नोबेल पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार अर्नेस्ट हेमिंग्वे बचपन से ही प्रतिभा के धनी थे, किंतु उन की सब से बड़ी कमजोरी थी कि वे किसी भी कार्य को सही समय पर निष्पादित नहीं कर पाते थे. एक बार उन के स्कूल में एक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया और अपनी आदतवश उन्होंने इस बार भी इस कार्य में काफी विलंब कर दिया. जब निबंध जमा करने की अंतिम तारीख करीब आई तो उन्होंने बड़ी जल्दीबाजी में निबंध पूरा किया और जमा कर दिया.
प्रतियोगिता के परिणाम के दिन सभी इस बात से आश्वस्त थे कि इस प्रतियोगिता के विजेता हेमिंग्वे ही होंगे. लेकिन सभी की आशाओं के विपरीत हेमिंग्वे उस प्रतियोगिता में असफल रहे. अपनी इस हार पर हेमिंग्वे को बहुत दुख हुआ और वे फूटफूट कर रोने लगे. हेमिंग्वे की बड़ी बहन ने उन्हें समझाया कि उस की इस हार का कारण समय की कद्र न करना है. यदि वे निबंध लेखन में देर न करते और समय रहते कुशलता से लेखन करते तो अवश्य जीतते.
हेमिंग्वे की इस हार ने उन्हें जीवन में सफलता के लिए एक महत्त्वपूर्ण सीख दी कि समय एक ऐसा धन है, जिस के गुजरने पर इसे कोई भी कीमत दे कर वापस नहीं खरीदा जा सकता. इस घटना के बाद वे जीवन में हमेशा सभी कार्य समय पर करने लगे.
जीवन में सफल तो हर कोई होना चाहता है किंतु हर व्यक्ति चाह कर भी सफल नहीं हो पाता. सफल होने की कई शर्तें हैं, जिन का हमें पालन करना होता है. समय का सदुपयोग उन में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है.
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