मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में 15 मई को बुढ़ार ब्लौक के कोटा गांव के लक्ष्मण सिंह  अपनी 13 साल की बेटी माधुरी की तबीयत बिगड़ने पर इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर आए थे जहां उसकी मौत हो गई.अस्पताल में बेटी की मौत होने पर एक पिता को अपनी बाइक में रखकर बेटी का शव घर ले जाना पड़ाक्योंकि अस्पताल प्रशासन ने उसे शववाहन देने से मना कर दिया था.

मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलने वाला यह इकलौता मामला नहीं है. आज भी गांवकसबों के अस्पताल बिना डाक्टर के चल रहे हैं. यही वजह है कि लोग इलाज न करा कर पूजापाठ और झाड़फूंक करवाने को मजबूर हो रहे हैं.

2023 के फरवरी महीने की बात करें तो मध्य प्रदेश के एक गांव में बीते 7 महीने से गांव के लोग अंधेरे में रहने को मजबूर थे. बिजली नहीं होने से गांव वालों को जो परेशानी हुई उस  परेशानी का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. उसी समय बच्चों की परीक्षा का दौर चल रहा था और उनको चिरागतले पढ़ना पड़ रहा था. बिजली नहीं होने से किसानों की फसल सूख रही थी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कर्मक्षेत्र विदिशा विधानसभा क्षेत्र के तहत कोठीचार खुर्द का गांव 7 महीने अंधेरे में डूबा रहा और मुखिया मंदिरों में भजन गाते रहे.

डिंडोरी जिले के करंजिया ब्लौक के सैलवार ग्राम पंचायत के बच टोला गांव का सरकारी प्राइमरी स्कूल इतना जर्जर हो चुका है कि छत पर प्लास्टिक पन्नी बांधकर 48 बच्चों को उसी भवन में बैठा कर शिक्षक पढ़ा रहे हैं. सरकार सर्व शिक्षा अभियान पर करोड़ों रुपए हर साल खर्च कर रही है जबकि सैकड़ों स्कूल जर्जर हालत में हैं.

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