भरतपुर, राजस्थान के रहने वाले ओमी पटवारी अपनी पटवारी की नौकरी के समय में ही जयपुर में रहने लगे थे. जब उन का एकलौता बेटा अजय शादी के लायक हुआ, तो उन के साले की पत्नी रतन देवी ने उन्हें सीकर में रहने वाले महावीर राम की बड़ी बेटी मोना दिखाई. महावीर राम रोज कमा कर खाने वाले गरीब आदमी थे, लेकिन उन की बेटी मोना उन्हें पसंद आ गई. ओमी पटवारी ने बगैर दहेज लिए ही उन की बेटी से शादी कर दी थी.
मोना ने शादी के कुछ दिन बाद ही ससुराल में अपनी मनमानी शुरू कर दी. मोना और उस के पिता महावीर राम ने ओमी पटवारी और उन के परिवार के लोगों की इस भलमनसाहत को उन की कमजोरी समझ लिया. महावीर राम ने भी ओमी पटवारी के सामने अपनी मनमानी शर्तें रखनी शुरू कर दीं. जब उन्होंने इन की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया, तो महावीर राम ने उन पर दहेज के लिए अपनी बेटी को परेशान करने का मामला पुलिस में दर्ज कराने की धमकी देना शुरू कर दिया.
महावीर राम की ये बातें जब उन के छोटे भाइयों और रिश्तेदारों ने सुनीं, तो उन्होंने उन्हें खूब समझाया कि ओमी पटवारी जैसे सज्जन रिश्तेदार के साथ ऐसा सुलूक न करें. लेकिन महावीर राम ने उन की इन बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया. उन्होंने ओमी पटवारी से मुंहमांगा पैसा ले कर आपसी रजामंदी के आधार पर उन के बेटे से अपनी बेटी का तलाक करा दिया. तलाक लेने के बाद महावीर राम अपने रिश्तेदारों और समाज में ऐसे बदनाम हुए कि न तो उन की उस तलाकशुदा बेटी का कहीं कोई रिश्ता हो पाया है और न ही उन के छोटे बेटे और बेटी का रिश्ता हो पाया, जबकि उन के तीनों छोटे भाइयों के सभी बच्चों की शादी हो चुकी है.