केरल के एक आईएएस अधिकारी एन प्रशांत कलक्टर हैं वे महज 35 साल की उम्र में इतने लोकप्रिय कलक्टर हो गए हैं कि लोग उन्हें कलक्टर ब्रदर कह कर पुकारते हैं. वे देश के पहले कलक्टर हैं जिन के फेसबुक पर 2 लाख से भी ज्यादा फौलोअर्स हैं. अनुशासन, शिष्टाचार और प्रशासनिक दृढ़ता के धनी प्रशांत कई सामाजिक गतिविधियों में भी आगे रहते हैं और मलयाली फिल्मों के लिए पटकथा यानी स्क्रिप्ट भी लिखने लगे हैं.

प्रशांत की उपलब्धियों और शानदार व्यक्तित्व से उन के बचपन की एक घटना का गहरा संबंध है. उन की मां एक मैडिकल कालेज में कार्यरत थीं. एक बार उन्हें अपने किसी काम के सिलसिले में स्वास्थ्य सचिव से मिलने जाना पड़ा तो वे प्रशांत को भी साथ ले गईं. स्वास्थ्य सचिव ने उन की मां से मुलाकात की, धैर्यपूर्वक उन की बात सुनी और बातचीत में पूरी गरिमा बनाए रखी.

प्रशांत के बालमन पर स्वास्थ्य सचिव के शिष्ट व्यवहार का इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने भी उसी वक्त आईएएस अधिकारी बनने की ठान ली और तिरुअनंतपुरम से बीए करने के बाद सरकारी ला कालेज से एलएलएम की डिग्री ली और बाद में आईएएस जैसी कठिन परीक्षा में बैठे और चुने भी गए.

शिष्टता हर किसी को अच्छी लगती है और शिष्ट व्यक्ति दूसरों के मुकाबले जल्दी तरक्की पाते हैं.

अकसर हमारे आसपास भी शिष्टता की ऐसी घटनाएं घटती रहती हैं, जरूरत इन घटनाओं को देख कर शिष्टता अपनाने की है. आजकल के किशोरों में शिष्टता कम देखने को मिलती है, जिस की कई वजह हो सकती हैं.

शिष्टता एक रा मैटीरियल है

स्कूलकालेज की उम्र और माहौल अब बेहद तनावपूर्ण और बोझिल हो गए हैं. इस उम्र में ही लोग भविष्य निर्माण की बात सोचते व उस का खाका भी अपनी शिक्षा, रुचियों और सुविधाओं के हिसाब से खींचते हैं. हर किसी का सपना एक कामयाब आदमी बनने का होता है जिस में रसूख, रुतबे और पैसों की भरमार होती है.

बेहतर भविष्य बनाने के लिए कौनकौन सी चीजें जरूरी हैं इस सवाल के जवाब में अगर आप शिक्षा, मेहनत, हुनर, पैसा, सुविधाएं और मौके गिनाते हैं तो यकीन मानें आप इन से भी ज्यादा अहम चीज शिष्टता को भूल रहे हैं, वजह शिष्टता महज एक शब्द ही नहीं बल्कि भविष्य निर्माण के लिए एक व्यावहारिक सामग्री है, जिस के माने भी बहुत व्यापक हैं.

यह धारणा गलत नहीं है कि आमतौर पर 85 फीसदी बातें और व्यवहार लोग किशोर उम्र में ही सीख लेते हैं. इन में से जो चीजें जिंदगी भर आसानी से पीछा नहीं छोड़तीं, उन में से एक है अशिष्टता, जो एक ऐसी पहचान बन कर रह जाती है जिसे कोई दूसरा तो दूर, आप खुद भी पसंद नहीं करते पर चाह कर भी इस से छुटकारा नहीं पा सकते. इसलिए व्यवहार को किशोर उम्र से ही संयमित रखना जरूरी है.

शिष्टता कैसे भविष्य निर्माण में अहम भूमिका निभाती है इस की बेहतर मिसाल नौकरी के लिए दिए जाने वाले इंटरव्यू हैं. क्या आप इंटरव्यू रूम में बगैर अनुमति जाने की हिम्मत कर सकते हैं. जाहिर है नहीं, क्योंकि ऐसा आप को सिखाया जाता है यानी किसी भी तरह की अशिष्टता या उद्दंडता आप से मौका छीन सकती है.

यहां फर्क इतना है कि अकसर आप वहां सिखाई गई शिष्टता दिखाते हैं जिस से आप को कुछ हासिल करना होता है. अगर आप लाभप्रद अवसरों पर ही मैनर्स दिखाते हैं तो यकीन मानें आप को शिष्टता सीखने की जरूरत है यानी आप पूरी तरह शिष्ट नहीं हैं और अनजाने में अपने भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं.

अकसर वे अभिभावक बच्चों के भविष्य को ले कर ज्यादा चिंतित रहते हैं जिन के बच्चे अशिष्ट होते हैं. यह अशिष्टता अकसर स्कूल या दोस्तों की संगत की वजह से आती है.

जो बच्चे 10-12 साल की उम्र तक बड़ों का सम्मान करते हैं उन में से कई बड़ी कक्षाओं तक आतेआते तू तड़ाक, अबेतबे और साले जैसे शब्दों का प्रयोग बोलचाल में करने लगते हैं. ऐसा करने में वे अपनी शान समझते हैं. इस प्रवृत्ति पर अगर वक्त रहते अंकुश न लगे तो भविष्य खतरे में पड़ सकता है.

दो टूक कहा जाए तो अशिष्टता आप को आक्रामक बनाती है और शिष्टता नम्र बनाती है. अशिष्टों को कोई पसंद नहीं करता, अत: निष्कर्ष यही निकलता है कि भविष्य उन्हीं का बेहतर बनता है जो होश संभालते ही शिष्ट बनें. सभ्य समाज अशिष्टों से हर लिहाज से परहेज करता है. खासतौर से उन किशोरों से जो किसी वृद्ध को बजाय सम्मानपूर्वक बाबा, दादा या अंकल कहने के अबे बूढ़े या बुड्ढा कह कर पुकारते हैं.

कैसे बनें शिष्ट

शिष्टता कोई दुर्लभ गुण नहीं है बल्कि बेहद आसान है. आज के समय में तो शिष्ट लोगों की पूछपरख और बढ़ती जा रही है, क्योंकि अधिकांश कंपनियां और नियोक्ता मानते हैं कि एक शिष्ट कर्मचारी ही व्यवसाय बढ़ाने में सहायक हो सकता है और उस में सकारात्मक प्रतिस्पर्धा की भी भावना होती है.

अशिष्टता के जरिए आप आक्रामक तो हो सकते हैं पर शिष्टता से हालात कैसे भी हों उन्हें नियंत्रित कर सकते हैं. भोपाल ट्रैफिक पुलिस के एक इंस्पैक्टर का कहना है, ‘‘अकसर हम बाइक चलाते स्कूली बच्चों को जब रोकते हैं तो जो बच्चे शिष्टता से पेश आते हैं उन्हें हम नसीहत दे कर छोड़ देते हैं पर जो बदतमीजी दिखाते हैं उन्हें सबक सिखाना जरूरी हो जाता है. कुछ बच्चों के तो पासपोर्ट इसलिए नहीं बन पाते कि उन के खिलाफ यातायात नियम तोड़ने का मामला दर्ज हुआ होता है. ऐसे बच्चों का भविष्य क्या होगा आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं.’’

इस इंस्पैक्टर की बात से साफ जाहिर होता है कि अशिष्ट होना अपने पांवों पर कुल्हाड़ी मारने जैसी बात है और यह बात सड़क पर ही नहीं बल्कि जिंदगी के हर क्षेत्र में लागू होती है. उदाहरण स्कूलों का लें तो शिष्ट बच्चे क्लासटीचर की पसंद होते हैं और उन पर टीचर्स ज्यादा ध्यान देते हैं जबकि अशिष्ट बच्चों से तंग आ कर टीचर्स उन पर ध्यान नहीं देते.

यहां टीचर्स को दोष नहीं दिया जा सकता. न ही उन पर किसी तरह के भेदभाव का आरोप मढ़ा जा सकता है, क्योंकि छात्र का व्यवहार तय करता है कि वह टीचर का कितना ध्यान अपनी तरफ खींच कर ज्यादा से ज्यादा शिक्षा उन से ले सकता है.

दरअसल, शिष्टता अनुशासन का एक हिस्सा है जो कामयाबी की पहली शर्त है. इसे अगर एन प्रशांत जैसे सफल आईएएस अधिकारी के उदाहरण से देखें तो ये निष्कर्ष निकल कर सामने आते हैं :

– एक छोटा बच्चा भी शिष्टता से प्रभावित होता है.

– शिष्टता कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देती है.

– जीवन में बड़ा और सफल बनने के लिए शिष्टता बेहद  जरूरी है.

– शिष्टता लोकप्रिय भी बनाती है.

– यह आप को दृढ़ भी रखती है और अपने लक्ष्य के प्रति आगाह भी करती है.

– शिष्ट व्यक्ति ही अपने विषय और कार्य में दक्ष होता है.

–  भविष्य बनाने व संवारने के लिए शिक्षा जरूरी है पर उस में शिष्टता न हो तो वह बेकार ही साबित होती है.

शिष्टता कैसे संघर्षशील लोगों को शिखर तक पहुंचाने में सहायक होती है इस की एक मिसाल सदी के महानायक के खिताब से नवाजे गए अभिनेता अमिताभ बच्चन भी हैं जिन्हें मामूली शक्लसूरत का करार देते हुए कभी निर्माता दरवाजे से भगा दिया करते थे, पर अमिताभ बच्चन की शिष्टता आखिर रंग लाई और निर्देशक प्रकाश मेहरा ने उन्हें ‘जंजीर’ फिल्म में बे्रक दिया जो 70 के दशक की एक सुपरहिट फिल्म थी.

यही अमिताभ बच्चन जब ‘कौन बनेगा करोड़पति’ नामक मेगा शो में एंकर के रूप में दिखते हैं तो उन की शिष्टता की मिसाल औडियंस देती है. उन से मिलने वाले अकसर यह कहते हैं कि वे बहुत ही सरल, नम्र और शिष्ट व्यक्ति हैं बजाय यह कहने के कि वे एक शो मैन और बहुत बड़े अभिनेता हैं.    

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