सारे माला-फूल चढ़ाए और दूध चढ़ाए..आपका मन साफ होना चाहिए और सच्ची भक्ति मन से होनी चाहिए तभी ईश्वर भी प्रसन्न रहते हैं.सादगी से जो भक्ति होती है उससे अच्छी भक्ति तो हो ही नहीं सकती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...