हर तरफ बहती बदलावों की बयार के बीच भारत में शादियों के आयोजनों में भी बदलाव दिख रहे हैं. शादी केवल पतिपत्नी के बंधन तक  सीमित नहीं रह गई है. शादियों के मौकों पर होने वाले आयोजनों की एक नई कारोबारी दुनिया बन गई है. अब शादियां किसी इवैंट सी हो गई हैं. वे दिन लद गए जब दुलहन के घर वाले शादी के आयोजन में पूरी तरह से व्यस्त नजर आते थे जबकि दूल्हा पक्ष वाले जेब में हाथ डाले नजर आते थे. अब दुलहन और दूल्हा दोनों ही पक्ष वाले शादी समारोह में केवल शामिल होने पहुंचते हैं. जबकि आयोजन का सारा काम इवैंट कंपनियां देख रही होती हैं. अब यह भी जरूरी नहीं कि शादी वहीं हो जिस शहर में लड़की रहती हो. शादी वहां भी हो सकती है जहां लड़की चाहती हो.

देश में शादियों के भव्य से भव्य आयोजन होने लगे हैं. शादियों के इन आयोजन से एक अलग तरह का व्यवसाय तैयार हो गया है. शादी के भव्य आयोजन के जरिए भी कुछ सामाजिक संदेश मिलते हैं. शादी का आयोजन कैसा भी हो, इस की सफलता आपसी प्यार और विश्वास पर टिकी होती है. फिल्म अभिनेता सलमान खान ने अपनी बहन अर्पिता की शादी जिस तरह से पूरे शाही अंदाज में की है उस से गोद लिए बच्चों के प्रति एक अहम सामाजिक संदेश भी लोगों तक पहुंचा है. फिल्म अभिनेता सलमान खान की बहन अर्पिता खान के बारे में शादी के पहले कम ही लोगों को पता था. ज्यादातर लोग अर्पिता खान को सलमान खान की बहन के रूप में ही पहचानते थे. हर भाई की तरह सलमान खान ने अपनी बहन ही शादी पूरी धूमधाम से की.

इस शादी के होने से पहले ही इस की काफी चर्चा हो रही थी. लेकिन जब यह शादी संपन्न हुई तब यह बात आम हुई कि अर्पिता बौलीवुड ऐक्टर सलमान खान के पिता सलीम खान की गोद ली बेटी हैं. सलीम खान ने 1981 में हेलन से शादी के बाद बहुत कम उम्र में अर्पिता को गोद लिया था. 5 भाईबहनों में अर्पिता सब से छोटी हैं. वे सलमान खान, अरबाज खान, सोहेल खान और अलवीरा से छोटी हैं. अर्पिता ने लंदन कालेज औफ फैशन से मार्केटिंग और मैनेजमैंट की डिगरी ली है. इस के बाद वे मुंबई में एक आर्किटैक्ट के रूप में इंटीरियर डिजाइनिंग फर्म में जौब करती हैं.

अर्पिता अपने भाइयों की लाड़ली हैं. वे भविष्य में फिल्म प्रोडक्शन में काम करना चाहती हैं. अर्पिता की इच्छा है कि वे खुद का अपना फैशन ब्रैंड लौंच करें. अर्पिता की दोस्ती हिमाचल प्रदेश के रहने वाले आयुष शर्मा के साथ हो गई. दोनों दोस्ती के रिश्ते को शादी में बदलना चाहते थे. आयुष दिल्ली में रहते हैं. वे हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर के रहने वाले हैं. आयुष एक राजनीतिक परिवार से हैं. उन के पिता अनिल शर्मा हिमाचल में मंत्री रहे हैं. आयुष के दादा सुखराम हिमाचल के जानेमाने नेता हैं. वे क ांग्रेस के मशहूर नेता रहे हैं. वे कई बार लोकसभा के सदस्य रहे और केंद्र में मंत्री भी रहे हैं.

आयुष दिल्ली में रह कर अपने परिवार का बिजनैस संभाल रहे हैं. आयुष पर फिल्मी दुनिया का रंग चढ़ा हुआ है. वे मुंबई में रह कर फिल्मों में अपना कैरियर भी बनाना चाहते हैं. अर्पिता के साथ आयुष की दोस्ती ने रंग पकड़ा और लोगों ने बातें करनी शुरू कीं तो सलमान खान ने दोनों परिवारों को एक जगह बैठा कर उन की शादी की बात तय कर दी.

बहन की हसरत का खयाल

सलमान खान का परिवार मुंबई में रहता है और आयुष का परिवार दिल्ली में रहता है. अर्पिता की हसरत थी कि उस की शादी दिल्लीमुंबई से दूर हैदराबाद में होटल ताज के फलकनुमा पैलेस में हो. अर्पिता ने यह बात अपनी भाभी सीमा खान से कही. सीमा, सलमान खान के छोटे भाई सोहेल खान की पत्नी हैं. अर्पिता और सीमा छुट्टियां मनाने के लिए हैदराबाद गई थीं. वहां उन्होंने जब फलकनुमा पैलेस देखा तो उसे बहुत पसंद किया. अर्पिता की पसंद का पता जब भाई सलमान खान को चला तो उन्होंने अर्पिता और आयुष की शादी फलकनुमा पैलेस में करने की तैयारी की. इस के लिए 1 करोड़ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 2 दिन के लिए फलकनुमा पैलेस को बुक किया. फिल्मी दुनिया की ही नहीं, दूसरे क्षेत्र की बड़ी हस्तियों को भी इस में बुलाया गया. हैदराबाद में शादी के बाद रिसैप्शन मुंबई में देने का फैसला किया गया.

शादी की तैयारी में सलमान खान ने ड्रैस से ले कर खानपान तक में शाही अंदाज को दिखाने का पूरा प्रयास किया. दुलहन बनी अर्पिता राजकुमारी की तरह विदा हुईं. सलमान खान ने एक भाई की तरह अर्पिता की शादी में हर रस्म अदा की तो उन के पिता सलीम खान ने शादी में ठुमके लगाए. सलमान खान ने एक बहन की शादी में शानदार आयोजन किया जो लोगों के लिए भाईबहन के स्नेह का स्मरणीय उदाहरण बन गया. इसे लोग सालोंसाल याद रखेंगे. अर्पिता की शादी में हैदराबाद को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कि वह मिनी मुंबई हो गया हो. अर्पिता ने गोल्डन ड्रैस पहन रखी थी जिस में वे किसी परी को भी मात दे रही प्रतीत हो रही थीं.

जानकारों का मानना है कि इस शादी में 50 करोड़ रुपए से ऊपर का खर्च आया होगा. देश और समाज में अभी तक गोद लिए बच्चों को एक अलग नजर से देखा जाता था. उन को बहुत अच्छी सामाजिक स्वीकृति नहीं थी. अर्पिता के प्रति सलमान खान और उन के परिवार का व्यवहार देख कर समाज में एक संदेश गया कि गोद  लिए बच्चों का भी अपने बच्चों के साथ पालनपोषण किया जा सकता है और किया भी जाना चाहिए. गोद लिए बच्चों को अगर सामाजिक स्वीकृति हासिल हो जाए तो समाज की एक बड़ी परेशानी दूर हो सकती है. देश में बच्चों को गोद लेने के संबंध में कानून को भी सरल करना पडे़गा. अभी गोद लेने का कानून बहुत पेचीदा है, जिस के चलते लोग बच्चा गोद लेने से बचने की कोशिश करते हैं.

संदेश दे रही फिल्मी हस्तियां

फिल्मी हस्तियों में सलीम खान के अलावा दूसरे तमाम लोग और भी हैं जो बच्चों को गोद ले कर उन का पालनपोषण कर रहे हैं. 39 साल की अभिनेत्री और मिस यूनिवर्स का खिताब पा चुकीं सुष्मिता सेन ने 2 लड़कियों को गोद ले रखा है. सुष्मिता सेन ने शादी नहीं की है. वे सिंगल मदर के रूप में अपनी 2 गोद ली बेटियों का पालनपोषण कर रही हैं. सुष्मिता सेन की बड़ी बेटी रिनी करीब 14 साल की हो चुकी है. उस को सुष्मिता ने साल 2000 में गोद लिया था. सुष्मिता ने साल 2010 में दूसरी बेटी अलीशा को गोद लिया. उस समय वह 3 माह की थी.  

फिल्मी अभिनेत्री रवीना टंडन ने 21 साल की उम्र में 1995 में 2 लड़कियों को गोद लिया.  गोद लेते समय छाया 8 साल की और पूजा 11 साल की थीं. रवीना टंडन का कहना है कि ये बच्चियां उन की छोटी बहनों की तरह हैं. पहले लोग बाहर के बच्चों को गोद लेने से बचते थे. लोगों का प्रयास होता था कि किसी अपने सगेसंबंधी के बच्चे को गोद लें. उस समय फिल्म डायरैक्टर सुभाष घई ने अपने छोटे भाई की बेटी मेघना को गोद लिया था. वे इस बात को सभी से छिपा कर रखना चाहते थे. मेघना अब सुभाष घई के फिल्म इंस्टिट्यूट में काम करती हैं.

फिल्म ‘सलामे इश्क’ बनाने वाले निखिल आडवाणी ने दिसंबर 2006 में एक बेटी को गोद लिया. ‘खोसला का घोसला’ और ‘ओय लकी लकी ओय’ फिल्म बनाने वाले दिबाकर बनर्जी ने मुंबई के अनाथालय से एक लड़की को गोद लिया और उस का नाम ईरा रखा. कोरियोग्राफर संदीप सोपारकर ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बेटे अर्जुन को गोद लिया. पुरुष होने के कारण बच्चा गोद लेने में उन को परेशानी आई. अर्जुन को संदीप ने शादी होने से पहले गोद ले रखा था. संदीप के परिवार में कई गोद लिए बच्चे हैं. वे कहते हैं, ‘‘गोद लेने में कोई बुराई नहीं है. यह अच्छी बात है.’’

गोद लेने में संकोच कैसा

बांझपन समाज की सब से बड़ी समस्या है. एक ओर समाज की दकियानूसी सोच के कारण लोग बच्चे गोद लेने से परहेज करते हैं तो दूसरी ओर देश में बच्चा गोद लेने का कानून इतना जटिल है कि लोग इस से बचने की कोशिश करते हैं. इस कारण बच्चा पैदा करने के लिए लोग साधुसंत, बाबा, नीमहकीम सभी की चौखट पर पहुंच जाते थे. कई बार पत्नी को तलाक देने का यह सब से बड़ा कारण होता था कि वह बच्चे पैदा नहीं कर पा रही है. अगर देश में गोद लेने को सामाजिक स्वीकृति मिल जाए तो बहुत सारी कुरीतियों को दूर किया जा सकता है. गोद लेने के 2 लाभ होते हैं. एक, मांबाप को संतान मिल जाती है, दूसरे, बिना मांबाप के बच्चे को मातापिता मिल जाते हैं. 

सामाजिक स्वीकृति न मिलने के कारण मातापिता चोरी हो चुके बच्चों को गोद लेने की कोशिश करते हैं. इस कारण समाज में नवजात बच्चों की चोरी की घटनाएं बढ़ने लगी हैं. कई बार मातापिता बच्चे गोद लेना चाहते हैं पर कानूनी परेशानी की वजह से वे बच्चे को खुले तौर पर गोद न ले कर गैरकानूनी रूप से गोद लेते हैं. इस के बाद उसे वे समाज के सामने ऐसे पेश करते हैं जैसे वह उन का अपना खुद का बच्चा हो.

मिले सामाजिक स्वीकृति

लखनऊ में रहने वाले दंपती ने इस का कारण बताते हुए कहा, ‘‘शादी के 9 साल के बाद जब हमारे कोई बच्चा नहीं हुआ और डाक्टरों ने बच्चा होने की संभावना से इनकार कर दिया तो हम ने बच्चा गोद लेने की सोची. हमारे घरपरिवार वालों का दबाव था कि हम अपने ही सगेसंबंधी के बच्चे को गोद लें. हम इस से बचना चाहते थे. हमें लगता था कि ऐसे में बच्चे पर केवल हमारा अधिकार नहीं होगा. बड़ा हो कर बच्चा अपने असली मातापिता से भावनात्मक रूप से जुड़ जाएगा. ‘‘एक दिन हम लोगों ने तय किया कि हम नवजात बच्चा गोद ले लें और उसे अपना बच्चा कह कर ही पालें. इस के लिए हम दोनों अपने शहर से दूर गए. वहां एक अस्पताल में संपर्क किया. अस्पताल वालों के पास एक औरत थी जो बच्चे को जन्म दे कर पालना नहीं चाहती थी. हम ने वहां से बच्चा लिया. कुछ माह बाहर रहे. इस के बाद अपने बच्चे की तरह उसे ले कर घर आए. आज हम उसे अपने बच्चे की तरह ही पाल रहे हैं. समाज भी उसे हमारा बच्चा ही मानता है.

हम जानते हैं कि यह गैरकानूनी था पर हमारे सामने कोई दूसरा रास्ता नहीं था. आज मेरा मानना है कि समाज को न केवल गोद लिए बच्चे को बल्कि बच्चा गोद लेने वाले मातापिता को भी सम्मान की नजरों से देखना चाहिए.

सीख लेने की जरूरत

समाज की सोच बदलने से एक नया बदलाव होगा, जो तमाम दूसरी बुराइयों को खत्म कर देगा. सलमान खान ने जिस तरह से अपनी बहन अर्पिता की शादी की उस से गोद लिए बच्चों के प्रति समाज की धारणा बदलने में मदद मिल सकेगी. लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में मनीषा मंदिर है. यहां पर लोग उन छोटी बच्चियों को छोड़ जाते हैं जिन्हें वे अपने पास नहीं रखना चाहते. लखनऊ में ऐसे कई शिशुकेंद्र हैं. इस तरह के केंद्र देश के दूसरे शहरों में भी हैं. इन केंद्रों में बहुत सारे ऐसे बच्चे होते हैं जिन को कोई गोद नहीं ले पाता. ऐसे में समाज की मदद से इन की शादी की जाती है. ‘अपना घर’ नाम से सामाजिक संस्था चला रही डा. निर्मला सक्सेना कहती हैं, ‘‘गोद लेने को सामाजिक स्वीकृति मिल जाए तो अनाथ बच्चों को मातापिता मिल सकते हैं. बड़ेबडे़ लोगों के सामने आने से दूसरों की सोच भी बदलती है. इस माने में देखें तो सलमान खान की शाही शादी से सामाजिक उद्देश्य को भी पूरा किया जा सकता है.’’

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