विवाह को लेकर हर लडकी की कई उम्मीदें और सपने होते हैं. वह चाहती है कि ससुराल में उसे हर सुख सुविधा व बड़ों का प्यार मिले. इन्ही सपनों को लेकर जब वह ससुराल में प्रवेश करती है, तो अनेक रीतिरिवाजों से उसका स्वागत होता है. लेकिन इंदौर के बुरहानपुर में शादी के बाद के बाद ससुराल पहुंची एक दुल्हन का स्वागत एक नई रीति से हुआ. ससुराल पहुंचते ही दूल्हा उसका हाथ पकड़कर सबसे पहले टॉयलेट दिखाने ले गया, क्योंकि विवाह से पहले लड़की की शर्त थी कि लड़के के घर में अगर टॉयलेट नहीं होगा, तो वह निकाह नहीं करेगी. इसी शर्त को मानते हुए दुल्हे शेख एजाज शेख अनवर ने अपनी दुल्हन परवीन बानो के लिए पहले घर में टॉयलट बनवाया फिर निकाह किया.

परवीन बानो की यह लड़ाई अपने बुनियादी अधिकारों को लेकर थी. क्योंकि एक तरफ जहाँ महिला सशक्तिकरण और स्त्री के विशेषाधिकारों की बात जोर शोर से हो रही है, वहीं हकीकत में महिलाएं अपने बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं. ऐसा ही एक अन्य मामला उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में देखने में आया, जहां एक दुल्हन ने शादी के बाद विदाई से सिर्फ इस वजह से इनकार कर दिया क्योंकि लड़की के ससुराल में शौचालय नहीं था. अब ससुराल वाले शौचालय बनाने का इंतज़ाम कर रहे हैं, ताकि बहू को घर लाया जा सके. ऐसे मामले बार बार सामने आते रहे हैं, जब घर में शौचालय के अभाव में घर से बाहर जाने वाली लड़कियों के साथ बलात्कार हुए हैं. ऐसे में महिलाओं द्वारा इस तरह के फैसले लेना एक हिम्मत भरा कदम है.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भी भारत में टॉयलेट कम और मोबाइल फोन ज्यादा हैं. कितनी हैरानी की बात है कि विज्ञान और तकनीक के चलते इंसान बड़ी-बड़ी और असंभव चीजें तो  हासिल कर चुका है, लेकिन स्त्रियों की सबसे बुनियादी जरूरत के प्रति अभी भी इतनी अनदेखी क्यों है? शौचालयों के अभाव के चलते महिलाओं व लड़कियों को अनेक तरह की शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ज्यादा देर तक पेशाब रोकने और पानी कम पीने के कारण लड़कियों/महिलाओं के शरीर में कई खतरनाक बीमारियों के पैदा होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. गुर्दे की तरह-तरह की बीमारियां, किड़नी फेल होना, पेशाब की नलियों में रूकावट या फिर कई तरह के यूरीनरी इन्फेक्शन आदि का स्तर स्त्रियों में इसी वजह से कई गुना बढ़ जाता है. एक शोध में सामने आया है कि भारत में 16 साल की उम्र से पहले 4 प्रतिशत लड़कों के मुकाबले 11 प्रतिशत लड़कियों में पेशाब संबंधी इन्फेक्शन पाया जाता है.

हैरानी की बात है कि देश में आज भी सिर्फ 46.9 प्रतिशत घरों मे ही शौचालय की सुविधा है. ऐसे में अभिभावक और लड़कियां विवाह के समय दान दहेज़ की बजाय अगर शौचालय की उपलब्धता पर ध्यान दें तो लड़कियों को अनेक तरह की बीमारियों और तनाव का शिकार नहीं होना पड़ेगा. महिला सशक्तीकरण की दिशा में सबसे जरूरी कदम यह होगा कि उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जाए.

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