Social Awareness: इंस्टाग्राम, फेसबुक और व्हाट्सऐप पर जाति आधारित ग्रुप्स और पेज हजारों में मिल जाएंगे. राजपूताना फौर एवर, यादव बौयज, बनिया किंग नामों वाले पेज युवाओं को खूब आकर्षित करते हैं.

इन पेजों पर ऐसे वीडियो और फोटो शेयर किए जाते हैं जिन में लड़के अपनी बाइक या गाड़ी पर जाति का नाम दिखाते हुए एटिट्यूड में खड़े रहते हैं. यह ट्रैंड कूल या स्टाइल बन गया है. लेकिन हकीकत में यह एक ऐसा फैशन है जो समाज को खोखला करता है.

भारत को आजाद हुए 75 वर्षों से ज्यादा हो गए. संविधान बना और बराबरी के अधिकार की बातें हुईं, शिक्षा व नौकरियों में आरक्षण आया ताकि पिछड़े वर्ग भी आगे बढ़ सकें लेकिन दुख की बात यह है कि आज भी भारत के कई हिस्सों में लोग जातिवाद को एक स्टेटस सिंबल बना कर पेश करते हैं.

सड़कों पर आप ने अकसर गाडि़यां देखी होंगी जिन के शीशों पर बड़ेबड़े अक्षरों में लिखा होता है- प्राउड टू बी राजपूत, गुर्जर बौयज, यादव किंग वगैरहवगैरह. सिर्फ गाडि़यां ही नहीं, बल्कि हाथ पर टैटू बनवा कर, सोशल मीडिया प्रोफाइल पर लिख कर और कपड़ों पर छपवा कर भी लोग अपनी जाति का नारा लगाते रहते हैं.

जाति का फैशन

आज के दौर में कई युवा मानते हैं कि अगर उन्होंने अपनी जाति का नाम गाड़ी पर लिखवा लिया या हाथ पर टैटू बनवा लिया तो वे कूल लगेंगे और सामने वाले में एक डर या खौफ पैदा करेंगे.

जैसे दिल्ली में रह रहे नरेश जो कि गुर्जर समाज से आते हैं. उन्होंने एक बातचीत में बताया कि उन्होंने अपनी स्कौर्पियो पर जय गुर्जर लिखवा रखा है. ऐसा करने पर वे प्राउड फील करते हैं और सड़क पर चलने वाले लोग उसे पावरफुल मानने लगते हैं.

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