बात 1 जुलाई की है. रात को लगभग 11 बजे एक महंगी कार विदिशा के हरि वृद्धाश्रम में आ कर रुकी. उस में से एक सुंदर लेकिन हैरानपरेशान महिला एक बुजुर्ग को ले कर उतरी. महिला का नाम नेहा और साथ उतरे उस के पिता जिन का नाम महेश तिवारी है. भोपाल निवासी 87 वर्षीय महेश तिवारी समाज कल्याण विभाग से रिटायर्ड प्रथम श्रेणी अधिकारी हैं. उन की पैंशन ही करीब 40 हजार रुपए महीना बनती है. भोपाल के पौश शाहपुरा इलाके में उन का अपना बड़ा सा मकान है. नेहा ने वृद्धाश्रम के संचालक दंपती वेदप्रकाश शर्मा और इंदिरा शर्मा से गिड़गिड़ाते अंदाज में आग्रह किया कि उस का बेटा बीमार है जिस की देखभाल के लिए वह कुछ दिनों के लिए पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ना चाहती है. अपने हालात सामान्य होते ही वह पिता को ले जाएगी.

वेदप्रकाश शर्मा द्वारा आवश्यक पूछताछ करने पर उस ने बताया कि उस के पिता एक सामान्य वृद्ध हैं और उन्हें कोई क्रिटिकल बीमारी नहीं है. आश्रम में जगह खाली थी और इंदिरा व वेद को नेहा से हमदर्दी भी हो आई थी, इसलिए उन्होंने तुरंत औपचारिकताएं पूरी करते महेश तिवारी को भरती कर लिया. टीवी सीरियल सी कहानी लेकिन महेश तिवारी सामान्य वृद्ध नहीं निकले जैसा कि नेहा ने बताया था. वे एक हिंसक वृद्ध निकले, जिस ने देखते ही देखते इस वृद्धाश्रम की शांत जिंदगी में खासा तहलका और उपद्रव मचा दिया. शुरू के दोतीन दिन सामान्य रहने के बाद उन्होंने आश्रम के दूसरे वृद्धों को भद्दी गलियां देनी शुरू कर दीं. हद तो तब हो गई जब उन्होंने दूसरे वृद्धों सहित स्टाफ के सदस्यों की पिटाई भी करनी शुरू कर दी. वेदप्रकाश महेश तिवारी का यह रौद्र रूप देख घबरा उठे जो स्वाभाविक बात भी थी क्योंकि वे बिलकुल विक्षिप्तों जैसी हरकतें कर रहे थे. आश्रम के बुजुर्गों ने इस पर एतराज जताया और स्टाफ के 2 कर्मचारियों ने तो आश्रम आना ही बंद कर दिया.

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