जब नाव गंगा नदी में डूबने लगी थी तो उस में सवार लोग तो बचाने के लिए चिल्ला ही रहे थे, किनारे खड़े लोग भी उन के बचाव के लिए चिल्लाने लगे थे. अचानक नाव में तेज हलचल हुई और उस में लगे इंजन से धुआं उठने लगा था. इस के बाद नाव 2 टुकड़ों में बंट गई थी. उस में बैठी सवारियों में जो लोग तैरना जानते थे, वे तैरने लगे थे. बाकी लोग जान बचाने के लिए शोर मचाते हुए हाथपैर चला रहे थे.

शाम का समय होने की वजह से नदी में जो भी हो रहा था, साफ नजर नहीं आ रहा था. फिर भी शोर सुन कर नदी के किनारे खड़े लोगों में से जो लोग तैरना जानते थे, उन्होंने डूब रहे लोगों को बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी थी.

35 साल की आरती अपनी 5 साल की बेटी अनुष्का को सीने से लगाए गंगा नदी में डूब गई थी. गोताखोरों ने उस की लाश को निकाला तो बेटी मां के सीने से चिपकी थी. इस दर्दनाक दृश्य को जिस ने भी देखा, उस का कलेजा कांप उठा. बाद में पता चला कि अनुष्का सुबह से ही मां से पतंग खरीदने और मेला देखने की जिद कर रही थी. बेटी की जिद की वजह से ही आरती उसे गंगा उस पार मेला घुमाने ले आई थी. आरती के पति विनोद कुमार किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे. पत्नी और बेटी की मौत से उन्हें मानो लकवा मार गया था. पटना सिटी की रहने वाली नर्मदा के परिवार के 4 लोगों की इस हादसे में मौत हो गई थी, जिस में उन की बहू, पोती और 2 नातिनें शामिल थीं. उन के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. उन की बेटी ऊषा का रोरो का बुरा हाल था. उस की 2 बेटियां अंजलि और अर्पिता पतंगबाजी का आनंद लेने गंगा उस पार गई थीं.

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