किसी खराब संगत से एकांत अच्छा होता है और पुस्तकें एकांत की सब से अच्छी दोस्त होती हैं. ये पुस्तकें ऐसी मित्र होती हैं, जो हर काल और समय में साथ देती हैं.

जो लोग अपना खाली समय पुस्तकों के साथ व्यतीत करते हैं, उन के पास ज्ञान, तर्क और जानकारी सभी कुछ होता है. पुस्तकों का केवल अध्ययन ही जरूरी नहीं है, इन का मनन भी जरूरी होता है. आज के तनाव भरे जीवन में पुस्तकों को अपना साथी बनाएं और सुकुन पाएं.

आज सोशल मीडिया का जमाना है. इसी में सभी व्यस्त हैं. सुबह उठते ही सब से पहले मोबाइल हाथ में आ जाता है. यहीं से दिन की शुरुआत हो जाती है. घर से औफिस जाने के रास्ते में मौका मिलते ही मोबाइल खुल जाता है. औफिस में काम के साथ ही साथ सोशल मीडिया पर अपडेट भी जारी रहता है. ऐसे ही शाम बीत जाती है. देर रात तक सोशल मीडिया का प्रयोग होता रहता है.

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पूरी दुनिया एक मोबाइल स्क्रीन पर सिमट कर रह गई है. केवल काम ही नहीं, हंसीखुशी प्यार और सेक्स तक वर्चुअल होने लगा है. वीकएंड में जब समय निकाल कर परिवार के साथ बाहर जाया भी जाता है, तो सब से पहले सोशल मीडिया पर स्टेटस शेयर होती है. हम कहां लंच और डिनर कर रहे हैं. यही नहीं, क्या खा रहे हैं, इस की फोटो भी सब से पहले शेयर की जाती है.

लोगों ने पुस्तकों से दोस्ती भी सोशल मीडिया पर करनी शुरू कर दी. पुस्तकों की जगह उन की पीडीएफ और डिजिटल संस्करण पढ़े जाने लगे. कोविड 19 के दौर में तो स्कूल और कालेजों की पढ़ाई भी मोबाइल स्क्रीन पर होने लगी है. समय के साथ हो रहे इस बदलाव में अगर कुछ मोबाइल स्क्रीन पर नहीं है तो वह है जीवन में पाया जाने वाला सुकून.

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मोबाइल के बढ़ते प्रयोग ने लोगों के जीवन में ना केवल तनाव बढ़ा दिया है, बल्कि लोगों की नींद उड़ा दी है. लोग अनिद्रा के शिकार हो रहे हैं, चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है. बच्चों में सीखने और विषयों को याद रखने की दिक्कत होने लगी है. आंखों और सिर में दर्द भी होने लगा है. इस का सब से बड़ा कारण यही है कि हमारे जीवन से पुस्तकों की दूरी बन गई है.

एकाग्रता बढ़ाने में मदद करती हैं पुस्तकें:

क्लिनिकल साइकोलौजिस्ट आकांक्षा जैन कहती हैं, ‘पुस्तकें केवल सुकून देने का ही काम नहीं करती हैं, बल्कि यह एकाग्रता बढ़ाने का काम भी करती हैं. अपनी पसंदीदा पुस्तकें पढ़ने से ना केवल मन को खुशी मिलती है, बल्कि सारा ध्यान पुस्तकों पर लगा रहने से एकाग्रता भी बढ़ने लगती है, इसलिए पुस्तक पढ़ने का अभ्यास जरूर करना चाहिए, ताकि एकाग्रता बढ़ाने के लिए उन्हें किसी विशेष प्रयास की जरूरत ना पड़े. पुस्तकों को पढ़ने से प्रेरणा मिलती है. पुस्तकों में कही गई बातें, प्रसंग और कहानियां प्रेरित करती हैं. पुस्तकों को पढ़ने के बाद कुछ नया और बेहतर करने के लिए प्रेरणा मिलती है. महापुरुषों की जीवनियां, सफल लोगों के संघर्ष की कहानियां जीवन को सही राह दिखाती हैं. मोबाइल, कम्यूटर और लैपटौप पर पुस्तकों का पढ़ना दिल और दिमाग दोनों को सुकून नहीं देता है. ऐसे में जरूरी है कि पुस्तकों को पढ़ा जाए. जो किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं देती है.‘

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वे यह भी कहती हैं, ‘पुस्तकों और इनसान की दोस्ती बहुत पुरानी है. समयसमय पर ऐसे बदलाव होते हैं, जहां पर यह पता चलता है कि पुस्तकों का समय खत्म हो गया. असल में समय का दौर कितना भी बदले, पुस्तकों का महत्व कभी कम नहीं हो सकता.

‘आप सोचिए, जब आप किसी जगह जाते हैं, वहां करीने से बुकसेल्फ में लगी पुस्तकें दिख जाती हैं, तो कितना सुकून मिलता है.
घर में पुस्तकालय का होना आप की बुद्धिमत्ता का परिचायक होता है. पुस्तकों को अपना दोस्त बनाने से जीवन में सीखने और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है. ये कभी गलत राह नहीं दिखाती हैं. मोबाइल में पुस्तकों को पढ़ते समय नेटवर्क की मेहरबानी जरूरी होती है, जबकि पुस्तकों को पढ़ने में ऐसी कोई बाधा नहीं आती है.

‘लर्निंग प्रोसेस‘ को बढ़ाती हैं पुस्तकें:

बच्चा सब से अधिक अपने घरपरिवार, मातापिता और स्कूल में टीचर और दोस्तोें से सीखता है. इन सभी का सिखाने का अपना एक अलग तरीका होता है. पुस्तकों के पढ़ने से एक व्यापक नजरिया या दृष्टिकोण उन्नत होता है. ये स्टेप बाय स्टेप सिखाती हैं. बचपन में पढ़ना और सिखाने का काम केवल पुस्तकें ही करती हैं. धीरेधीरे आप की हर जरूरत के हिसाब से पुस्तकें आप को सिखाती हैं. अच्छा लिखने, तर्कपूर्ण बोलने के लिए जरूरी होता है कि उस विषय का समग्र ज्ञान आप को हो. जितनी जल्दी पुस्तकों से दोस्ती होगी, उतना ही बेहतर रहेगा. इस के साथ ही ये मनोरंजन भी करती हैं. जानकारी को बढ़ाती हैं. रोचक कहानियां ‘लर्निंग प्रोसेस‘ को बढ़ाने का काम करती हैं.

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पुस्तकें इनसान को उस के जीवन की वास्तविकता से मिलवाती हैं. पुस्तकें ही जीने की कला सिखाती हैं. जब उम्र का सफर पार करते हुए व्यक्ति बुढ़ापे की तरफ बढ़ता है, तब भी ये पुस्तकें ही उस के अकेलेपन को दूर करने में मदद करती हैं. इसी वजह से कहा जाता है कि जीवन के हर काल में पुस्तकों से अच्छा कोई दोस्त नहीं होता है. ये आप से विवाद नहीं करती हैं. ये वादविवाद और तर्क करने की क्षमता का विस्तार करती हैं. पुस्तकें ज्ञान देती हैं और उस ज्ञान को जीवन की परिस्थितियों में सही तरह से लागू करने का हुनर भी सिखाती हैं.

इतिहास को वर्तमान से जोड़ती हैं पुस्तकें:

हजारोंलाखों साल पहले क्या हुआ? किस काल समय में क्या हुआ? इस की पूरी जानकारी देने का काम पुस्तकें करती हैं. हजारों साल पहले की किताबें चाहे वह पत्तों पर लिखी पाडुलिपियां हों या ताम्रपत्र पर लिखी जानकारियां सभी पुस्तकों के रूप में भी सामने है. क्या किसी मोबाइल की स्क्रीन पर लिखी चीजें हजारों साल तक सुरक्षित रह सकती हैं. ये सुरक्षित तभी तक हैं, जब तक इंटरनेट चलता है. पुस्तकें किसी बिचौलिए पर निर्भर नहीं हैं. पुस्तक और पाठक के बीच कोई दूसरा नहीं होता है. सीने पर पुस्तक रखे सोते आदमी को देखें तो बहुत अच्छा लगता है. जब नींद नहीं आती तो पुस्तकें अच्छी नींद लाने का काम करती हैं.

पुस्तकें पढ़ कर इतिहास और संस्कृति से तो लोग अवगत होते ही हैं, साथ ही पुस्तकों से भविष्य की रूपरेखा को भी समझने में मदद मिलती है. समय के साथ खुद को हर हाल में आगे बढ़ाने का काम पुस्तकें करती हैं. पुस्तकों की खूबी होती है कि यह खुशी और गम दोनो में साथ निभाने का काम करती हैं. देशदुनिया की जानकारी पुस्तकों के जरिए घर बैठे ही ली जा सकती है. पुस्तकों से शब्दावली बेहतर होती है. पुस्तकों को पढ़ने के दौरान एक ही शब्द के अलगअलग अर्थ पता चलते हैं. इस का लाभ लेखन के दौरान होता है. पुस्तकों से सही और गलत के बीच भेद करने और स्वयं के विचारों को मजबूत करने में मदद मिलती है.

‘लाइफ स्टाइल‘ को बेहतर बनाती हैं पुस्तकें:

अच्छी नींद न आना तमाम तरह की ऐसी बीमारियों को कम करने का काम करती है, जो लाइफ स्टाइल से जुड़ी होती है. तनाव, डायबटीज, ब्लडप्रेशर इन में से कुछ प्रमुख बीमारियां हैं. पुस्तकें जहां अच्छी नींद में सहायक होती हैं, वहीं सोते समय इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करने से नींद गायब हो जाती है. ऐसे में अगर सोते समय पुस्तकें पढी जाएं, तो न केवल अच्छी नींद आती है, बल्कि दिमाग को राहत मिलती है. कुछ अच्छा पढ़ कर सोने से हमारी सोच का स्तर भी बेहतर होता जाता है.

पुस्तकें पढ़ने से याददाश्त बढ़ती है. इस से तरहतरह की कल्पना करने और सोचनेविचारने की क्षमता भी तेज होती है. लगातार पुस्तकें पढ़ने से इन की आदत पड़ जाती है. दिनभर का थोड़ा सा समय पुस्तकों को देने से रोजमर्रा की परेशानियों से हट कर कुछ नया पढ़नेसीखने का मौका मिलता है.

पुस्तकों के पढ़ने से मिलने वाली जानकारियों से अपने अंदर की कमियों को सुधारने का मौका मिलता है. पुस्तकें या पुस्तकों में प्रकाशित सामग्री को लिखने वाले विषयों के जानकार लोग होते हैं. ऐसे में इन का लिखा पढ़ने और उस को अमल में लाने से लाइफ स्टाइल को बेहतर बनाने का मौका मिलता है. कई बार हम खुद तमाम गलत आदतों के शिकार होते हैं. पुस्तकों के पढ़ने से अपने बारे में तमाम कमियों को दूर करने का मौका मिलता है. पुस्तकें हमारी कमियों को बताती हैं, पर किसी दूसरे की तरह हमारी आलोचना नहीं करती हैं. पुस्तकें पढ़ कर बिना अपनी आलोचना सुने हम खुद में सुधार ला सकते हैं. पुस्तकों को साथी बनाने के तमाम लाभ हैं. इन को एक जगह लिखना भी कठिन काम है.

बौक्स:

दुनियाभर में पुस्तकों के महत्व पर समयसमय पर लोगों की राय आती रही है. ऐसे विचार कि पुस्तकों को साथी बनाएं, सुकून पाएं का समर्थन करते हैं.

* किताबें जलाने से भी बदतर अपराध हैं, किताबों को नहीं पढ़ना. – जोसेफ ब्रोडस्की

* पुस्तकें सब से शांत और सदाबहार दोस्त हैं. ये सब से सुलभ और बुद्धिमान काउंसलर हैं, और सब से धैर्यवान शिक्षक हैं. – चार्ल्स विलियम एलियट

* पुस्तकें मेरी दोस्त हैं, मेरी जीवनसाथी हैं. ये मुझे हंसाती हैं, रुलाती हैं और जीवन का अर्थ बताती हैं. – क्रिस्टोफर पाओलिनी

* किताबें, सब से सस्ती छुट्टियां हैं, जिसे आप खरीद सकते हैं. – चार्लिन हैरिस

* अगर कोई बारबार किताब पढ़ने का आनंद नहीं ले सकता है, तो उसे पढ़ने का कोई फायदा नहीं है. – औस्कर वाइल्ड

* किताब एक ऐसा उपहार है, जिसे आप बारबार खोल सकते हैं. – गैरीसन केलर

* पुस्तकें वह विरासत हैं, जो मानव जाति के लिए एक महान प्रतिभा छोड़ती हैं, जो पीढ़ी से पीढ़ी तक उन लोगों तक पहुंचाई जाती हैं, जो अभी तक जनमे नहीं हैं. – जोसेफ एडिसन

* बिना किताबों वाला कमरा, आत्मा के बिना शरीर के समान है. – मार्क्स ट्यूलियस सिसेरो

* एक अच्छी किताब सब से अच्छी दोस्त होती है, आज के लिए और हमेशा के लिए. – मार्टिन टुपर

* किताबें एकांत में हमारा साथ देती हैं और हमें खुद पर बोझ बनने से बचाती हैं. – जेरेमी कोलियर

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