देश का ऐसा कोई शहर नहीं है जहां ड्रग्स का कारोबार फलफूल न रहा हो. भोपाल के चर्चित छापे के ठीक एक हफ्ते पहले दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल ने एक इंटरनैशनल कार्टेल का भांडाफोड़ करते कोई 5 हजार करोड़ कीमत की कोकेन पकड़ी थी. इस मामले के तार दुबई से जुड़े थे जो एक सुरक्षित ड्रग मार्केट है. इस गिरोह के सरगनाओं में से एक दिल्ली के वसंतकुंज में रहने वाला तुषार गोयल नाम का शख्स है जिस के पिता दिल्ली के बड़े पब्लिशरों में से एक हैं. एक दूसरा आरोपी हिमांशु कुमार हिन्द विहार प्रेम नगर किरारी का निवासी है. वैस्टर्न मुंबई का रहने वाला भरत कुमार जैन तीसरा आरोपी है.
अंदाजा है कि ये सब तो मोहरे हैं इन का असल बौस कोई और है और बिलकुल फिल्मों की तरह छिपा हुआ है और जिसे कोई नहीं जानता. खासतौर से वे फुट कर विक्रेता तो कतई नहीं जो ड्रग कारोबार की रीढ़ होते हैं. यही हाल भोपाल के आरोपियों का है. जिन में सन्याल बाने महाराष्ट्र का रहने वाला है. साल 2017 में वह एक किलो ड्रग्स के साथ पकड़ा गया था तब अदालत से उसे 5 साल की सजा हुई थी. छूटने के बाद वह दूसरे आरोपी अमित चतुर्वेदी के सम्पर्क में आया जिस के पिता पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर हैं. कुछ ही दिनों में लोग आते गए और कारवां बढ़ता गया की तर्ज पर इन से हरीश आंजना और एस के सिंह भी जुड़ गए. फिर यह स्क्रिप्ट लिखी गई कि इस धंधे को किसी ऐसी जगह से औपरेट किया जाए जिस पर किसी को शक न हो. इसलिए इन्होने बंद पड़ी एक फैक्ट्री को किराए पर लिया और ड्रग्स बनाना शुरू कर दिया. माना यह जा रहा है कि इन का बौस भी कोई और है जो कहीं बहुत दूर से गिरोह चला रहा था.
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