सरकारी लापरवाही से पिछले 10 वर्षों में सरकारी गोदामों में रखा 7.80 लाख कुंतल अनाज सड़ गया. देश में प्रति व्यक्ति अनाज की खपत हर दिन करीब 500 ग्राम है. इस लिहाज से रोजाना औसतन करीब 43 हजार लोगों के हिस्से का अनाज बर्बाद हो रहा है. हालांकि मनमोहन सरकार के मुकाबले मोदी सरकार में 1.04 लाख कुंतल अनाज सड़ने से बचा लिया गया. फिर भी आंकड़े डराने वाले हैं. यह खुलासा एक निजी अखबार को आरटीआई से मिले जवाब में हुआ है.
आंकड़ों के अनुसार, मनमोहन सरकार के पांच साल में 4.42 लाख कुंतल अनाज खराब हुआ. जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में 3.38 लाख कुंतल अनाज सड़ गया. खाद्य विशेषज्ञों का कहना हैकि अनाज के सड़ने की एक मात्र वजह इसका बारिश में भीगना है.
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देश में हर दिन करीब 20 करोड़ लोग भूखे रह जाते हैं या अल्प भोजन पर निर्भर हैं. इतना ही नहीं, 821 बच्चे प्रतिदिन पर्याप्त खाना नहीं मिलने के कारण दम तोड़ देते हैं.
खाद्य एवं उपभोक्ता रामविलास पासवान के अनुसार चार साल में खाद्यान्न खराब होने के मामलों में कमी आई है. कई ठोस कदम उठाए गए हैं. कोशिश है कि अनाज का एक भी दाना खराब न हो.
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