शाम के 7 बज रहे थे. मायानगरी मुंबई के अंधेरी (वेस्ट) इलाके में स्थित एक मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर के औफिस में औडिशन चल रहा था. औडिशन प्रोड्यूसर और डायरेक्टर मिल कर कर रहे थे. एकएक कर के कई लड़कियां औडिशन दे कर जा चुकी थीं. औडिशन के द्वारा एक मध्यम बजट वाली फिल्म की हीरोइन की खोज हो रही थी.
कई लड़कियों के बाद एक और लड़की औडिशन के लिए अंदर आई. इशारा मिलने के बाद वह कुरसी पर बैठ गई. डायरेक्टर ने लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा. लड़की खूबसूरत थी. आंखें बिलकुल बोलती सी. चेहरा बिलकुल फ्रैश. उच्चारण में विविधता. उच की हिंदी भी बेहतरीन थी. यही नहीं हिंदी के साथ वह खनकदार उर्दू भी जहीन अंदाज में बोल लेती थी.
डायरेक्टर ने बोलने के लिए उसे कुछ पंक्तियां दीं. लड़की ने पूरी भावभंगिमाओं के साथ उन पंक्तियों को बोला. सुन कर प्रोड्यूसर के मुंह से अनायास निकल गया, ‘वाव’. मतलब लड़की का उच्चारण उसे पसंद आया. उस ने थंबअप किया. लड़की खुश थी. तभी प्रोड्यूसर ने उस से बातचीत करनी शुरू की.
‘‘तुम ने बहुत अच्छा डायलौग बोला.’’
‘‘शुक्रिया सर.’’
‘‘तुम क्याक्या कर सकती हो?’’ यह सवाल डायरेक्टर का था.
‘‘सर, मैं सब कुछ कर सकती हूं. मैं ने सब कुछ बहुत मेहनत और बारीकी से सीखा है.’’ लड़की के जवाब में उत्साह के साथ आत्मविश्वास था.
‘‘सब कुछ का मतलब क्या?’’ प्रोड्यूसर ने जवाब में स्पष्टता चाही.
‘‘सर, मैं एक्टिंग कर सकती हूं. डांस कर सकती हूं. थोड़ाबहुत गा भी सकती हूं.’’
‘‘और क्या कर सकती हो?’’ डायरेक्टर ने प्रोड्यूसर के सवाल को आगे बढ़ाया.
‘‘…और सर, मैं लिखने के साथसाथ जरूरत पड़ने पर डायरेक्शन भी कर सकती हूं.’’ लड़की ने अपनी कुछ और खूबियां गिनाईं.
‘‘इस के अलावा और क्या…?’’ प्रोड्यूसर के स्वर में थोड़ी खीझ थी.
लड़की ने सवालों के इस सिलसिले में अचानक आई बारीक सी खीझ को पकड़ लिया. वह समझ गई कि इस और का क्या मतलब है? यह समझते ही उस के चेहरे का रंग बदल गया. वह अचानक गंभीर हो गई और पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा, ‘‘सर, मैं सैक्स नहीं कर सकती.’’
यह कह कर लड़की उठी, मुड़ी और सैल्यूट के अंदाज में हाथ ऊपर उठाए दरवाजे की तरफ बढ़ गई.
स्वरा भास्कर को तो आप जानते ही होंगे, वही स्वरा भास्कर जिन्होंने ‘तनु वेड्स मनु’ और ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ में कंगना रनौत की सहेली की भूमिका निभाई थी. जी हां, यह लड़की कोई और नहीं, आज की बौलीवुड की स्थापित एक्ट्रैस स्वरा भास्कर ही थीं, जिन्होंने पिछले साल यह किस्सा मुझे तब सुनाया था, जब पूरी दुनिया में चल रहे ‘प्तमी टू’ अभियान ने बौलीवुड में दस्तक दी थी और एकएक कर के बौलीवुड की कई लड़कियों ने अपनी आपबीती मीडिया के साथ साझा की.
उन्हीं दिनों मैं ने स्वरा से इस संबंध में एक इंटरव्यू किया था, जिस में उन्होंने मुझे यह आपबीती सुनाई थी कि उन्हें बौलीवुड में अपने स्ट्रगल के दौरान किसकिस तरह के शोषण का शिकार होना पड़ा.
पिछले साल हौलीवुड की एक हीरोइन एश्ले जुड के द्वारा यौन हिंसा के खिलाफ शुरू किए गए ‘प्तमी टू’ कैंपेन को अमेरिका की मशहूर पत्रिका ‘टाइम’ ने साल 2017 का ‘टाइम परसन औफ ईयर’ चुना था. एश्ले ने ऐसी महिलाओं को, जिन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अतीत में अपने साथ हुए यौनशोषण का ‘प्तमी टू’ के साथ खुलासा किया था, को द साइलेंस ब्रेकर्स नाम दिया था.ॉ
एश्ले जुड के अभियान ने नया रूप ले कर दुनिया भर की महिलाओं को दिया नया मंच
सब से पहले यह खुलासा करने वाली हौलीवुड अभिनेत्री एश्ले जुड ही थीं, जिन्होंने हौलीवुड के एक बडे़ निर्माता हार्वे वाइंस्टीन के बारे में खुलासा किया था कि उस ने उन्हें काम देने के एवज में उन का यौनशोषण किया था. इस अभियान की शुरुआत कोई बहुत योजनाबद्ध ढंग से नहीं की गई थी.
वास्तव में एश्ले जुड ने अपने साथ गुजरे जमाने में हुए यौनशोषण को कन्फेशन के तौर पर सोशल मीडिया में शेयर किया था. लेकिन इस के सामने आते ही उन तमाम महिलाओं ने अपनी चुप्पी तोड़ दी, जो सालों ही नहीं दशकों से अपने साथ हुए शोषण को अपने दिल में एक कसक की तरह दबाए हुए थीं.
जल्द ही ‘प्तमी टू’ अभियान दुनिया भर के तमाम प्रतिष्ठित लोगों की पोल खोलने का जरिया बन गया, जिन्होंने अपने अच्छेपन के मुखौटे में रहते हुए तमाम महिलाओं का यौनशोषण किया था.
इस अभियान में सिर्फ प्रोफैशनल दुनिया में हुए यौनशोषण का ही खुलासा नहीं किया गया था, बल्कि जैसेजैसे यह अभियान आगे बढ़ा, वैसेवैसे दुनिया भर की महिलाओं ने अपने जीवन के किसी मोड़ पर भोगी गई यौन प्रताड़ना, यौन हमले या बलात्कार जैसी घटनाओं आदि का खुलासा किया.
इस अभियान ने सिर्फ अमेरिका या पश्चिम समाज को ही अपनी गिरफ्त में नहीं लिया, बल्कि जल्द ही यूरोप, एशिया और पूरी दुनिया इस अभियान से जुड़ती गईं. भारत में भी तमाम महिलाओं ने अपने साथ अतीत में हुए यौनशोषणों की बदरंग कहानियों को सोशल मीडिया के साथ साझा किया. बौलीवुड की तमाम महिलाओं के साथ भी ऐसी घटनाएं घटी थीं.
सब से पहले ऐसी बदरंग कहानी ले कर सामने आईं मुनमुन दत्ता. मुनमुन दत्ता ने पिछले साल अक्तूबर महीने में अपनी आपबीती सोशल मीडिया में शेयर की. मुनमुन दत्ता को आप शायद जानते ही होंगे, नहीं जानते तो अब जान लीजिए. मुनमुन मशहूर टीवी सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में बबीताजी का किरदार निभाती हैं.
एक्ट्रैस मुनमुन दत्ता ने 16 अक्तूबर, 2017 को अपने यौनशोषण की कहानी को सोशल मीडिया में साझा किया. मुनमुन ने लिखा, ‘‘मैं देख रही हूं कि ‘प्तमी टू’ पर आने वाली कहानियों और रिएक्शंस को देख कर कई पुरुष बड़े हैरान हैं या हैरान होने का नाटक कर रहे हैं. मैं उन से कहती हूं, हैरान मत होइए. यह आप के घर के बैकयार्ड में ही हो रहा है. वह भी आप के घर में, आप की बहन, बेटी, मां और पत्नियों के साथ हो रहा है. यहां तक कि आप की कामवाली के साथ भी. कभी उन का भरोसा जीत कर उन से पूछने की कोशिश करिए. आप उन के जवाब सुन कर हैरान रह जाएंगे.’’ मुनमुन ने विस्तार से अपनी आपबीती इन शब्दों में पेश की.
उन्होंने लिखा, ‘‘यहां मैं वह सब लिख रही हूं, जिसे बचपन में जीते हुए मेरी आंखों में आंसू आ जाते थे. मेरे पड़ोस के एक अंकल मौका पा कर मुझे जकड़ लेते थे. वह मुझे धमकाते थे कि मैं यह सब किसी और को न बताऊं. यह अंकल मेरी जिंदगी का वह शख्स था, जिस ने मुझे मेरे जन्म के बाद अस्पताल में देखा था और 13 साल बाद उसी ने मुझे गलत ढंग से छुआ, क्योंकि उसे लगा कि अब मैं बड़ी हो चुकी हूं और मुझे इस तरह से छूना सही है.
‘‘लेकिन यह अकेला अंकल ही ऐसा व्यक्ति नहीं था. यह कहानी मेरे ट्यूशन टीचर तक भी जाती है, जो अकसर मेरे अंत:वस्त्रों में अपने हाथ डाल देता था. एक और टीचर जिसे मैं राखी बांधती थी, वह क्लास में लड़कियों की ब्रा खींच कर उन्हें डांटा करता था. मैं तब भी यह सोच कर हैरान थी कि यह सब क्यों होता है? लेकिन तब मैं छोटी थी, इसलिए इस तरह के तमाम सवाल मेरे जेहन में ही कुलबुलाते रहते थे, बाहर नहीं आ पाते थे.
‘‘दरअसल, शोषक जानबूझ कर ऐसी कमजोर महिलाओं और छोटी बच्चियों को अपने शिकार के रूप में चुनते हैं, जो अपना बचाव नहीं कर सकतीं या आवाज नहीं उठा सकतीं.
‘‘मुझे या मुझ जैसी हादसों का शिकार होने वाली लड़कियां नहीं जानतीं कि वे यह सब अपने पिता से कैसे कहें? इस लाचारी के कारण शिकार लड़कियां बस मन ही मन पुरुषों के खिलाफ नफरत से भरती रहती हैं.’’
स्वरा भास्कर ने बयां की एक और सच्चाई
मुनमुन दत्ता के सोशल मीडिया में इस कन्फेशन के बाद स्वरा भास्कर ने भी सोशल मीडिया में अपनी एक और कहानी का खुलासा किया, जो इस लेख की शुरुआत में आई कहानी से अलग है.
स्वरा के मुताबिक, उन के साथ यह सब तब हुआ था, जब वह एक फिल्म की आउटडोर शूटिंग के सिलसिले में 56 दिनों के लिए मुंबई से बाहर गई थीं.
स्वरा के मुताबिक, ‘शूटिंग के दौरान फिल्म के डायरेक्टर ने मुझे बहुत हैरेस किया. वह मुझे दिन भर घूरता रहता और डिनर के लिए बारबार मैसेज भेजता था.’ स्वरा ने आगे लिखा कि एक बार उस ने मुझे फिल्म के एक सीन पर चर्चा करने के लिए अपने कमरे में बुलाया.
‘‘जब मैं कमरे में पहुंची तो वह शराब पी रहा था.’’ स्वरा ने यह भी लिखा कि उस दौरान उस ने मुझ से जबरदस्ती प्यार और सैक्स की बातें की थीं. एक दिन तो वह शराब के नशे में मेरे होटल रूम में ही घुस आया और कहने लगा, ‘मैं तुम्हें गले लगाना चाहता हूं.’
स्वरा के मुताबिक इस घटना से वह इतना परेशान हो गई थीं कि शूटिंग खत्म होते ही अपने कमरे में लौट आती थीं और लाइट बंद कर लेती थीं ताकि उसे लगे कि मैं सो रही हूं.
‘प्तमी टू’ अभियान ने पूरी दुनिया की यौन शोषित महिलाओं को जुबान दी, जिस से प्रेरित हो कर उन्होंने अपने साथ घटी ऐसी तमाम घटनाओं को दुनिया के सामने उजागर किया. इन कहानियों का खुलासा करने वाली महिलाओं में हौलीवुड से ले कर बौलीवुड तक की सिर्फ अभिनेत्रियां ही नहीं थीं, बल्कि न जाने कितनी नर्स, पुलिसकर्मी और दूसरे पेशों से जुड़ी महिलाएं भी थीं.
भारत में बौलीवुड की अभिनेत्रियों ने इस अभियान के दौरान अपने यौनशोषण की कहानियों का खुलासा किया, लेकिन इस के पहले बौलीवुड से यौनशोषण की बदरंग कहानियां बाहर न आती रहीं हों, ऐसा भी नहीं है. सच्चाई तो यह है कि ऐसा कोई दौर ही नहीं रहा, जब बौलीवुड से छन कर ऐसी कहानियां बाहर न आती रही हों.
याद करिए, करीब डेढ़ दशक पहले ममता कुलकर्णी नाम की बौलीवुड अभिनेत्री ने फिल्म ‘चाइना गेट’ की शूटिंग के दौरान एक जानेमाने फिल्म निर्देशक पर सैक्स के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया था.
ममता के मुताबिक, जब उस ने निर्देशक की बात नहीं मानी तो उस ने फिल्म में उस के रोल को काट कर छोटा कर दिया. कुछ ऐसा ही आरोप इजरायल की एक मौडल रीना गोलन ने बीते जमाने के एक मशहूर फिल्म निर्मातानिर्देशक पर लगाया था.
बौलीवुड में और भी लड़कियों का हुआ यौनशोषण
गौरतलब है कि रीना गोलन बौलीवुड में अपना कैरियर शुरू करना चाहती थी और इस के लिए उस ने हिट फिल्में देने वाले उस निर्मातानिर्देशक से सहायता मांगी थी. इस पर उन साहब ने रीना गोलन को काम दिलवाने के एवज में सैक्स की मांग की थी. ऐसे ही आरोप एक बड़े एक्टर पर ममता पटेल नाम की उन की कोस्टार ने लगाए थे. यहां भी बात काम दिलाने की ही थी.
इसी तरह अभिनेत्री पायल रोहतगी ने मशहूर निर्देशक दिबाकर बनर्जी पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. लेकिन दिबाकर बनर्जी की बौलीवुड में अच्छी साख के चलते किसी ने पायल रोहतगी की बात नहीं सुनी. उल्टे लोगों ने उसे ही पागल घोषित कर दिया. लोगों का कहना था कि वह काम के लिए दिबाकर को ब्लैकमेल करना चाहती थी.
फिल्म इंडस्ट्री के सब से गंभीर माने जाने वाले निर्देशकों में से एक मधुर भंडारकर हैं,जिन के बारे में माना जाता है कि वह हमेशा महिलाओं से जुड़े महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर बहुत संवेदनशीलता के साथ सोचते हैं और उन पर फिल्में बनाते हैं. उन की फिल्म ‘फैशन’ इस बात की गवाह भी थी. प्रीति जैन नाम की एक नई एक्ट्रेस ने बहुत साल पहले भंडारकर साहब पर यौनशोषण का आरोप लगाया था, जिसे ले कर बरसों तक मुकदमा चला, जो सुबूतों के अभाव में खारिज हो गया. खास बात यह कि सजा प्रीति को ही हुई, क्योंकि उस ने मधुर भंडारकर को मरवाने की कोशिश की थी.
बौलीवुड की एक और नायिका व अभिनेत्री सुचित्रा कृष्णमूर्ति ने ‘प्तमी टू’ अभियान के माध्यम से सोशल मीडिया में एक पोस्ट डाली थी, जिस में उन्होंने लिखा थैंक्स गौड, मैं बच गई. इस पहेली का उन्होंने आगे खुलासा करते हुए लिखा कि साल 2009 में एक प्रोड्यूसर उन में बहुत ज्यादा गैरजरूरी रुचि ले रहा था, जिस के बारे में बाद में खुलासा हुआ कि उस ने इंडस्ट्री की कई लड़कियों की जिंदगी बरबाद कर दी है.
कहने का मतलब यह है कि ‘प्तमी टू’ कैंपेन के पहले भी यौनशोषण की अनगिनत कहानियां परदे के पीछे से निकल कर दुनिया के सामने आई हैं. यह अलग बात है कि उन कहानियों का खामियाजा ज्यादातर उन लड़कियों को ही भुगतना पड़ा, जो पीडि़त थीं. शायद इसीवजह से कोई उन कहानियों को याद नहीं करना चाहता.
लेकिन ‘प्तमी टू’ अभियान से जब ऐसी ही कहानियां लोगों के सामने आईं तो दुनिया ने न सिर्फ पीडि़तों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की, बल्कि कुछ यौनशोषकों को इस की सजा भी मिली.
इसलिए यौनशोषण के लंबे इतिहास में ‘प्तमी टू’ ने सिर्फ यौनशोषण की भुक्तभोगियों के स्वीकार की कहानी भर नहीं, बल्कि आरोपियों को उन के किए की सजा दिलवाने में भी भूमिका निभाई. इसीलिए आत्मस्वीकृति का यह अभियान अब तक का सब से कारगर अभियान साबित हुआ है.
कोंकणा सेन शर्मा भी जुड़ीं ‘प्तमी टू’ से शायद यही कारण है कि बौलीवुड की तमाम अभिनेत्रिंया इस अभियान में खुल कर सामने आईं हैं. सामने आने वाली बौलीवुड अभिनेत्रियों में कोंकणा सेन शर्मा भी शामिल हैं. उन्होंने हाल ही में संपन्न मामी फिल्मोत्सव के दौरान कहा, ‘‘इस कैंपेन की अच्छी बात यह है कि अगर लोग इस के जरिए इस समस्या की गंभीरता को समझेंगे तो अच्छा होगा और अगर लोग इस के जरिए इन मुद्दों पर आगे आ कर बोलना शुरू कर देंगे तो ये और भी अच्छा होगा.’’
कोंकणा के मुताबिक यह पहला ऐसा अभियान है, जिस में महिलाओं के बीच एकजुटता नजर आती है. लेकिन उन का यह भी कहना है कि हमें ऐसी समस्या को खत्म करने के लिए गहराई और गंभीरता से सोचने की जरूरत है और अगर इस में पुरुषों को साथ लिया जा सकता है तो हर हाल में लिया जाना चाहिए.
कोंकणा की ही तरह राधिका आप्टे ने भी इस अभियान को अपना समर्थन देते हुए लिखा है, ‘मैं ने इस कैंपेन पर कुछ लिखा तो नहीं है, लेकिन मैं ने इस के बारे में पढ़ा है और मैं इस का समर्थन करती हूं. ये परेशान नहीं करता, बल्कि अच्छा यह है कि महिलाएं खुल कर अपनी बात रख रही हैं.’
इसी क्रम में यौन उत्पीड़न पर चल रहे इस कैंपेन को कंगना रनौत का समर्थन भी मिला है. उन्होंने मीडिया से इस अभियान के बारे में कहा, ‘‘यह उन मुद्दों में से है, जिन की मैं हमेशा ही निंदा करती हूं. शारीरिक शोषण, यौन उत्पीड़न और समान भुगतान न मिलना जैसे मुद्दे. मैं उन सभी लड़ाइयों के लिए तैयार हूं, जो मेरे रास्ते में आएंगी.’
सामाजिक मुद्दों पर खुल कर बोलने वाली अभिनेत्री रिचा चड्ढा ने भी ‘प्तमी टू’ कैंपेन के संदर्भ में कहा है कि यह महत्त्वपूर्ण है कि लोग अब यौन उत्पीड़न के मुद्दे की गंभीरता से चर्चा करने लगे हैं. लेकिन मैं चाहती हूं कि इस पर वे हमेशा चर्चा करें, केवल तब नहीं जब यह सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा हो.’
रिचा के मुताबिक, पहले तो मैं चाहूंगी कि मौखिक या किसी भी अन्य रूप में मीडिया यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर लगातार अभियान चलाए.
केवल तब जल्दबाजी में इस की चर्चा न करे, जब यह टीआरपी का जरिया बन गया हो. साथ ही उन्होंने यह भी कहा, ‘दूसरी बात जो मैं महसूस करती हूं, वह यह है कि दुनिया भर के पुरुषों को उस विशेषाधिकार को पहचानने की जरूरत है, जो उन के पास है.
‘मसलन, वे जो चाहे पहन सकते हैं. जहां चाहे जा सकते है. किसी के साथ भी घूम सकते हैं. उन के चरित्र पर कोई सवाल भी नहीं उठाता, जबकि लड़कियों को यह सुविधा हासिल नहीं है. दुनिया पुरुषों की तरफ झुकी हुई है और ऐसे में मुझे आश्चर्य नहीं है कि महिलाएं ‘प्तमी टू’ अभियान का हिस्सा बन रही हैं.
प्रियंका चोपड़ा ने बहुत कुछ कहा इशारों इशारों में बौलीवुड की सुपरस्टार और पूर्व विश्व सुंदरी प्रियंका चोपड़ा ने भी बौलीवुड के भीतर यौनशोषण के संकेत दिए हैं. उन्होंने ‘प्तमी टू’ कैंपेन पर तो नहीं, लेकिन यौन उत्पीड़न के मामले पर अपनी राय जरूर जाहिर की. ‘मैरी क्लेयर पावर ट्रिप’ संवाद के दौरान हौलीवुड में कदम रख चुकीं इस बौलीवुड सुपर स्टार ने सिनेमा में हार्वे वाइंस्टीन की भूमिका का जिक्र छेड़ते हुए कहा कि ये सिर्फ सैक्स की बात नहीं है, बल्कि ये पावर का मामला है और हकीकत भी है.
उन्होंने ये भी कहा कि यह बात सिर्फ हार्वे वाइंस्टीन तक सीमित नहीं है, बल्कि हौलीवुड में इन के जैसे अनेक हैं और ऐसी चीजें हर जगह होती हैं.
अभिनेत्री ने सीधे तौर पर बौलीवुड का जिक्र तो नहीं किया, लेकिन इशारों में ही कहा कि हार्वे वाइंस्टीन सिर्फ हौलीवुड में नहीं हैं, बल्कि ऐसे लोग बौलीवुड में भी हैं. कुल मिला कर ‘प्तमी टू’ अभियान पुराने जमाने की जादुई कहानियों में शामिल रहने वाले उस मंत्र की तरह है, ओझा द्वारा जिस के पढ़ने के बाद तमाम अपराधी भीड़ में से बाहर आआ कर लोगों के सामने स्वीकारते हैं कि उन्होंने अपराध किया है.
‘प्तमी टू’ अभियान के बाद हालांकि अपराधी तो सामने नहीं आए और न ही किसी ने इस बात को स्वीकार किया है कि उन पर लगाए गए आरोप सही हैं, मगर इस के चलते हजारेंहजार महिलाएं जो सालों से अपने शोषण की कहानियों का बोझ अपने सीने में दबा कर घूम रही थीं, ने उन्हें सार्वजनिक कर दिया है.
हाल के सालों में संभवत: यह पहला ऐसा अभियान है, जिस ने पूरी दुनिया की महिलाओं को न सिर्फ भावनात्मक तौर पर झकझोरा है, बल्कि उन्हें एक मंच पर भी खड़ा किया है.
हौलीवुड की तमाम बदरंग कहानियों के खुलासे के बाद सब से बड़ा फायदा यह हुआ है कि इन कहानियों को सुन कर लोगों ने पीडि़तों को ही इस की सजा देने की सोच नहीं दर्शाई बल्कि सही मायनों में उन्हें बहादुर माना है.
इस नजरिए से ये बदरंग कहानियां सिर्फ अपने दुर्भाग्य का ब्यौरा भर नहीं देतीं, बल्कि कल की दुनिया को न्यायिक कानून सम्मत और लोकतांत्रिक बनाने का हौसला भी देती हैं.
क्या है # मी टू
यौनशोषण की आपबीती कहानियों का पिछले साल अक्तूबर, 2017 में पर्याय
बना ‘प्तमी टू’ आंदोलन, देखा जाए तो 10 साल पहले शुरू हुआ था. इस की शुरुआत अमेरिका की सामाजिक कार्यकर्ता तराना बर्के ने की थी. उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन उन के द्वारा रचा गया यह मुहावरा ‘मी टू’ यौन पीडि़त महिलाओं का सब से बड़ा संबल बन जाएगा.
उन्होंने तो इस मुहावरे की रचना सोशल मीडिया पर महिलाओं के सशक्तिकरण में इस्तेमाल के लिए की थी. तराना बर्के ने साल 2006 में पहली बार माई स्पेस सोशल नेटवर्क में ‘मी टू’ के साथ कोई बात कहने की कोशिश की, जिस का मकसद था दुनिया की सहानुभूति के जरिए समाज के हाशिए पर खड़ी महिलाओं का उत्थान करना.
इस मुहावरे ने हाशिए की महिलाओं का कितना सशक्तिकरण किया, यह तो पता नहीं लेकिन पिछले साल अक्तूबर में जब हौलीवुड के एक चर्चित प्रोड्यूसर द्वारा यौन शोषण की कहानियों को इस मुहावरे के साथ सोशल मीडिया में प्रसारित किया गया तो देखते ही देखते यह मुहावरा आपबीती दास्तानों का बड़ा मंच बन गया.
जब यौन उत्पीडि़त महिलाओं ने अपनी आपबीती दुनिया को सुनाने के लिए सोशल मीडिया में ‘प्तमी टू’ के साथ अपनी कहानियां डालीं तो देखते ही देखते ये 3 शब्द सजगता और सशक्तिकरण के सब से बड़े हथियार बन गए.
यह सब तब हुआ जब हौलीवुड के चर्चित प्रोड्यूसर हार्वे वाइंस्टीन द्वारा शोषित महिलाओं ने अपने शोषण की कहानियां दुनिया को सुनाने के लिए ‘प्तमी टू’ का इस्तेमाल किया. लेकिन इस मुहावरे का इस्तेमाल इस के पहले भी ऐसी ही आपबीती के लिए हो चुका था, लेकिन तब यह इतना चर्चित नहीं हुआ था.
दरअसल, जेसिका एडम्स नाम की महिला ने पहली बार ‘प्तमी टू’ का इस्तेमाल अपने यौन शोषण की कहानी दुनिया के साथ साझा करने के लिए किया था. गौरतलब है कि अमेरिका के एक मशहूर संगीतकार जोर्डी वाइट ने जेसिका के साथ बलात्कार और यौन हिंसा की थी, जिसे जेसिका ने ज्यों का त्यों लिख कर सोशल मीडिया में ‘हैशटेग मी टू’ शीर्षक के साथ डाल दिया था. पता नहीं इसे कितने लोगों ने पढ़ा. लेकिन कोई हंगामा नहीं हुआ.
बाद में 24 अक्तूबर, 2017 को मर्लिन मैनसन ने और फिर एश्ले जुड नाम की हौलीवुड हीरोइन ने अपने यौनशोषण की आपबीती सुनाने के लिए इसे इंटरनेट पर डाला तो हंगामा खड़ा हो गया. देखतेदेखते इसे दुनिया की लाखों महिलाओं ने पढ़ा और आपस में शेयर किया. साथ ही वे अपने साथ घटी ऐसी घटनाओं को इंटरनेट पर ‘प्तमी टू’ के साथ डालने लगीं.
हौलीवुड की एक्ट्रैस और सिंगर जेनिफर लोपेज ने एक इंटरव्यू में अपने कैरियर के शुरुआती दिनों के बुरे अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि जब वे अपनी फिल्म के डयरेक्टर से पहली बार मिलीं तो उस ने उन्हें अर्द्धनग्न होने को कहा था. लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया था. यह उन के लिए डरावने सपने जैसा था. यह मामला भी ‘प्तमी टू’ में चर्चित रहा.
इंटरनेट पर मानो ऐसी आपबीती कहानियों का सैलाब आ गया. दुनिया के कोनेकोने से महिलाएं अपने दिल के अंधेरे कोने में छिपी पड़ी ऐसी कहानियों को निकाल कर सोशल मीडिया के उजाले में ले आईं. देखते ही देखते यह ट्रैंड इतना तेज हो गया कि पिछले साल दिसंबर और इस साल जनवरी के आतेआते हर मिनट में ऐसी औसतन 10 कहानियां इंटरनेट पर प्रेषित की जाने लगीं.
एक अनुमान है कि अभी तक 2 करोड़ से ज्यादा महिलाओं ने जीवन में अपने साथ हुए यौन शोषण की त्रासदी को इंटरनेट पर डाला है. यहां तक कि इस आंदोलन ने कट्टर मुसलिम देशों की महिलाओं को भी प्रेरित किया है कि वे अपनी आपबीती कहानियां इंटरनेट के जरिए पूरी दुनिया को बताएं.
सोशल मीडिया पर सब से पहले इस्लामी दुनिया की ऐसी त्रासद कहानी ले कर लेखिका और पत्रकार मोना टाह्वी आईं. उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती में लिखा, ‘साल 2013 में मैं ने हज यात्रा की थी. उस दौरान मेरा यौन शोषण हुआ. मैं ने सालों तक यह क्रूर हादसा अपने सीने में छिपा कर रखा. लेकिन जब मैं ने ‘प्तमी टू’ कैंपेन के चलते तमाम महिलाओं की कहानियां पढ़ीं तो मैं भी खुद को अपने साथ घटी इस कहानी को सोशल मीडिया पर लाने से नहीं रोक सकी.’
मोना टाह्वी के मुताबिक जब उन्होंने ट्विटर पर अपनी कहानी डाली तो इसे पढ़ कर एक मुसलिम महिला ने लिखा कि उन की मां के साथ भी ऐसा ही हुआ था. लेकिन हम लोगों के पास रोने के सिवा और कुछ नहीं था. यह बात फारसी ट्वीटर पर 10 से ज्यादा बार ट्रैंड हुई.
इस के बाद तो मुस्लिम महिलाओं ने भी आपबीतियों की झड़ी लगा दीं. करीब 20 लाख मुसलमान हर साल हज के लिए जाते हैं, इन में बड़े पैमाने पर महिलाएं भी होती हैं और इन महिलाओं के साथ यौन शोषण की तमाम कहानियां वैसे ही घटित होती हैं, जैसे दूसरी जगहों पर महिलाओं के साथ होती हैं.
सोशल मीडिया पर मुस्लिम महिलाओं ने यह अभियान हैशटेग मास्क मी टू के तहत लिख कर किया. हालांकि मुस्लिम जगत में तमाम पुरुषों ने इस पर बहुत हंगामा किया. कई सरकारों ने भी इसे महिलाओं की उदंड्ता समझा. लेकिन आपबीती के इस ग्लोबल तूफान को कोई रोक नहीं पाया.
बहरहाल हैशटैग आंदोलन ने किसी एक देश, किसी एक समाज को नहीं बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. करोड़ोंकरोड़ कहानियों ने यह खुलासा कर दिया है कि हम चाहे सभ्यता और शिष्टता के कितने ही मुखौटे क्यों न ओढ़े रहते हों, लेकिन मुखौटों के भीतर हम सदियों पूर्व के बर्बर इंसान ही हैं.
हालांकि इस अभियान को कुछ लोगों ने एक प्रयोजित अभियान भी बताया और यह भी कहा कि इस से महिलाएं ताकतवर नहीं, बल्कि कमजोर होती हैं. बावजूद इस के इस अभियान को रोका नहीं जा सका और यह भी कहा जा सकता है कि इस अभियान में दुनिया भर की महिलाओं को बहुत सजग बनाया है.
एक तरह से इस अभियान का फायदा यौन शिक्षा और सजगताके रूप में भी मिला है. इस अभियान के बाद दुनिया के तमाम देशों के स्कूलों में विशेष रूप से लड़कियों के लिए यौनशिक्षा देना शुरू किया गया, साथ ही इन कहानियों से पुरुष भी महिलाओं के प्रति पहले से कहीं ज्यादा सहयोगी और ईमानदार हुए हैं.