सुनने में अजीब लगेगा लेकिन अमेरिका के ब्रुकलिन शहर में यूएस प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप की एक स्टेच्यू लगी है. जिस पर मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा है Pee On Me. यानी मुझ पर पेशाब करो. पहली नजर में यह खबर फेक सी लगती है. मानो सोशल मीडिया के फोटोशोप और कोरलबाजों ने किसी स्टेच्यू को मॉर्फ करके वायरलबाजी की चाह में यह खुराफात की हो. लेकिन जब इस बाबत खबर खंगाली तो पता चला कि अमेरिका के हर मीडिया प्लेटफोर्म पर इस बात के चर्चे हैं कि ट्रंप की स्टेच्यू खुद पर पेशाब करने के लिए लोगों को आमंत्रण दे रही है.

क्या है माजरा

दरअसल फिल गैबिल जो एक एडवरटाइजिंग एक्जूक्यूटिव हैं, ने यह पुतला बनाया है. इस पुतले को बनाकर उन्होंने न्यूयॉर्क के बूकलिन में एक सड़क के किनारे लगा दिया. जिस पर पीली पट्टी लगाकर बाकायदा लिख दिया कि पी ओन मी. ऐसा करने के पीछे उनका मकसद अपनी निजी और लोगों की भावनाओं को इस पुतले के माध्यम से व्यक्त करना है. उनके मुताबिक यह डोनाल्ड के इंसान और प्रेसीडेंट के तौर पर उनकी अस्वीकृति या तिरस्कार जाहिर करने का जरिया है.

गैबिल चाहते हैं कि यह स्टेच्यू कुत्तों को अन्य मूर्तियों पर पेशाब या पोटी करने से रोके और उनकी इस पर प्रेक्टिस भी हो जाए. वे कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि कुत्ते अब किसी पड़ोस के गार्डन या कॉर्नर को गंदा करने बजाए इस स्टेच्यू पर पेशाब करेंगे. वैसे तस्वीर देखकर अंदाजा हो जाता है कि इस पुतले में ट्रम्प का लुक 80-90 के दौर का है.

अभिव्यक्ति की आजादी का नमूना

फिल का कहना है कि यह पर्सनल एक्सप्रेशन है और इसे जाहिर करने का उनको पूरा हक है. लोगों का भी इस पर पॉजिटिव रिएक्शन आ रहा है. एक तरह से यह मामला फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का है. जहां अगर आपको किसी भी इंसान, भले ही वो राष्ट्रपति क्यों न हो, के प्रति अपना गुस्सा या असंतोष जाहिर करना है तो यह कटाक्ष भरा रचनात्मक माध्यम अपना सकते हैं.

अमेरिका में जब से डोनाल्ड प्रेसीडेंट के तौर पर चुने गए हैं, उनका लगातार विरोध हुआ है. हॉलीवुड सेलेब्रिटीज से लेकर पोर्न स्टार्स तक और मॉडल्स से लेकर उनके अपने जानने वालों तक ने उन्हें घटिया मानिसकता का रेसिस्ट इंसान बताया है. और अपने अपने तरीके से अपना गुस्सा भी जाहिर किया है.

डोनाल्ड ट्रम्प अक्सर अपने भाषणों या इंटरव्यू में प्रवासी लोगों और महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां करते रहते हैं. कई दफा तो वे फिजिकली चैलेंज्ड लोगों का मजाक भी उड़ाने से बाज नहीं आते. उनके ज्यादातर बयान बेहद गैरजिम्मेदाराना होते हैं. इसीलिए अमेरिकी जनता ने कभी उन्हें पूरी तरह से प्रेसीडेंट नहीं माना है. उनकी जीत आज भी वहां के लोगों को हजम नहीं होती.

क्या हम में है दम ?

ऐसे में यह उनको करार जवाब है. जरा सोचिये जहां भारत में अभिव्यक्ति की आजादी को कभी नक्सल रैकेट के बहाने तो कभी देशद्रोह के लेबल तले दबाकर बुद्धजीवियों की हत्या तक कर दी जाती है, वहीं अमेरिका में खुलेआम एक व्यक्ति बाकायदा अपनी पहचान उजागर कर प्रेसीडेंट का विरोध कर रहा है.

सवाल यह है कि क्या हम अपने मंत्रियों या नेताओं का इस तरह से खुलकर विरोध या आलोचना कर सकते हैं?

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