उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले का डौंडियाखेड़ा गांव देश के नक्शे में कहां है, कल तक कोई वाकिफ नहीं था. लेकिन पिछले दिनों एक साधु के सोने के खजाने से जुड़े तथाकथित स्वप्न ने इस गांव को रातोंरात मीडिया, नेता और नौकरशाहों के साथसाथ आम लोगों के पर्यटन स्थल में तबदील कर दिया है. शोभन सरकार के सपने के सोने पर हो रही सियासत, नौकरशाही की सक्रियता व खबरिया चैनलों का बेवकूफाना तमाशा क्या रंग लाएगा और क्या है खजाने का पूरा सच, पढि़ए शैलेंद्र सिंह की रिपोर्ट में.
खजाने की खोज की अफवाहें पूरी दुनिया में उड़ती रहती हैं. कई बार पुरातत्त्व विभाग भी ऐसे झांसे में आ जाता है. उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा गांव में ऐसे ही एक खजाने की खोज शुरू हुई. इसे खबरिया चैनलों ने जिस तरह से सनसनी बना कर पेश किया उस से उन की पत्रकारिता पर सवाल खडे़ हो गए हैं. जैसेजैसे खुदाई बढ़ती गई परत दर परत राजनीति की ईंटें भी उखड़ने लगीं. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में होड़ लग गई कि अफवाह का सब से बड़ा पैरोकार कौन है?
पूरे मामले में जनता के बीच फैला अंधविश्वास भी खुल कर सामने आ गया. 1 हजार टन सोना मिलने की आहट से ही लोग अपना कामधाम छोड़ कर उधर दौड़ पडे़. इस से डौंडियाखेड़ा में रहने वाले उन लोगों का कुछ लाभ जरूर हो गया जो खानेपीने की दुकानें चलाते थे. 20 रुपए बिकने वाले दूध की कीमत 45 रुपए और चाय की कीमत 8 रुपए हो गई. 7 फुट गहरी खुदाई तक पुरानी लखौरी ईंटों की दीवार मिलने से पुरातत्त्व विभाग खुश है. उस का कहना है कि पुरानी धरोहर किसी खजाने से कम नहीं होती है.
खजाने की इस कहानी को सिलसिलेवार पढ़ने से सचाई की झलक मिलने लगती है. राजधानी लखनऊ से 70 किलोमीटर दूर उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा गांव में राजा राव रामबक्श सिंह का एक किला है. इस गांव को अब संग्रामपुर के नाम से जाना जाता है. अब यह किला एक टीले के रूप में दिखता है. यहां एक पुराना शिवमंदिर है. इस को देख कर ही अंदाजा लगता है कि यह काफी पुरानी जगह है. यह जगह पुरातत्त्व विभाग के अधीन है. जंगलनुमा इस जगह पर कोई आताजाता नहीं था. डौंडियाखेड़ा के इस किले में खजाना है, यह अफवाह काफी लंबे समय से इस क्षेत्र के लोगों से सुनी जा रही थी. यहीं पास में शोभन सरकार का आश्रम है. इस इलाके में रहने वाले लोग शोभन सरकार को भगवान की तरह मानते हैं.
खुदाई में सियासी पेंच
शोभन सरकार आश्रम में रहने वाले स्वामी भास्करानंद देव की तरफ से सितंबर में एक पत्र उन्नाव के डीएम, सांसद और प्रधानमंत्री को भेजा जाता है. पत्र में लिखा गया था कि ‘डौंडियाखेड़ा में राव रामबक्श के किले में 1 हजार टन सोने का खजाना दबा है. राजा राव रामबक्श की आत्मा ने शोभन सरकार से कहा है कि यह खजाना निकाल कर देश के खजाने में जमा करा दिया जाए, जिस से देश की खराब होती आर्थिक हालत में सुधार आ जाएगा.’ शुरुआत में पत्र को गंभीरता से नहीं लिया गया. इसी बीच, छत्तीसगढ़ से सांसद व केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री चरणदास महंत शोभन सरकार आश्रम के संपर्क में आते हैं. खजाने की बात उन को पता चलती है. वे उन्नाव आ कर शोभन सरकार से मिलते हैं. इस के बाद खजाने की खुदाई में जो तेजी एएसआई दिखाती है वह देखते ही बनती है.
29 सितंबर को चरणदास महंत के निजी सचिव द्वारा भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण यानी जीएसआई उत्तरी क्षेत्र को ईमेल द्वारा पत्र भेजा जाता है. चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री सहित दूसरे लोगों से मौखिक बात भी की. इस के बाद खजाने की खुदाई की प्रक्रिया में तेजी आनी शुरू हो गई. 3 और 4 अक्तूबर को जीएसआई की सर्वे टीम ने डौंडियाखेड़ा आ कर सर्वे का काम पूरा कर लिया. 10 अक्तूबर को भारतीय पुरातत्त्व विभाग यानी एएसआई ने सर्वे रिपोर्ट को गहराई से पढ़ कर खुदाई की तारीख तय कर दी. दरअसल, खुदाई की इसी तारीख ने राजनीति के पेंच को खोलना शुरू कर दिया था. एएसआई ने 18 अक्तूबर को डौंडियाखेड़ा में खजाने की खुदाई करने की तारीख तय की. डौंडियाखेड़ा से करीब 92 किलोमीटर की दूरी पर 19 अक्तूबर को भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश में अपनी पहली रैली कानपुर में करने वाले थे.
मीडिया का पीपली लाइव
एएसआई के कुछ लोग भी इस खजाने की खोज में दिखाई गई तेजी से हैरान थे. उस समय तक यह बात फाइलों में चल रही थी. अचानक 14 अक्तूबर से खबरिया चैनलों ने खजाने की खुदाई को तिलस्मी बना कर पेश करना शुरू कर दिया. खबरिया चैनलों के कार्यक्रमों में बाबा, सपना, किला, राजा और आत्मा को ले कर तमाम खबरें दिखाई जाने लगीं. इमेजिनेशन का खूब इस्तेमाल कर कार्यक्रमों को सनसनीखेज बनाया गया. स्टूडियो में बैठी ऐंकर सोने के पिंजडे़ जैसी लिफ्ट से जमीन के अंदर जा कर दिखाती थी कि खजाना कैसे दिखता है. हकीकत में खंडहर सा दिखने वाला राव रामबक्श सिंह का किला स्टूडियो में सोने सा चमक रहा था. घोडे़ पर चढ़ी राव रामबक्श सिंह की मूर्ति खरे सोने सी चमक रही थी. हर चैनल में इस बात की होड़ लग गई कि वह इस सनसनी को कैसे फैलाए?
खबरिया चैनलों ने ही यह अफवाह फैलाई कि बाबा के सपने में आ कर राजा ने खजाना निकालने की बात कही है. इस के बाद खबरिया चैनलों ने अपने कार्यक्रमों में बाबाओं, स्वप्न विशेषज्ञों को बैठा सपनों का महिमामंडन करना शुरू कर दिया. 2 दिन में ही खबरिया चैनलों में ऐसी होड़ मच गई कि हर तरफ सोने के खजाने का शोर मच गया. खजाना निकलने के बाद देश का कितना भला हो जाएगा? रिजर्व बैंक की हालत कितनी मजबूत हो जाएगी? रुपए का भाव कितना बढ़ जाएगा? देश में महंगाई खत्म हो जाएगी और विकास ही विकास नजर आएगा, ये सारा आकलन होने लगा. उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश के दूसरे हिस्सों में भी खजाने की कहानी का असर दिखने लगा. पूरे देश में खजाने के प्रति कुतूहल बढ़ता जा रहा था.
18 अक्तूबर को डौंडियाखेड़ा में जब खजाने की खुदाई का काम शुरू हुआ तो 30 खबरिया चैनलों की ओबी वैन उस जंगल में पहुंच चुकी थीं. कुछ चैनलों के पास तो वीडियो कैमरे कम पड़ गए तो कानपुर और लखनऊ से किराए पर कैमरे मंगवाए गए. 20 से 25 हजार रुपए के किराए पर कैमरे मिले. खबरिया चैनलों में लगी होड़ देखते ही बन रही थी. उन के संवाददाता जिसे भी देख रहे थे उसी के पीछे भाग रहे थे. शोभन सरकार और उन के लोगों की एकएक बाइट हासिल करने में ऐसी जद्दोजेहद मची थी जैसे ओलिंपिक का मैडल बंट रहा हो. शाम को शोभन सरकार ने अपने आश्रम में 35 पत्रकारों से इस शर्त पर बात की कि कोई उन का फोटो नहीं लेगा. पत्रकारों को गहन तलाशी के बाद उन तक पहुंचाया गया.
20 मिनट की बातचीत में शोभन सरकार ने खजाने का एक पुराना सा नक्शा दिखाया. बहुत ज्यादा बात नहीं की. इस के बाद पत्रकार बाहर निकले तो यह होड़ मच गई कि कौन अपने चैनल पर सब से पहले यह बता दे कि वह शोभन सरकार से मिल चुका है. हर चैनल पर पत्रकार चीखचीख कर कह रहा था कि शोभन बाबा ने खासतौर पर उस से ही बात की है. यहीं पर, शोभन सरकार की तरफ से ओम बाबा मीडिया से मिलने लगे. ओम बाबा ने एक नया दावा किया कि केवल डौंडियाखेड़ा ही नहीं, फतेहपुर के आदमपुर और कानपुर में भी सोने का खजाना है. वहां के डीएम को भी खुदाई का पत्र दिया गया है.
काम न आया पूजापाठ
18 अक्तूबर को डौंडियाखेड़ा में सुबह 11 बजे से खजाने की खुदाई का काम शुरू हुआ. इस के पहले सुबह 4 बजे मीडिया से बचते हुए शोभन सरकार ने खजाने की खुदाई वाली जगह पर पूजापाठ किया. खुदाई के लिए पहला फावड़ा मारने का काम वहां के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, डीएम और उन्नाव के एसपी जैसे अधिकारियों ने किया. पुरातत्त्व विभाग की यह पहली खुदाई थी जिस के पहले इतना पूजापाठ किया गया था. पुरातत्त्व विभाग के लोगों ने मजदूरों के साथ मिल कर खुदाई शुरू की तो लोगों का उत्साह कम होने लगा. इस समय तक पुरातत्त्व विभाग के लोगों ने साफ कर दिया था कि 15 फुट की खुदाई में कम से कम 1 महीने का समय लगेगा. पुरातत्त्व विभाग ने यह भी कहना शुरू कर दिया था कि हम खजाने के लिए खुदाई नहीं कर रहे हैं.
29 अक्तूबर तक केवल 4.8 मीटर गड्ढे की खुदाई हुई थी. अब तक यह साफ हो गया कि 1 हजार टन सोना मिलने की बात कोरी अफवाह ही है. ऐसे में खबरिया चैनलों को अपना जमीर याद आने लगा. एक चैनल ने पूरे मामले में खबरिया चैनलों की भूमिका पर सवाल उठा कर अपना दामन पाकसाफ दिखाने की कोशिश शुरू कर दी. खबरिया चैनलों के साथ ही साथ धर्म और आडंबर का समर्थन करने वाले कुछ अखबारों ने भी खजाने की खोज के आधार पर सपने बुनने शुरू कर दिए थे. सवाल उठता है कि ऐसे सपने दिखा कर जनता को गुमराह करना कितना उचित है. लेखक और स्तंभकार हनुमान सिंह ‘सुधाकर’ कहते हैं, ‘‘खबरिया चैनलों की विश्वसनीयता तो पहले से ही कम हो गई थी. अब समाचारपत्र भी उस होड़ में शामिल हो गए जो अच्छे लक्षण नहीं हैं.’’
खजाने के बंटवारे की होड़
खजाना मिला नहीं पर उस के बंटवारे की होड़ शुरू हो गई. शोभन सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को कहा गया था कि खजाने का 20 फीसदी हिस्सा स्थानीय विकास पर खर्च हो. ऐसे में उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार को कहां चैन आने वाला था. कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी और समाजवादी पार्टी के महासचिव नरेश अग्रवाल ने कहा कि खजाने पर पहला हक उत्तर प्रदेश का होगा. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 18 अक्तूबर को एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कानुपर गए तो कहा कि हम चाहते हैं कि बाबा की बात सही निकले. प्रदेश के राज्यमंत्री का दरजा प्राप्त सुनील यादव ने शोभन सरकार से मुलाकात करने के बाद कहा कि संत का दावा अकाट्य है. खजाने से प्रदेश के विकास का खाका खींचा जाए. सुनील यादव ने भी खजाने पर उत्तर प्रदेश के दावे को मजबूती के साथ रखा.
सरकार ही नहीं, राजा राव रामबक्श और उन के सेनापति तक के करीबी होने का दावा करने वाले लोग भी जुट गए. वे सब भी खजाने में अपनी हिस्सेदारी मांगने लगे. वहीं, अखिल भारतीय क्षत्रिय समाज ने भी राजा के खजाने पर अपना दावा ठोंक दिया. राजा के इस किले में जहां कोई दिन में भी जाने का साहस नहीं करता था वहां मेला लग गया था. 200 पुलिस के जवान भीड़ को संभालने के लिए लगाए गए. प्रशासन ने खुदाई वाली जगह को चारों ओर बांस गाड़ कर घेर दिया. जैसेजैसे खजाने की खुदाई बढ़ रही थी, लोगों का सपना टूट रहा था.
6 फुट की खुदाई पर भूरे रंग की मिटट्ी मिलने के बाद शोभन सरकार के पैरोकार ओम बाबा ने नया दावा किया कि 15 फुट की खुदाई पर आश्चर्यजनक चीजें मिलेंगी.
नेताओं की तूतूमैंमैं
भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 अक्तूबर को चेन्नई में कहा, ‘पूरी दुनिया हम पर हंस रही है. किसी ने खजाने का सपना देखा और सरकार ने खुदाई का काम शुरू कर दिया. अगर देश का काला धन वापस लाने का प्रयास होता तो खजाने की खुदाई की जरूरत नहीं पड़ती.’ हमेशा संत और बाबाओं का साथ देने वाली भाजपा शोभन सरकार के खिलाफ बोलने लगी. इस के पीछे की वजह केवल इतनी थी कि खजाने की खोज की चमक ने नरेंद्र मोदी की 19 अक्तूबर को होने वाली रैली को फीका कर दिया था.
चेन्नई में खजाने की खोज को जगहंसाई बताने वाले नरेंद्र मोदी ने कानपुर की अपनी रैली में इस विषय पर एक शब्द भी नहीं बोला. यही नहीं, जब वे कानपुर से वापस गुजरात गए तो शोभन सरकार का गुणगान किया. भाजपा ने कानपुर के एक नेता को दूत बना कर शोभन सरकार से मिलने के लिए भेजा.
18 अक्तूबर को ही शोभन सरकार की तरफ से एक पत्र नरेंद्र मोदी को लिखा गया था. पत्र में कई बातें लिखी गईं. इस के जवाब में भाजपा के प्रवक्ता रामेश्वर चौरसिया का बयान आया कि पत्र को देखने के बाद लगता है कि इस को कांग्रेस की तरफ से लिखा गया है. इसी बीच, मेरठ में कुछ लोगों ने शोभन सरकार के पैरोकार ओम बाबा को पहचान लिया. पूछने पर पता चला कि ओम बाबा का पहले नाम ओम अवस्थी था. वे कांग्रेस पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता थे. 15 साल पहले वे मेरठ से कानपुर चले आए. टीवी पर देख कर लोगों ने उन को पहचान लिया.
भाजपा नेता शोभन सरकार पर वार करने से बच रहे हैं पर ओम बाबा से वे खफा हैं. इन नेताओं का मानना है कि कांग्रेस के दबाव में ओम बाबा ने यह पूरा काम किया है. दूसरी पार्टियां भले ही इस मसले पर चुप हो गई हों पर जनता दल युनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस की आलोचना की. शरद यादव ने तो इस पूरे प्रकरण में अहम रोल निभाने वाले केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत और एएसआई के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा कायम कराने की बात भी कही है.
अंधविश्वासियों का देश कहे जाने वाले भारत के नेता, नौकरशाह और प्रिंट व इलैक्ट्रौनिक मीडिया सभी का विश्वास सोने के खजाने पर डगमगा रहा है. कभी विश्वास तो कभी अविश्वास के फेर में पड़े इन ताजा अंधविश्वासियों के अंधविश्वास पर विश्वास को देख पुराने अंधविश्वासी, जिन में ज्यादातर महिलाएं हैं, मुसकराते मजे ले रहे हैं.
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फर्जी चमत्कारों पर जीता देश
ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों की इस पावन भारतभूमि पर सपनों में खोए लोगों का मजमा कब, कहां लग जाए, यह कोई हैरत की बात नहीं है. साधु शोभन सरकार ने अपना सपना केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री चरणदास महंत को सुनाया तो वह भला सपने को बकवास कैसे कह सकते थे. उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और केंद्र में सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी संप्रग की अध्यक्ष सोनिया गांधी को बताया. ऐसा खजाना हाथ लगने वाला हो तो किसी भी साधु की बात पर भरोसा किया जा सकता है. सपना साधु का था तो मिथ्या हो ही नहीं सकता. लिहाजा, भारतीय पुरातत्त्व विभाग यानी एएसआई और भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण यानी जीएसआई ने खोज कर बताया कि वास्तव में जमीन के नीचे कोई ‘धातु’ अवश्य है.
सरकार अपने महकमों की जांच से खुश हो गई. हो भी क्यों नहीं. आखिर हम उस भारतभूमि में रहते हैं जहां पहले भी राजा, महाराजा अपने साधुसंन्यासियों और राजपुरोहितों के सपनों के आधार पर ही राजकाज चलाया करते थे. यह देश बड़ेबड़े स्वप्नदृष्टा ऋषि, मुनियों, साधुसंतों, तपस्वियों की भूमि है जहां पहले भी इस तरह की महान विभूतियां अपने तप, अंतरदृष्टि के जरिए गड़े खजानों का अतापता बताती रही हैं.
देश हमेशा से भरोसा करता आया है कि साधु का सपना कभी झूठ नहीं होता. साधु की वाणी, वचन कभी खाली नहीं जाता. देश को साधुओं पर गहरी आस्था है. इस देश की पावन पवित्र भारतभूमि पर त्रिकालदर्शी ऋषि, मुनि, साधुसंत सदियों से वास करते आए हैं. शोभन सरकार के सपने में शामिल सरकार खुश है कि हजार टन सोना आएगा तो देश की अर्थव्यवस्था सुधर जाएगी. अर्थव्यवस्था सुधारने का जो काम सरकार स्वयं नहीं कर पाई, चलो शोभन सरकार का सपना ही पूरा कर देगा, इसलिए सरकार साधुओं, गुरुओं से दिशानिर्देश प्राप्त करने लगी है.
वहीं, कुछ लोगों को यह बात हजम नहीं हो रही क्योंकि साधु ने सपने के सोने की मात्रा इतनी अधिक बताई है कि पूरे उत्तर प्रदेश के छोटेमोटे ईंट भट्ठों में ईंट का उत्पादन भी उतना नहीं होता होगा.
डौंडियाखेड़ा ही नहीं, पूरे उन्नाव जिले में लोगों का विश्वास है कि शोभन सरकार ने कहा है तो 1 हजार टन सोना निकलेगा ही. यह बात लोग छाती ठोंक कर कह रहे हैं. साधु के समर्थन में वे उन के तमाम चमत्कार गिनाते घूम रहे हैं, जिन में एक यह भी है कि एक बार शोभन सरकार ने अपने आश्रम में एक पेड़ को हिलाया तो इतने रुपए गिरे कि लोग गले तक ढक गए थे.
हमारी धर्र्म की किताबें भी तो गड़े खजाने के किस्से कहती हैं. हमारे यहां समुद्र मंथन से 14 बेशकीमती रत्न निकलने की कथा इस देश का बच्चाबच्चा जानता है. साधु, संत, गुरु, प्रवाचक यह कथा अपने लगभग हर प्रवचन में सुनाते भी हैं.
स्कंध पुराण के अनुसार, एक बार की बात है, शिवजी के दर्शनों के लिए दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ कैलास जा रहे थे. मार्ग में उन्हें देवराज इंद्र मिले. इंद्र ने दुर्वासा ऋषि और उन के शिष्यों को प्रणाम किया. तब दुर्र्वासा ने इंद्र को आशीर्वाद दे कर विष्णु भगवान का पारिजात पुष्प प्रदान किया. इंद्रासन के गर्व में चूर इंद्र ने उस पुष्प को अपने ऐरावत हाथी के मस्तक पर रख दिया. उस पुष्प का स्पर्श होते ही ऐरावत सहसा विष्णु भगवान के समान तेजस्वी हो गया. उस ने इंद्र का परित्याग कर दिया और उस दिव्य पुष्प को कुचलते हुए वन की ओर चला गया.
इंद्र द्वारा भगवान विष्णु के पुष्प का तिरस्कार होते देख दुर्वासा के क्रोध की सीमा न रही. उन्होंने देवराज इंद्र को श्री(लक्ष्मी)हीन हो जाने का शाप दे दिया. दुर्वासा ऋषि के शाप के फलस्वरूप लक्ष्मी उसी क्षण स्वर्गलोक को छोड़ कर अदृश्य हो गई. लक्ष्मी के चले जाने से इंद्र आदि देवता निर्बल और श्रीहीन हो गए. उन का वैभव लुप्त हो गया. इंद्र को बलहीन जान कर दैत्यों ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया और देवगण को पराजित कर के स्वर्र्ग पर अपना परचम फहरा दिया. तब इंद्र देवगुरु बृहस्पति और अन्य देवताओं के साथ ब्रह्माजी की सभा में उपस्थित हुए. तब ब्रह्माजी बोले, देवेंद्र, भगवान विष्णु के भोगरूपी पुष्प का अपमान करने के कारण रुष्ट हो कर भगवती लक्ष्मी तुम्हारे पास से चली गई हैं. उन्हें फिर से प्रसन्न करने के लिए तुम भगवान नारायण की कृपादृष्टि प्राप्त करो. उन के आशीर्वाद से तुम्हें खोया वैभव फिर से मिल जाएगा.
ब्रह्माजी ने इस प्रकार इंद्र को आश्वस्त किया और उन्हें ले कर भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे. देवताओं ने आने का प्रयोजन बताया. भगवान विष्णु त्रिकालदर्शी हैं. वे पलभर में ही देवताओं के मन की बात जान गए. तब वे देवगण से बोले, देवगण, मेरी बात ध्यानपूर्वक सुनें क्योंकि केवल यही तुम्हारे कल्याण का उपाय है. दैत्यों पर इस समय काल की विशेष कृपा है इसलिए जब तक तुम्हारे उत्कर्ष और दैत्यों के पतन का समय नहीं आता, तब तक तुम उन से संधि कर लो. क्षीरसागर के गर्भ में अनेक दिव्य पदार्थों के साथसाथ अमृत भी छिपा है. उसे पीने वाले के सामने मृत्यु भी पराजित हो जाती है. इस के लिए तुम्हें समुद्रमंथन करना होगा. यह कार्य अत्यंत दुष्कर है. इस कार्य में दैत्यों की सहायता लो. कूटनीति भी यही कहती है.
भगवान विष्णु के बताए अनुसार, इंद्र आदि देवतागण दैत्यराज बलि के पास संधि का प्रस्ताव ले कर गए और उन्हें अमृत के बारे में बता कर समुद्रमंथन के लिए तैयार कर लिया. समुद्रमंथन के लिए समुद्र में मंदराचल को स्थापित कर वासुकि नाग को रस्सी बनाया गया. उस के बाद दोनों पक्ष अमृत प्राप्ति के लिए समुद्रमंथन करने लगे. भगवान कच्छप के एक लाख योजन चौड़ी पीठ पर मंदराचल पर्वत घूमने लगा. समुद्रमंथन में सब से पहले जल का हलाहल विष निकला. फिर अमृतमयी कलाओं से परिपूर्ण चंद्रदेव प्रकट हुए. कामधेनु गाय निकली. फिर उच्चै:श्रवा अश्व निकला. यह समस्त अश्व जाति में एक अद्भुत रत्न था.
उस के बाद गज जाति में रत्नभूत ऐरावत हाथी प्रकट हुआ, अब की बार समुद्र से संपूर्ण भुवनों की एकमात्र अधीश्वरी दिव्यरूपा देवी महालक्ष्मी प्रकट हुईं. कौस्तुभमणि, कल्पद्रुम, रंभा नामक अप्सरा निकलीं. इस के बाद कन्या के रूप में वारुणि प्रकट हुई. फिर पारिजात वृक्ष व पांचजन्य शंख निकले और आखिर में धन्वंतरि वैद्य अमृत का घट ले कर प्रकट हुए.
तंत्रमंत्रों के सहारे गड़ा धन निकालने के दावे
‘कामाक्षा सिद्घि’ नामक पुस्तक में पृथ्वी में गड़ा धन दिखने के मंत्र बताए गए हैं. पुस्तक में एक जगह लिखा है,‘ॐ हृं क्लीं सर्वोषधी प्रणते नमो विच्चे स्वाहा.’
इस मंत्र की साधना के लिए विधि भी कही गई है,‘‘काले कौए की जीभ को काली गाय के दूध में औटा कर जमाने के बाद उस से घी निकाल कर, घी को उक्त मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित कर के आंखों में आंजे तो गड़ा हुआ धन दिखाई देने लगता है अथवा उक्त घी को दीपक में जला कर काजल बनाएं. उस काजल को जो मनुष्य पांव की ओर से जन्मा (विष्णु पांव) हो, उस की आंखों में लगाए तो उसे पृथ्वी का गड़ा हुआ धन दिखाई देता है.’’
इसी पुस्तक में कुछ और विधि बताई गई हैं :
- काले रंग की इकरंगी मुरगी, जिस का मांस भी काला हो, उस की चरबी को अपनी आंखों में आंजने से पृथ्वी में गड़ा हुआ धन दिखाई देने लगता है.
- जिस स्थान पर कौए मैथुन करें और उसी स्थान पर सिंह आ कर बैठै, तो ऐसे स्थान में धन गड़ा हुआ है, ऐसा जान लेना चाहिए.
पृथ्वी में गड़ा धन जानने के और भी नियमानुसार तंत्र हैं.
- लाल पूंछ वाली वामनी को पकड़ कर उस का रक्त निकाल लें. फिर उस में मैनसिल मिला कर पीसें, इस अंजन को आंखों में आंजने से पृथ्वी में गड़ा हुआ धन दिखाई देगा.
- शुभ तिथि, वार व नक्षत्र में काली गाय के दूध को जीभ पर रखें और उस के घी को दोनों आंखें में आंजें तो पृथ्वी में गड़ा हुआ धन दिखाई देगा.
- एक ऐसी काली मुरगी लें जिस का मांस भी काला हो, उस मुरगी के मांस को आंखों में आंजने से पृथ्वी में गड़ा धन दिखाई देगा.
- जिस जगह से कमल पुष्प जैसी गंध आती हो वहां धन गड़ा हुआ समझना चाहिए. जहां आसपास कोई जलाशय न हो, परंतु सूर्य की तेज धूप में भी जिस स्थान की मिट्टी नम रहती हो, वहां धन गड़ा हुआ समझना चाहिए.
इस पुस्तक में और भी साधन बताए गए हैं:
- दीपावली की रात में श्मशान में जा कर मनुष्य के कपाल में दीपक जला कर काजल पारें फिर उस काजल का आंख में अंजन करें तो पृथ्वी के भीतर गड़ी हुई वस्तुएं दिखाई देंगी.
- तुलसी, तुरंत मरे हुए मनुष्य के पेट का पानी, गोरोचन व शर्करा, इन सब को इकट्ठा कर 8 दिन तक धूप में रखें और 9वें दिन उन का अपनी आंखों में अंजन करें तो पृथ्वी में गड़ी हुई वस्तुएं दिखाई देंगी.
- कौए के रक्त में मैनसिल को भिगो कर छाया में सुखा लें. फिर उसे कूटपीस कर कपड़छन कर के आंखों में अंजन करें तो पृथ्वी में गड़ी हुई वस्तुएं दिखाई दे उठेंगी.
- काले कौए की जीभ तथा मांस को ले कर आक के सूत में लपेट कर बत्ती बनाएं और उसे बकरी के घी में भिगो कर रात के समय दीपक में जला कर काजल पारें. उस काजल को आंखों में लगाने से पृथ्वी के भीतर पड़ी हुई वस्तुएं दिखाई देंगी.
शोभन सरकार ने सपना कैसे देखा, यह रहस्य भी हमें मिल गया है. उन्होंने जरूर ‘कामाक्षी सिद्धि’ नामक पुस्तक पढ़ कर कड़ी मशक्कत की होगी तब जा कर स्वप्न में गड़ा सोना दिखाई पड़ा है. यह रहस्य क्या है, कैसे स्वप्न में गड़े धन का पता लगाया गया, आप भी जान लीजिए :
‘‘गुरुवार के दिन एक कौए को पकड़ कर पिंजरे में बंद कर दें. यदि धन गाड़ने वाला व्यक्ति पुरुष है तो नर कौए को और स्त्री हो तो मादा कौए को पकड़ना चाहिए. 3 दिन तक कौए को सामान्य दानापानी के अतिरिक्त दिन में एक बार किसी भी समय शुद्ध शहद के साथ गेहूं की रोटी भी अवश्य खिलानी चाहिए. चौथे दिन उस कौए को मार कर चोंच सहित उस के सिर को अलग कर लें व उस के शरीर के शेष भाग को पृथ्वी में गाड़ दें. फिर उस सिर को किसी लकड़ी की डब्बी में बंद कर के सुखाने के लिए किसी अंधेरी कोठरी में रख दें.
‘‘40 दिन बाद उस डब्बी को देखें. तब तक वह सिर सूख चुका होगा. तत्पश्चात उस सूखे हुए सिर को शुक्रवार के दिन 1 घंटे के लिए तेज धूप में रख दें और उस में 10 बूंद शुद्घ गुलाबजल व 1 माशा बढि़या शराब डाल कर डब्बी को फिर बंद कर दें. फिर अमावस्या की आधी रात के समय उस डब्बी को अपने सोने की चारपाई के सिरहाने जमीन में 1 फुट गहरा गड्ढा खोद कर गाड़ दें तथा स्वयं उसी चारपाई के ऊपर प्रतिदिन सोया करें. सोते समय सिर पूर्व की ओर व पांव पश्चिम की ओर रखने चाहिए.
‘‘उक्त कौए के सिर को सूखने में जितने दिन लगे हों (लगभग 40-50 दिन), उतने दिनों तक इसी प्रकार सोते रहें. इसी अवधि में किसी रात को सोते समय स्वप्न में गड़े हुए धन की पूरीपूरी सूचना मिल जाएगी और जागने पर स्वप्न की पूरी याद भी बनी रहेगी. तब उस सूचना के अनुसार, निश्चित स्थान पर पहुंच कर वहां गड़े हुए धन को निकाल लेना चाहिए.’’
इस के बाद जब आप को धन दिख जाए तो उस धन को खोदने का मंत्र भी सीख लीजिए: ‘‘ॐ नमो भगवति सुमेरू रूपायै महाक्रांतायै कै कालरूपायै फट् स्वाहा.’’ और विधि भी समझ लीजिए: ‘‘पहले बिनौले, मूंग और तिल को गोमूत्र में पीस कर अपने शरीर पर लगाएं. फिर जहां खोदना हो वहां चौका लगा कर, बलिदान दे कर उक्त मंत्र का पाठ करें. फिर इसी मंत्र से गेहूं और तिल का होम करें. इस प्रकार 7 दिन तक करने के बाद शुभ नक्षत्र देख कर उस स्थान को खोदें तो सर्प आदि का भय नहीं होगा.’’
‘इच्छापूरक सिद्घियां’ नामक पुस्तक में भी गड़े धन की प्राप्ति के यंत्र बताए गए हैं. यंत्र इस प्रकार हैं:
‘‘बेलपत्र के रस हरताल तथा मैनसिल के मिश्रण द्वारा बेल कीलकड़ी के कलम से किसी शुभ स्थान पर बैठ कर पृथ्वी पर 2 हजार बार लिखने से गड़े हुए धन की प्राप्ति होती है तथा मनोभिलाषाएं पूर्ण भी होती हैं.’’
लेकिन इन तमाम तरीकों से अब तक कहांकहां, कबकब, कितना गड़ा खजाना मिला, इस बात का जिक्र कहीं नहीं है.
सरकार ने बेमतलब ही जीएसआई, एएसआई जैसे महकमे बना रखे हैं. उसे सपने में गड़ा धन देखने वाले साधु, तंत्रमंत्र की सहायता से धन बताने वाले तांत्रिकों को भरती करना चाहिए ताकि वे सरकार को बताएं और फिर खुदाई हो. अर्थ संबंधी महकमा शोभन सरकार और उस जैसे सपना देखने वाले साधुओं को दे दिया जाए जो समयसमय पर पता कर के बताते रहें कि किस जगह खजाना दबा पड़ा है.
इस देश में सदियों से साधु और शासक सपनों के सौदागर रहे हैं जिन्होंने न खुद परिश्रम कर के सोना उगाने की तरकीब की और न ही जनता को ऐसी कोई सीख दी. उन्होंने चमत्कारों पर भरोसा करना सिखाया. खोखले सपनों के सच होने की कहानियां सुनाईं इसीलिए जब खुली आंखों से ऐसे सपने देखे जाते हैं तो हाथ भी खाली ही रहते हैं. हैरत की बात है कि यह ठगविद्या आज तक जारी है.
सरकार के साथ साधु के समर्थक वाहवाही लूट रहे हैं लेकिन जब सपने की हकीकत खुलेगी तो न सरकार मुंह दिखाने लायक रहेगी, न समर्थक और न ही साधु. यह कोई नई बात नहीं है. इस अकर्मण्य देश में बैठेबिठाए गड़ा धन पाने के धार्मिक उपाय सदियों से चले आ रहे हैं. पृथ्वी में गड़ा धन आम आदमी को नहीं, इस पावन पवित्र धरती के त्रिकालदर्शी, अंतर्यामी साधुसंतों, तांत्रिकों को ही दिखाई पड़ता रहा है. ये लोग ही राजाओं, शासकों और आम लोगों को बताते रहे हैं.
यह देश सदियों से चले आ रहे थोथे सपनों को कब तक ढोता रहेगा, साधुओं की बातों पर चलता रहेगा? यह सपने, जागती आंखों के
नहीं, अफीमी उन्माद से भरी आंखों के सपने हैं. इन्हीं के कारण देश गुलाम बना रहा, पिटता रहा और पिछड़ा रहा. सदियां बीत गईं पर सपने वही हैं. आज विज्ञान के युग में भी वही सपने देखे जा रहे हैं. हैरानी तो यह है कि पंडेपुरोहितों, साधुओंबाबाओं के फैलाए अंधविश्वास पर शासनप्रशासन तनमनधन से विश्वास कर रहे हैं.
-जगदीश पंवार
आज के वैज्ञानिक युग में सिर्फ सपने के आधार पर खुदाई करवाना कहां तक उचित है?
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