* हाल ही में राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के एक गांव किराड़ के एक काली मंदिर में राम सिंह नाम के आदमी ने अपनी 4 महीने की बेटी की बलि देने की कोशिश की. हालांकि मंदिर ट्रस्ट के एक मुलाजिम ने ऐन मौके पर मासूम बच्ची को उस जालिम बाप के चंगुल से छुड़ा लिया.
* उदयपुर जिले के गांव निमाना से 5 किलोमीटर दूर रामदेव की पहाड़ी पर तंत्रमंत्र के चक्कर में 6 साल के बच्चे जितेश की बलि चढ़ा दी गई.
* सिरोही जिले के रतनाड़ा गांव में दकियानूसी लोगों की भीड़ ने निचले तबके की एक 45 साला औरत को डायन होने के शक में नंगा कर के जलील किया. ये तो महज चंद बानगियां हैं. सचाई यह है कि इस तरह की दिल दहला देने वाली घटनाएं आएदिन देश के किसी न किसी कोने में होती रहती हैं. कभी किसी औरत को डायन होने के शक में मार दिया जाता है, तो किसी को नंगा कर के पूरे गांव के गलीमहल्लों में घुमाया जाता है. ढोंगीपाखंडी बाबाओं व तांत्रिकों की काली करतूतें तो आएदिन मीडिया में भी छाई रहती हैं. बीमारी, पारिवारिक कलह व बच्चा न होने से निराश औरतों के बीच ये तांत्रिक अपने तंत्रमंत्र का मायाजाल कुछ इस तरह से बुनते हैं कि वे उन के झांसे में आसानी से आ कर अपनी इज्जत, दौलत व जिंदगी तक गंवा बैठती हैं. राजस्थान के आदिवासी इलाके डूंगरपुर में पिछले 10 साल के दौरान 48 औरतों की जिंदगी डायन बता कर छीन ली गई. इस के अलावा 76 औरतों को दूसरे तरीकों से सताया गया.
राजस्थान में ही नहीं, बल्कि देश के दूसरे राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व ओडिशा जैसे राज्यों में भी मर्दों को ओझा और औरतों को डायन बता कर मार डालने की घटनाएं भी दिन ब दिन बढ़ रही हैं. 21वीं सदी का नारा, तकनीकी उड़ान का दावा, चांद और मंगल ग्रह समेत अंतरिक्ष पर फतेह के बीच डायन का वजूद भी सारे दावों व नारों की पोल खोल कर रख देता है. इस बारे में प्रोफैसर अजय कुमार कहते हैं, ‘‘अनपढ़ लोग अंधविश्वास के जाल से बाहर नहीं निकल सकते. जो इलाके पढ़ाईलिखाई के मामले में पिछड़े हुए हैं, वहीं अंधविश्वास व पोंगापंथ की जड़ें ज्यादा गहरी हैं.’’
गांव में किसी बच्चे या जवान शख्स की मौत होने पर गांव वाले मानते हैं कि किसी डायन ने अपने काले जादू से उसे मार डाला और जिस किसी औरत पर शक होता है, उसे मारापीटा जाता है. इतना ही नहीं, लाश को जिंदा करने के लिए कहा जाता है. बेचारी वह औरत चिल्लाती, रोती, गिड़गिड़ाती रहती है, पर कोई उसे बचाने नहीं आता.इस मसले पर सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश बडोलिया कहते हैं, ‘‘डायन होने के आरोप झेलती औरत को जबरन गंदगी खिलाना, उस के साथ बलात्कार करना, नंगा कर के पूरे गांव में घुमाना जैसी शर्मनाक घटनाएं खुलेआम हो रही हैं. इस के बावजूद ऐसे लोगों पर पुलिस कोई कार्यवाही नहीं करती है, क्योंकि ऐसी हरकत करने वाले ज्यादातर दबंग लोग होते हैं, जिन की मोटी गरदन तक पुलिस वालों का पहुंचना नामुमकिन है.’’
पिछले दिनों राजस्थान विधानसभा में निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल ने यह सवाल उठाया था कि क्या सरकार ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि पिछले 2 साल के भाजपा सरकार के राज में डायन के नाम पर कितनी औरतों की हत्याएं की गई हैं? इस के जवाब में तिलकधारी हठीले गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने बताया कि सरकार ने ऐसा कोई सर्वे नहीं कराया है. अलबत्ता, राज्य अपराध रिकौर्ड ब्यूरो के पास मौजूद सूचना के मुताबिक, साल 2015 के दौरान प्रदेश में जादूटोने की वजह से 126 औरतों की हत्याएं हुई हैं. डूंगरपुर जिले के एक गांव संग्रामपुरा में 6 साल के बच्चे जितेश की बलि देने वाली घटना कई सवाल खड़े करती है. जितेश की हत्या करने वाले 16-17 साल की उम्र के किशोर थे. हत्या के पहले सिर का मुंडन व दूसरे कर्मकांड किए गए थे. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिम है कि कम उम्र के किशोर एक मासूम की बलि चढ़ा कर आखिर क्या हासिल करना चाहते थे और कम उम्र के इन किशोरों ने यह सब कहां से सीखा?
उदयपुर के रहने वाले रामेश्वर प्रजापत की बीवी सुनीता अकसर पेट के दर्द से परेशान रहती थी. एक दिन सुनीता ने एक साधु को अपनी तकलीफ बताई. साधु ने उसे खाने के लिए चुटकीभर भभूत दी. भभूत खाते ही सुनीता की हालत बिगड़ने लगी. आननफानन उसे अस्पताल में भरती कराया गया, जहां उस की मौत हो गई. बीकानेर के पुरानी बस्ती इलाके में गरीबी और बीमारी से तंग मनभरी देवी के घर 2 पंडे पहुंचे और उन्होंने बताया, ‘घर के भीतर जमीन में खजाना छिपा है, लेकिन उसे निकालने से पहले जरूरी पूजा करानी होगी और जब तक काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक यह बात किसी को नहीं बताई जाए.’
मनभरी देवी ने ऐसा ही किया. 5 हजार रुपए खर्च कर के उस ने बताई गई सामग्री मंगाई और 21 सौ रुपए पंडों को दिए. हवन के दौरान निकले धुएं से मनभरी के दोनों बच्चे बेहोश हो गए. उधर पंडे सारा सामान ले कर फरार हो गए. पाखंडी पंडेपुजारी व तांत्रिक दावा करते हैं कि बलि देने से जादुई ताकत हासिल की जा सकती है. इस के बारे में हिंदू धर्मग्रंथों में भी लिखा गया है. किसी जमाने में राजस्थान के करौली, अलवर, भानगढ़ व अजबगढ़ के आसपास का इलाका जादूटोने के लिए बदनाम था, पर अब वहां के हालात में सुधार आया है. दूसरी तरफ प्रदेश के आदिवासी व पिछड़े जिलों में लोगों की सोच आज भी अंधविश्वास से छूट नहीं पाई है. अमूमन अंधविश्वास की बुनियाद पर उपजी घटनाओं को ‘चमत्कार’ का जामा पहना दिया जाता है. इस बारे में डाक्टर सतीश सेहरा ने बताया, ‘‘समाज और धर्म के धंधेबाज अंधविश्वास को खाद व पानी दे कर सींचने का ही काम कर रहे हैं. वे धर्म की आड़ ले कर किसी औरत को डायन बता कर मारना व बाल विवाह तक की पैरवी करते रहते हैं.’’ इन रूढि़यों, कुप्रथाओं, पाखंड, अंधविश्वास व तंत्रमंत्र के जंजाल को काटने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों को जगाने की जरूरत है. कानून को सख्ती के साथ लागू करने के साथ ही लोगों की सोच में बदलाव लाने की भी जरूरत है. जब इनसान निराशा व हताशा के गहरे अंधेरे में डूब जाता है, तो वह इन चमत्कारी नतीजों के ख्वाब देखने लगता है. इस का नाजायज फायदा उठाने के लिए हर जगह पेशेवर मतलबी लोग मौजूद रहते हैं.
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