OYO Hotels  : संविधान का अनुच्छेद 21 हर तरह की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बात करता है. इसी कड़ी में अनुच्छेद 301 बहुत साफ करता है कि दो बालिगों को रजामंदी से देश में कहीं भी सैक्स करनी की आजादी है. कैसे Oyo कानून और संविधान का खुला उल्लंघन कर रहा है, आप भी जानिए –

शुरुआत मेरठ से हुई है, खात्मा कहां होगा कहा नहीं जा सकता क्योंकि इस मामले पर यह धार्मिक कहावत लागू नहीं होती कि ऊपर वाला एक दरवाजा बंद करता है तो दूसरे कई खोल भी देता है. यहां तो नीचे वाले ही प्यार पर पहरे बिठाने उतारू हो आए हैं जिस में उपर वाला भी कुछ नहीं कर सकता. करना तो अब प्रेमियों को ही पड़ेगा क्योंकि शुरुआत हो चुकी है दिल्ली और एनसीआर सहित कई दूसरे शहरों में भी मेरठ वाली धमक सुनाई देना शुरू हो गई है.

समझें बजरंग दल का मंसूबा और उसकी मंशा

बेंगुलुरु इस कहर या ज्यादती का अगला पड़ाव है वहां प्यार के शास्वत दुश्मन कट्टर संगठन बजरंगदल ने बीबीएमपी यानी बृहद बेंगुलुरु महानगर पालिका के कमिश्नर तुषार गिरिनाथ और बेंगुलुरु शहर के पुलिस आयुक्त बी दयानंद से एक्शन लेने कहा है. इस हिंदूवादी संगठन द्वारा दिए ज्ञापन में मांग की गई है कि बेंगलुरु शहर में भी मेरठ जैसा नियम लागू किया जाना चाहिए. अर्थात अविवाहित जोड़ों को होम स्टे, लाज, सर्विस अपार्टमेंट और अन्य होटलों में भी कमरे नहीं दिए जाने चाहिए. बजरंग दल के मंसूबे और मंशा तो इस से आगे भी कुछ और हैं लेकिन बात पहले मेरठ की जहां से सदाचार की क्रांति शुरू हुई जिस से उत्साहित तमाम छोटे बड़े शहरों में कट्टरवादी संगठन मुगले ए आजम के जिल्लेलाही के रोल में न दिखें तो बात हैरत वाली होगी.
मेरठ में होस्पिटेलिटी कम्पनी ओयो ने एलान किया है कि अब कुंवारे कपल्स को रूम नहीं दिए जाएंगे. ओयो होटल्स में रुकने वाले कपल्स को रिलेशनशिप सर्टिफिकेट देना होगा. इस फैसले के पीछे ओयो ने बड़ा सात्विक कारण यह बताया है कि मेरठ के लोगों ने अविवाहित कपल्स को कमरा न देने की अपील की थी. इस के अलावा देश भर के खिलाफ कई याचिकाएं भी दायर की गई हैं.

कुछ दिन पहले ही ट्रेवल पीडिया 2024 द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया था कि अनमैरिड कपल्स ओयो के जरिये ज्यादा रूम बुक करते हैं. यह और बात है कि इतनी मामूली बात के लिए किसी सर्वे की जरूरत नहीं थी. हर किसी को यह सच मालूम था. ऐसा लगता है कि प्यार करने वालों से आजादी और सहूलियत छीनने एक आधार तैयार किया जा रहा है. नहीं तो कहा तो यह भी जा सकता था कि ओयो का सब से ज्यादा इस्तेमाल युवा करते हैं. रिपोर्ट में यह इशारा भी किया गया है कि होटल से आएदिन आपत्तिजनक वीडियो वायरल होते रहते हैं. ( गोया कि अब खत्म हो जाएंगे.)
ओयो के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक विवाहित जोड़े रूम बुक करा सकते हैं लेकिन इस के लिए उन्हें औनलाइन या औफलाइन अपने पतिपत्नी होने का प्रमाण देना पड़ेगा. यानी असली पतिपत्नी के यह कह देने भर से काम नहीं चलेगा कि वे वाकई पतिपत्नी हैं. अब अपने पतिपत्नी होने का कौन सा सबूत वे पेश करेंगे यह भगवान जाने क्योंकि देश में 95 फीसदी शादियां परम्परागत तरीके से होती हैं जिस का मैरिज सर्टिफिकेट विदेश जाने के लिए पासपोर्ट जैसे दस्तावेज की जरूरत न हो तो नहीं बनवाया जाता. समाज और कानून उन के कहने भर से ही उन्हें पतिपत्नी मान लेते हैं हां कोई एक एतराज जताए या कोई विवाद हो तो जरुर शादी होने का सबूत पेश करना पड़ता है अब ओयो अपनी इमेज चमकाते बड़ी मासूमियत से कह रहा है कि इस से यानी चेक इन नियमों को बदलने से होटल में रूम लेने वाले परिवारों छात्रों और धार्मिक यात्रियों को सुरक्षित अनुभव मिलेगा.

ऐसा कतई नहीं था कि अब तक ओयो रूम लेने वाले अनमैरिड कपल्स जिन्हें और जिन के पवित्र प्यार को एक झटके में ओयो द्वारा पाप और नाजायज करार दे दिया गया है कोई गदर करते थे बल्कि वे तो चुपचाप कमरे में बंद हो कर अपने प्यार को परवान चढ़ा रहे होते थे जिस में किसी को डिस्टर्ब करने की बात की कोई गुंजाईश ही नहीं थी. उलटे उन का डर या मंशा तो यह रहती थी कि कोई उन्हें डिस्टर्ब न करे.
यह झमेला कैसे कानून और संविधान का खुला उल्लंघन कर रहा है इसे जानने से पहले थोड़ा सा ओयो के बारे में जान लें कि कैसे इस ने कानून और संविधान का ही सहारा ले कर अरबों का आर्थिक साम्राज्य खड़ा किया और अब यह सोचना बेमानी है कि वही इसे ध्वस्त कर रहा है बल्कि इस के पीछे ओयो के फाउंडर और मुखिया रीतेश अग्रवाल की मंशा और पैसा समेटने की है.

31 वर्षीय रीतेश ओडिशा के कटक के एक गांव में पैदा हुआ थे जिन के पिता की किराने की छोटी सी दुकान हुआ करती थी. रीतेश पढ़ाई के लिए कोटा होते हुए दिल्ली पहुंचे लेकिन मन न लगने या कमजोर होने के कारण बीटेक की पढ़ाई उन्होंने बीच में छोड़ दी और दिल्ली में सिम कार्ड बेचने लगे.
व्यवसायिक बुद्धि के धनी इस युवा ने 2013 में ओयो की स्थापना की और ऐप के जरिये कारोबार चलाया और फैलाया जो आज लगभग 800 करोड़ रु का है. इस बाबत उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तारीफ प्रोत्साहन और पुरुस्कार तीनों मिले. देखते ही देखते ओयो के जरिये लोगों को सस्ते और किफायती रूम मिलने लगे. इन में हर तरह के लोग थे, छात्र, बिजनेसमेन धर्मिक यात्री, शौकीन घुमक्कड़, सैलानी और इन से भी ज्यादा और अहम ये कपल्स जिन्हें प्यार रोमांस और सैक्स के लिए एकांत सुरक्षित जगह की दरकार रहती थी.
देखते ही देखते ओयो की पहचान कुंवारे कपल्स से होने लगी जो बिना किसी डर से बेहद सस्ते में कमरा बुक कराते थे और अपने तन मन की जरूरत पूरी करने के बाद अपनेअपने ठिकानों या घर लौट जाते थे. यह कोई हर्ज की या गैरकानूनी बात नहीं थी बल्कि एक नया कांसैप्ट और व्यवस्था थी जिस में सब कुछ कानून के तहत चल रहा था इसलिए ओयो ने जम कर नोट छापे.
लेकिन अब खुलेआम कानून को धता रीतेश बता रहे हैं. कोई कानून उन्हें यह फैसला लेने या व्यवस्था करने की इजाजत नहीं देता कि अनमैरिड कपल्स को होटल में कमरा नहीं दिया जाएगा. यह ठीक वैसी ही बात है कि दलितों का मंदिर में प्रवेश वर्जित है जबकि कोई कानून इस की भी इजाजत नहीं देता.

ऐसा भी नहीं है कि रीतेश को एकाएक ही धर्म, संस्कृति और समाज का लिहाज हो आया हो बल्कि वे अब चाहते यह हैं कि कुंवारे कपल्स 2 रूम बुक कराएं जिस से ओयो की आमदनी दोगुनी हो. अगर ऐसा नहीं है तो सामाजिक संगठनों के अपील की दलील बेहद खोखली है क्योंकि कहीं कोई सार्वजनिक विरोध या प्रदर्शन ओयो के विरोध में नही हुआ था. छिटपुट जो हुआ वह कतई इतना असर डालने वाला नहीं था जितना कि मासूमियत से वे जाहिर कर रहे हैं.
अब प्यार करने वाले क्या करेंगे और कहां जाएंगे यह सवाल भी बेमानी है क्योंकि ओयो के पहले भी युवा प्यार कर रहे थे और सैक्स भी कर रहे थे. गांव देहातों में ओयो नहीं हैं लेकिन वहां के युवा झाड़ियों, खेत खलिहानों और मंदिरों, खंडहरों तक में प्यार की जगह और मौके ढूंढे लेते हैं.
हां इतना जरुर है कि इस में उन्हें कई दुश्वारियों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब ओयो के इस फैसले के बाद शहरी युवाओं को भी दिक्कत होगी लेकिन वे खुद अपना रास्ता बना और ढूंढे लेंगे. हालांकि बेहतर विकल्प खुद ओयो अघोषित रूप से दे चुका है कि अब 2 कमरे बुक करो और हमें दोगुना पैसा दो

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...