किशोर दीवाली पर कई दिन पहले से ही गली महल्लों में बमपटाखे चलाने लगते हैं. दीवाली के दिन तो आधी रात तक खूब बमपटाखों का शोर सुनाई देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बमपटाखे बारूद से बनाए जाते हैं? यदि बारूद का आविष्कार न होता तो बमपटाखे कैसे बनाए जाते? बारूद से रौकेट अंतरिक्ष में भेजे जाते हैं और युद्ध के मैदान में तोपों में भी बारूद का इस्तेमाल किया जाता है. बमपटाखे जलाने को आतिशबाजी कहा जाता है. आतिशबाजी शब्द फारसी भाषा का है. आतिश का अर्थ होता है आग. बारूद शब्द तुर्की भाषा का है.  बारूद 3 रसायनों के मिश्रण से बनता है. जब गंधक, शोरा और लकड़ी के कोयले के चूरे को आपस में मिलाया जाता है तो बारूद बनता है. बारूद बनाने के लिए शोरा, गंधक और लकड़ी के कोयले का चूरा मिलाया जाता है. बारूद बनाने के लिए सब से आवश्यक रसायन है शोरा. अंगरेजी में शोरा को ‘साल्ट पीटर’ कहते हैं. वैज्ञानिक शोरा को ‘पोटैशियम नाइट्रेट’ कहते हैं. वैसे शोरा शब्द फारसी भाषा का है. जनसाधारण में शोरे को क्षार कहा जाता है. शोरा एक प्रकार से नमक का खार होता है, जिसे मिट्टी से प्राप्त किया जाता है. आजकल शोरा सोडियम नाइट्रेट और पोटैशियम क्लोराइड से बनाया जाता है.

वैज्ञानिकों ने परीक्षणों से ज्ञात किया है कि कोई भी वस्तु औक्सीजन के बिना नहीं जल सकती, लेकिन बारूद औक्सीजन के बिना जलता है. कुछ वस्तुएं ऐसी भी होती हैं जो जलने के लिए स्वयं औक्सीजन उत्पन्न करती हैं. बारूद भी ऐसी ही वस्तु है. इस में मिलाए गए गंधक और कोयले के चूरे को जलाने के लिए औक्सीजन शोरे से मिलती है. ऐसी स्थिति में बारूद को जलाने के लिए वायुमंडल की औक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती.

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