ऑफिस में ऐंटर करते ही चेहरे पर उदासी छा जाए, किसी भी चीज को ले कर कोई ऐक्साइटमैंट न रहे, जो काम मिले उसे मन मार कर जैसेतैसे पूरा करें, प्रोजैक्ट वर्क को लेकर भी किसी से कोई कम्युनिकेन न करें. खुद कुछ करें नहीं पर दूसरा अच्छा परफौर्म करे तो उस से ईर्ष्या हो. इतना ही नहीं अपने तक ही सीमित रहें. अगर आप के साथ भी ऐसा हो रहा है तो समझ जाएं कि आप ने अपनी लाइफ को उदासीन बना लिया है और यह उदासीनता आप के कैरियर पर भी हावी हो रही है. इसलिए काम से मन उबने न पाए तो इन बातों को फौलो करें.

काम को करें ऐंजौय

जब हम एक औफिस में कई सालों तक काम करते रहते हैं तो हां के वर्क कल्चर से अच्छी तरह वाकिफ हो जाते हैं जिस से रोज वही काम करने के कारण हमें धीरेधीरे बोरियत सी फील होने लगती है. जिस का परिणाम यह होता है कि औफिस में पहुंचते ही हमें नींद आने लगती है, हम बारबार घड़ी देखते हैं कि कब लंच होगा व कब छुट्टी होगी. ऐसे में खुद को औल टाइम फ्रैश रखने के लिए जरूरी है कि आप को जो काम मिले उसे ऐंजौय करें. फिर देखिए पुरानी चीजें भी कितना मजा देती हैं.

हर दिन करें कुछ नया

भले ही वर्क पुराना है लेकिन उस में भी हर दिन कुछ क्रिएटिव करने की सोचें. जब आप काम के प्रति ज्यादा आइडियाज माइंड में ला कर उसे अपने वर्क में अप्लाई करेंगे तो उस से आप की औफिस में क्रिएटिव इमेज  बनेगी जो निश्चय ही आप के कैरियर को नई दिशा देगी.

न्यू वर्क को चैलेंज की तरह ऐक्सैप्ट करें

कई बार सिचुएशन ऐसी भी आती है कि हमें हमारी पोस्ट के विपरीत कोई ऐसा काम दे दिया जाता है जिसे करने में हम सक्षम नहीं होते और इसी कारण मन ही मन किलसते रहते हैं कि बौस ने पता नहीं कैसा सा काम थामा दिया है. इस झुंझलाहट में नए आइडियाज आना तो बहुत दूर की बात है हम काम में मन भी नहीं लगा पाते हैं. ऐसे में खुद को परेशान करने से अच्छा है कि आप को जैसा भी वर्क मिले उसे खुशीखुशी ऐक्सैप्ट करें. हो सकता है कि बौस द्वारा दिया गया यह चैलेंज आप की लाइफ ही बदल दे.

ईर्ष्या न करें

अगर आप और आप की क्लीग ने किसी प्रौजेक्ट पर बराबर मेहनत की हो लेकिन आप की टीम लीडर सारा श्रेय आप की कलीग को दे दे तो ऐसे में आप अपनी कलीग से ईर्ष्या न करें बल्कि आगे से अकेले ही पूरे प्रौजेक्ट को हैंडिल करने की जिम्मेदारी लें जिस से काम के प्रति आप का उत्साह हमेशा बना रहेगा.

काम को सैलरी से नहीं अनुभव से जोड़ें

काम के प्रति उदासीनता आने का एक कारण कम सैलरी भी होता है. जब हम वर्क में अच्छा परफौर्मेंस देते हैं लेकिन उस के बावजूद हमारा इंक्रीमैंट कम होता है तो हम यह सोचते हैं कि जब मेहनत का फल मिलना ही नहीं है तो मेहनत करने का फायदा क्या. हम से तो वही कर्मचारी अच्छे हैं जो मेहनत नहीं करते और फिर भी हमारे बराबर इंक्रीमैंट होता है. जबकि आप का ऐसा सोचना गलत है. भले ही आज आप की मेहनत की कद्र न हो लेकिन इस कंपनी से मिला अनुभव और आप की मेहनत एक दिन जरूर काम आएगी. इसलिए काम को सैलरी से नहीं अनुभव से जोड़े.

पौजिटिव लोगों के बीच रहें

हरदम नैगेटिविटी फैलाने वाले की यह कंपनी तो है ही बेकार, यार तू हतनी मेहनत क्यों करता है तू भी हमारी तरफ ऐश किया कर, इस कंपनी में रह कर तो जिंदगी बरबाद ही हो रही है. ऐसी बातें करने वाले लोगों के बीच रह कर आप कभी बेहतर नहीं सोच पाएंगे. इसलिए पौजिटिव लोगों के बीच ज्यादा रहें ताकि अच्छा सोच कर उसे अप्लाई कर पाएं.

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