Second Marriage : उम्र कोई भी हो साथी की जरूरत हर किसी को होती है, फिर चाहे वह बचपन हो, जवानी हो या बुढ़ापा हो, हर उम्र में हर किसी के दिल में एक चाह जरूर होती है बस इस सनम चाहिए आशिकी के लिए. अर्थात हमारी जिंदगी में भी कोई ऐसा हो जिससे हम अपना सुख-दुख बांट सके, दिल की बात कह सके जो हर किसी से नहीं कह सकते. कोई ऐसा हो, जो न सिर्फ हमारे साथ जीवन गुजारे बल्कि हमदर्द हो, परवाह करने वाला हो, बल्कि तारीफ करके आत्मविश्वास बढ़ाने वाला भी हो, उम्र कोई भी हो जब कोई आपकी तारीफ करता है तो मनोबल बढ़ने में आसानी हो जाती है, वरना तो मन में एक ही भावना रहती है जो गाने की पंक्तियों से बयान की गई है मेरा जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया, जो लिखा था आंसुओं के संग बह गया, अर्थात जब आपके जीवन में कोई अपना या प्यार करने वाला नहीं होता, सिर्फ निराशा ही निराशा होती है तो जीवन नीरस हो जाता है, जब आपके जीवन में यह सब कुछ सही समय पर या सही उम्र में होता है तो नॉर्मल लगता है , लेकिन अगर यही ख्वाहिश बुढ़ापे में या बड़ी उम्र में पैदा होती है तो वह कई बार आपके चरित्र पर उंगली उठा देती है, आप को लोग छिछोरा और ठरकी अपोजिट सेक्स के लिए क्रेज़ी समझने लगते है, ये बिना सोचे कि एक वक्त के बाद ऐसे बेसहारा लोगों को सेक्स की भूख से ज्यादा साथ की ज़रूरत होती है, जो उनका अकेलापन दूर कर सके. जैसे कि अगर एक विधवा 40 से 45 की उम्र में अगर किसी के प्यार में पड़ जाती है और दूसरी शादी करने के बारे में सोचती है तो उसके ही घर के ही लोग खासतौर पर उसके बच्चे अपनी ही मां को भला बुरा कहते हुए अपनी नाराजगी जाहिर करके उसके फैसले के खिलाफ होते हैं.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन