जिस तरह फिजिकल अब्यूज यानी यौन उत्पीड़न में महिला के शरीर पर चोट के निशान या दूसरे बाहरी संकेत नहीं दिखते, क्योंकि कई बार यह नजरों या बातों से किया गया उत्पीड़न होता है, ठीक वैसे ही इकोनौमिकल अब्यूज होता है, जो आज दुनियाभर की महिलाओं के साथ हो रहा है लेकिन इसे साबित करना काफी पेचीदा होता है. लिहाजा, पुरुष इस हथियार का इस्तेमाल महिलाओं को घर में कैद रखने, उन की आत्मनिर्भरता पर अंकुश लगाने या फिर व्यक्तिगत खुन्नस निकालने के लिए करते हैं.

यह एक तरह का आर्थिक शोषण है जहां आर्थिक संसाधनों का इस्तेमाल महिलाओं और बच्चों की स्वतंत्रता को नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है. हाल में अभिनेत्री और पूर्व मिस इंडिया निहारिका सिंह ने देश में चल रहे मी टू अभियान से उत्साहित हो कर खुलासा किया है कि उन्हें भी मनोरंजन उद्योग में नवाजुद्दीन सिद्दीकी, भूषण कुमार और साजिद खान के हाथों फिजिकल और इकोनौमिकल अब्यूज का सामना करना पड़ा है.

क्या होता है इकोनौमिकल अब्यूज

भारत में महिलाएं ही घर का बजट, राशनपानी और दूसरे खर्च संभालती हैं. पति अपनी कमाई का एक हिस्सा दे कर महीनेभरे के घरेलू काम से आजादी पा लेता है और महिलाएं, चूंकि घर का खर्च पुरुषों से ज्यादा बेहतर ढंग से चला सकती हैं, इसलिए घर के खर्चपानी के प्रबंधन से ले कर फालतू खर्चे पर रोक लगाना, आर्थिक उधारी जैसे डैबिट कार्ड या बिल चुकाने आदि को ले कर सजग रहना, निवेश और बचत में सक्रिय रहना उन की लाइफस्टाइल का हिस्सा हो जाता है. लेकिन अचानक जब पत्नियों से घर के खर्चे के लिए दी गई रकम छीन ली जाती है और उन्हें हर जरूरत के लिए आर्थिक तौर पर लाचार बना दिया जाता है, तब यह इकोनौमिकल अब्यूज का मामला हो जाता है. पति अपने पैसों का इस्तेमाल महिला को कंट्रोल करने या सबक सिखाने के लिए करे तो वह इकोनौमिकल अब्यूज कहलाता है.

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