भारत में जनसंख्या विस्फोट है तो क्या इसका एकमात्र कारण मुसलमानों द्वारा अधिक बच्चे पैदा करना है. या फिर मुसलमान जानबूझकर अपनी संख्या बढ़ते जा रहे हैं. यह बातें सही हैं या गलत, यह अलग बहस का विषय है. लेकिन, फिल्म 'हमारे बारह' कुछ इसी तरह के प्रोपेगेंडा को लेकर बनाई गई है. समाज में एक बड़ा वर्ग इसी तरह की चर्चा कर रहा है.
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प्रोपेगेंडा मूवी के दौर में हिंदू-मुसलमान करने वाली कहानी खास करके सामने लाई जा रही हैं. रातोंरात चर्चा में आने का यह सबसे आसान रास्ता भी बन गया है. लेकिन, समाज के बीच इस तरह से विभाजन की लकीर खींचने वाला, दूसरे के प्रति दुर्भावना पैदा करने वाला प्रोपेगेंडा अच्छा तो कतई नहीं। फिल्म 'हमारे बारह' के संदर्भ में इसे देखा जाए तो एक तरह से मुसलमानों पर बड़ी तोहमत लगाई गई है. हकीकत क्या है और इसमें फरेब कितना है, इस पर नजर जरूरी है.
'हमारे बारह' मूवी ने भारत में मुसलमानों की बढ़ती आबादी पर सवाल उठाए हैं. इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से एक मुसलमान परिवार दर्जनभर बच्चे पैदा कर रहा है. इनके घरों की औरतें धड़ाधड़ एक के बाद एक बच्चा पैदा करने में लगी है. इसकी सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय का कहना था कि हमें इसके ट्रेलर में अभी भी आपत्तिजनक डायलॉग्स जारी है, सीबीएफसी जैसी वैधानिक संस्था अपना काम करने में विफल रही है. उच्चतम न्यायालय ने ऐसा उन आरोपों का संज्ञान लेते हुए किया जिसमें यह कहा गया है कि इसमें मुस्लिम महिलाओं का अपमान किया गया है.