अपने नाम के मुताबिक सलोनी वाकई सलोनी है. 14 वर्षीया इस किशोरी का मासूम चेहरा देख बीती 30 नवंबर के पहले तक कोई और तो क्या, उस के साथ पढ़ने वाले बच्चे भी अंदाजा नहीं लगा पाते थे कि वह कितने बड़ेबड़े तूफानों से जूझ रही है.

बोलती सी आंखों वाली सलोनी 30 नवंबर को स्कूल से लौटते वक्त रहस्यमय ढंग से गायब हो गई थी. हैरानी की बात यह भी थी कि उस के घर 55-बी, साकेत नगर, भोपाल से उस का लिटिल फ्लौवर स्कूल महज 200 मीटर की दूरी पर स्थित है. स्कूल की छुट्टी होने के बाद काफी देर तक सलोनी घर नहीं पहुंची तो उस के दादा एस के सिन्हा स्कूल जा पहुंचे.

स्कूल से उन्हें पता चला कि सलोनी छुट्टी होने के बाद अपनी एक सहेली के साथ चली गई थी. इस पर हैरानपरेशान एस के सिन्हा ने पहले तो इधरउधर उसे ढूंढ़ा, फिर थकहार कर नजदीकी बाग सेवनिया थाने में उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा दी.

अवयस्क बच्चियों से ज्यादतियों के मामलों में भोपाल शहर काफी बदनाम हो चुका है, इसलिए सलोनी के यों लापता होने पर शाम तक शहर में तरहतरह की चर्चाएं होनी स्वाभाविक बात थी. सोशल मीडिया पर उस के गायब होने की पोस्ट वायरल हुई, तो लोग पुलिस प्रशासन को कोसते नजर आए.

पर हादसा कुछ और था

2 दिनों तक काफी गहमागहमी रही. सलोनी का न मिलना एक और हादसे की तरफ इशारा कर रहा था. पुलिस वालों ने उसे ढूंढ़ने की हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन सलोनी नहीं मिली.

फिर 1 दिसंबर को जब नाटकीय तरीके से सलोनी मिली तो मामला घरेलू कलह का निकला. सलोनी को किसी ने अगवा नहीं किया था बल्कि वह अपनी मरजी से घर छोड़ कर गई थी और एक और हैरत की बात यह थी कि वह अपने घर से महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित एक सूने मकान में थी जिसे एक ठेकेदार संजीव गुप्ता गोदाम की तरह इस्तेमाल करते हैं, उन की पत्नी ज्योति ने सलोनी को देखा था.

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