शिकागो में संपन्न हुए विश्व हिंदू सम्मेलन में वही परंपरागत बातें हुईं जो हिंदू धर्म के उद्भव से होती रही हैं कि हिंदू धर्म में बड़ी फूट है, इसे विश्व कल्याण के लिए एकता के सूत्र में पिरोया जाना जरूरी है. यह किसी ने नहीं कहा कि हजारों जातियों में बंटे हिंदुओं की भीड़ में असली हिंदू कौन है और हिंदू को हिंदू होने के सर्टिफिकेट बांटने के अधिकार किसे और क्यों हैं और उस के मानक क्या हैं.

इन अनुत्तरित सवालों से बचते समारोह के मुखिया गुना मगेसन ने प्रतिनिधियों को परंपरागत भारतीय व्यंजन लड्डू के 2 पैकेट दिए. एक में नरम लड्डू थे तो दूसरे पैकेट में सख्त लड्डू थे. कहा यह गया कि नरम लड्डू आज हिंदुओं की स्थिति दिखाता है, उन्हें आसानी से बांटा और निगला जा सकता है जबकि हिंदू समाज को सख्त लड्डू की तरह होना चाहिए जो मजबूती से बंधा है.

चौकलेट के इस युग में गांवदेहातों के हलवाइयों के यहां आज भी बासी सख्त लड्डू ही मिलते हैं जिन का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर हथियार की तरह भी किया जा सकता है. यह सख्त लड्डू जिस के सिर पर पड़ जाए उस का मरना नहीं तो मूर्च्छित होना तो तय रहता है. इस लिहाज से प्रतीकात्मक तौर पर दिया उदाहरण गलत तो नहीं था.

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