न्यू क्लियर फैमिली में जहां एक ओर व्यक्ति खुद को आजाद समझ कर अपना जीवन अपने तरह से जीता है तो वहीं इस तरह की फैमिली में कई तरह की समस्याएं भी आती हैं. जो दंपति उन समस्याओं का आपसी समझदारी और सामंजस्य से समाधान नहीं कर पाते, उन दंपतियों के बीच छोटीछोटी बातों को ले कर पैदा हुआ विवाद बढ़ जाता है. अगर इस बीच उन का ईगो या अहं टकराता है तो विवाद देहरी लांघ कर न्यायालय तक पहुंच जाता है.
ऐसे में परिवार टूटने में देर नहीं लगती. सहनशीलता के अभाव और ईगो के टकराने की वजह से अदालतों में पारिवारिक विवादों की संख्या बढ़ती जा रही है. लेकिन भोपाल के एक मजिस्ट्रैट ने एक अनोखी पहल कर के एक परिवार को टूटने से ऐसे बचाया कि उस की खूब चर्चा हो रही है.
दरअसल, हुआ यह कि भोपाल के रहने वाले एक दंपति पवन और मनीषा के बीच एक मामूली सी बात को ले कर आपस में विवाद रहता था. पति को शिकायत यह थी कि उस की पत्नी 2-2 घंटे तक अपने रिश्तेदारों से फोन पर बतियाती रहती है. और यदि खाना बनाते समय उस के रिश्तेदार का फोन आ जाए तो वह खाना बनाना तक छोड़ देती है.
पवन ने इस बात का पत्नी से विरोध किया तो मनीषा को यह बात बुरी लगी. उधर मनीषा का पवन पर यह आरोप था कि पता नहीं पवन काफीकाफी देर तक फोन पर किस से बात करते हैं और यह बताते तक नहीं कि किस से बतियाते हैं.
दोनों में से किसी ने भी अपनी हठ नहीं छोड़ी. लिहाजा उन का मामला एसडीएम राजकुमार खत्री की अदालत में पहुंच गया.
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