‘आप तो हिंदू लगते हो. करीबी और मुंहबोली रिश्तेदारियों में शादियां तो मुसलिमों में होती हैं...’

उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में इस तरह की सोच देखने को मिलती है, जबकि ऐसा नहीं है कि यह सब हिंदू धर्म में नहीं होता. हिंदू धर्म के भीतर भी इस तरह की कई परंपराएं हैं और इन में कुछ गलत नहीं है, लेकिन ऐसे मसलों पर यहां एक बड़ा तबका मरनेमारने को उतारू हो जाता है.

दरअसल, यह हमारी कमअक्ली का नतीजा है. इस के अलावा यह भी सच है कि आज ऐसा समय है जब हिंदू धर्म को ले कर एक खास तरह की संस्कृति थोपने की कोशिश की जा रही है और इस से अलग हर बात को पश्चिमी संस्कृति या मुसलिमों से जोड़ कर खारिज करने की कोशिश की जा रही है.

ऐसे समय में यह जानना बेहद जरूरी है कि उत्तर भारत ही पूरा देश नहीं है और वही सही नहीं है जो हम जानते या मानते हैं.

आप यह भी जान लीजिए कि उत्तर भारत में भी शादीब्याह को ले कर कोई एक तरह की मान्यता या परंपरा नहीं है.

पहला हक इन का चाय की दुकान पर महाराष्ट्र के एक नौजवान लोकेश जाधव से मुलाकात हुई. लोकेश ने बताया कि उस की शादी उस के सगे मामा की बेटी से हुई है.

यह सुन कर हमारी बगल में बैठे कुछ नौजवानों में कानाफूसी शुरू हो गई. वे नौजवान बोलचाल से हरियाणा के लग रहे थे और लोकेश की तरह ही शायद घूमने के इरादे से वे भी जयपुर आए थे.

तिलक  लगाए और शिव की तसवीर वाली टीशर्ट पहने बैठे नौजवान के मुंह से बहन के साथ शादी की बात उन्हें अजीब लगी.

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