छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के अंतिम छोर में बसा छुरा विकासखण्ड मुख्यालय के ग्राम "सरायपाली" में पारम्परिक तरीके से होली का पर्व बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया मगर  आदिवासी बाहुल्य वनांचल ग्राम के ग्रामीणों ने देर रात विधिवत पूजा अर्चना कर होलिका दहन करने का पश्चात  तड़के सुबह ग्राम के कुल देवी देवताओं का विधिवत पूजा अर्चना कर होलिका दहन स्थल में दहकते आग के अंगारों में बड़े बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक बेखौफ होकर चलते नजर आए.
यह ग्रामीण आदिवासियों का अंधविश्वास का जीवंत उदाहरण है ऐसे ही अंधविश्वासों से घिरकर आदिवासी समाज निरंतर पीछे और पीछे होता चला जा रहा है. दरअसल इसके पीछे भय का मनोविज्ञान है ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य एक बहुत बड़ी समस्या होती है, ऐसे में यह अंधविश्वास फैला दिया गया कि होलीत्सव के दहकते अंगारों और आग पर चलने से डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और सभी ग्रामीण  गांववासी साल भर स्वस्थ रहेंगे.
मगर सच्चाई यह है कि सभी जानते हैं की ऐसा कुछ भी नहीं होता. यह बताना यहां लाजमी है कि छत्तीसगढ़ की एक पुलिस अधिकारी नीतू कमल जो कि आईपीएस (2008बैच) है, पुलिस अधीक्षक है ऐसे ही एक मौके पर पहुंच गई और स्वयं अंगारों पर चलकर यह संदेश दिया था कि यह सब  विज्ञान सम्मत है. पैरों का नहीं जलना, कोई चमत्कार नहीं है !
 अंधविश्वास: एक दुकान
दरअसल, अंधविश्वास एक ऐसी दुकान  है  जिसके कारण गरीब आदिवासी ग्रामीण जनता को सरकार और समाज के सफेदपोश संरक्षण देते रहते हैं. गरीब, आदिवासी ग्रामीण समाज जब तक अशिक्षित और अंधविश्वास के फेरे में रहेगा जागरूक नहीं होगा सरकार में बैठे हुए कथित नुमाइंदे और समाज के सफेदपोशों की दुकानदारी चलती रहेगी. क्योंकि यह अंधेरे में घिरे अपने ही समस्याओं से लड़ते रहते हैं और प्रश्न नहीं पूछते. और आज का सभ्य समाज यही चाहता है कि वह अपने मौज मस्ती में लगा रहे अट्टालिका  खड़ी करता रहे. देश की 90% से अधिक की आबादी अंधविश्वास मे गोता लगाती रहे.
ग्रामीणों की माने तो वर्षो से चली आ रही प्राचीन धार्मिक परम्परा को सहेजने के साथ ही होली के पर्व के साथ धार्मिक आस्था का लगाव बना हुआ है. इसके चलते आग में चलने से ग्राम में सुख, समृद्धि आने के साथ ही संक्रामक बीमारी व किसी अनहोनी घटना से बचाव का मान्यता  है. यही वजह है कि आज भी ग्रामीण आधुनिक परिवेश में  कथित सभ्य  दुनिया से परे सालों से चली आ रही झूठी  परम्परा को सहेज रहे हैं. साथ ही वर्तमान भावी पीढ़ी को भी अतार्किक आस्था के प्रति प्रेरित करते है. ऐसे में पढ़े लिखे समाज और सरकार का पहला दायित्व है, आगे आकर ग्रामीण अंचल में फैले अंधविश्वासों को दूर करने को अपनी प्राथमिकता बनाएं.
फोटो-अंगारों पर, आईपीएस नीतू कमल

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