प्राकृतिक आपदाएं अकसर आती रहती हैं. इन आपदाओं के कारण दुनियाभर में लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. आंकड़ों के मुताबिक विश्व के कई देश प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं. दुनियाभर के देशों में कभी भूकंप, कभी समुद्री तूफान, कभी भूस्खलन तो कभी बर्फ की चट्टानें खिसकने जैसी आपदाओं से जानमाल की भारी तबाही होती है. इस संदर्भ में भारत भी काफी संवेदनशील है. यहां बहुत से क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं के लिए अति संवेदनशील हैं. देश के ज्यादातर हिस्सों में बाढ़, भूकंप और सूखे जैसी आपदाएं आती रहती हैं. देश की लगभग 70% भूमि सूखे की आशंका की जद में है. बाढ़ और तूफानी चक्रवात यहां अकसर आते रहते हैं. ऐसे में प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते पैमाने ने आपदा प्रबंधन से जुड़े लोगों की जरूरत को बढ़ा दिया है.

आपदा प्रबंधन एक ऐसा कार्यक्षेत्र है, जो हमें प्राकृतिक विपदाओं का सामना करने के लिए सक्षम बनाता है. साथ ही प्राकृतिक विपदाओं के प्रभावों, उन के नियंत्रण और प्रबंधन को समझाता है. आपदा प्रबंधन ने पिछले कुछ सालों में काफी लोकप्रियता हासिल की है. यह मानव सेवा से सीधे जुड़ा हुआ कैरियर क्षेत्र है. अब बड़ी संख्या में युवाओं का रुझान इस क्षेत्र की ओर हो रहा है. लेकिन अभी भी बहुत से युवा ऐसे हैं जिन्हें इस क्षेत्र के बारे में बहुत कुछ नहीं मालूम. वे तो सिर्फ इंजीनियरिंग, मैडिकल, एमबीए जैसे व्यावसायिक कोर्सों के बारे में ही जानते हैं और उन में ही अपना कैरियर बनाना चाहते हैं. इस क्षेत्र में कैरियर की क्या संभावनाएं हैं यह जानने के लिए हमें डिजास्टर मैनेजमैंट क्या होता है, जानना जरूरी है.

क्या है डिजास्टर मैनेजमैंट

डिजास्टर मैनेजमैंट प्राकृतिक विपदाओं से नजात दिलाने का एक ऐसा प्रबंधन क्षेत्र है, जो मानव सेवा के साथसाथ प्राकृतिक आपदाओं से भी बचाता है और सचेत करता है. विश्व में हो रही प्राकृतिक विपदाओं ने इस कार्यक्षेत्र को अति महत्त्वपूर्ण बना दिया है. आपदा प्रबंधन का मुख्य कार्य आपदाग्रस्त क्षेत्र में होने वाली क्षति का आकलन करना है. आपदा प्रबंधन से जुड़े पेशेवर आपदाग्रस्त क्षेत्रों की भौगोलिक एवं आर्थिक स्थितियों का जायजा ले कर यह अनुमान लगाते हैं कि भविष्य में इस तरह की स्थितियों से कैसे निबटा जाए और प्राकृतिक विपदाओं का पूर्वानुमान कैसे लगाया जाए?

प्राकृतिक आपदा एक बड़ी समस्या है, जिस से पार पाना बहुत जरूरी है. इस समस्या से कुछ हद तक हमें आपदा प्रबंधक नजात दिला सकते हैं. डिजास्टर मैनेजमैंट के जरिए हम प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान तो नहीं लगा सकते, पर कम से कम इन समस्याओं से बचने के उपाय तो ढूंढ़ ही सकते हैं.

कोर्स

देश के कई प्रबंधन संस्थान सर्टिफिकेट से ले कर स्नातकोत्तर स्तर के कोर्स कराते हैं. देश के कई विश्वविद्यालय डिजास्टर मैनेजमैंट का डिग्री लैवल कोर्स करा रहे हैं. कई निजी शैक्षणिक संस्थानों में भी डिजास्टर मैनेजमैंट का कोर्स कराया जाता है. वह कोर्स आप रैगुलर या डिस्टैंस लर्निंग माध्यम से भी कर सकते हैं. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने डिजास्टर मैनेजमैंट का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है. साथ ही आपदा प्रबंधन में आपदाओं की गहनता में वृद्धि तथा अंतराल में होने वाली कमी को ध्यान में रख कर 6 माह का अल्पकालिक पाठ्यक्रम भी शुरू कर दिया है. भारतीय परिस्थितिकी एवं पर्यावरण संस्थान, नई दिल्ली भी आपदा प्रबंधन में 2 वर्ष का स्नातकोत्तर स्तर का दूरवर्ती शिक्षा कार्यक्रम चला रहा है. भोपाल गैस त्रासदी के बाद सरकार ने सभी स्तरों पर प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किए हैं. भारत सरकार ने इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण पहल की है. डिजास्टर मैनेजमैंट को स्कूल और प्रोफैशनल ऐजुकेशन में शामिल किया है.

योग्यता

सर्टिफिकेट कोर्स के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं पास है, जबकि डिग्री स्तर के कोर्सों के लिए स्नातक होना अनिवार्य है. इस कोर्स में भौगोलिक विषयों की जानकारी रखने वाले छात्रों को प्राथमिकता दी जाती है. इस कोर्स में प्रवेश लेने वालों के अंदर परिस्थितियों से निबटने का जज्बा होना चाहिए. साइंस, कैमिस्ट्री, भूगोल और आर्किटैक्चर की जानकारी भी आवश्यक है. आपदा प्रबंधन में जोखिम, आपदा प्रबंधन, प्रिवेन्टिव थौट, आपदा नियंत्रण, आपदा तैयारी, आपदा संचार, आपदा कम करने के उपाय, बचाव आदि की जानकारी रखने वाले युवा इस क्षेत्र में अपना सुनहरा भविष्य बना सकते हैं. कौशलता के साथ आगे बढ़ने वालों की इस कोर्स में खासी डिमांड है. आपदा प्रबंधन में दक्ष लोगों की सरकारी व निजी संस्थानों में काफी मांग है.

रोजगार की संभावनाएं

आपदा प्रबंधन क्षेत्र ने युवाओं के लिए रोजगार के शतप्रतिशत द्वार खोल दिए हैं. डिजास्टर मैनेजमैंट कोर्स करने के बाद इस कार्यक्षेत्र में जौब आसानी से मिल जाती है. सरकारी और निजी संस्थानों में आपदा विशेषज्ञों की खासी जरूरत होती है. कौरपोरेट जगत भी अपने यहां पेशेवर आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों को काम पर रख रहा है. इस के अलावा आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित युवा अपनी डिजास्टर मैनेजमैंट कंसल्टैंसी भी खोल सकते हैं. इस के लिए केंद्र व राज्य सरकारें उन्हें आवश्यक धन उपलब्ध कराती हैं. प्राइवेट सैक्टर में भी इस क्षेत्र में जौब की अपार संभावनाएं हैं. कैमिकल, साइजिंग, पैट्रोलियम जैसी इंडस्ट्रीज में आपदा विशेषज्ञों की नितांत आवश्यकता होती है. अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं भी अपने यहां अनुभवी आपदा विशेषज्ञ रखती हैं.

प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान

– टाटा इंस्टिट्यूट औफ सोशल साइंस, मुंबई.

– इंदिरा गांधी नैशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली.

– देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर, मध्य प्रदेश.

– सैंटर फौर डिजास्टर मैनेजमैंट, पुणे, महाराष्ट्र.

– सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी औफ हैल्थ, मैडिकल ऐंड टैक्नोलौजिकल साइंसेज, गंगटोक, सिक्किम.

– गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली.

– ऐन्वायरन्मैंट प्रोटैक्शन टे्रनिंग ऐंड रिसर्च इंस्टिट्यूट, हैदराबाद.

– यूनिवर्सिटी औफ नौर्थ बंगाल, दार्जिलिंग.

– इंटरनैशनल सैंटर औफ मद्रास यूनिवर्सिटी, चेन्नई.

– नैशनल सैंटर फौर डिजास्टर मैनेजमैंट, इंद्रप्रस्थ एस्टेट, रिंग रोड, नई दिल्ली.

– एमिटी इंस्टिट्यूट औफ डिजास्टर मैनेजमैंट, नोएडा.

– सैंटर फौर सिविल डिफैंस कालेज, नागपुर.

– औल इंडिया डिजास्टर मिटिगेशन इंस्टिट्यूट,  अहमदाबाद.

– नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी, पटना.

– नैशनल इंस्टिट्यूट औफ डिजास्टर मैनेजमैंट

VIDEO : मौडर्न मौसैक नेल आर्ट

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