देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है. इस की वजह से लॉकडाउन की घोषणा के बाद लगातार देश की आर्थिक स्थिति में दिनोदिन गिरावट दर्ज की जा रही थी. ऐसे में किसानों व मजदूरों को ले कर सरकार समयसमय पर अपनी चिंता जाहिर करती रही साथ ही उन के लिए छूट की घोषणाएं भी की गई. लेकिन कोरोना महामारी के बीच एक और आफत ने देश में कदम रख चुका है.
टिड्डियों का हमला
हालांकि यह कोई महामारी नहीं बल्कि रेगिस्तानी टिड्डियों का हमला है. राजस्थान के जयपुर में टिड्डियों का हमला देखने को मिला. टिड्डियों के आतंक से राजस्थान के लगभग 16 जिले प्रभावित हुए हैं. राज्य कृषि विभाग की मानें तो टिड्डियों ने राज्य में 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल को प्रभावित किया है. पिछले साल भी टिड्डियों ने ऐसा ही हमला किया था. तब करीब 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई गई फसलों को टिड्डियों ने बरबाद कर दिया था.
टिड्डियों का आतंक इस साल भी कृषि विभाग के लिए चिंता का सबब बन चुका है. कृषि विभाग की मानें तो टिड्डियों का झुंड भोजन की तलाश में गर्मी से बचने के लिए राज्य के दक्षिण और पूर्व दिशा की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं.
टिड्डियों के आतंक को ले कर अधिकारियों का कहना है कि हालांकि पहले टिड्डियों का ब्रीडिंग सेंटर अफ्रीकन देश हुआ करते थे. वहां से इन्हें भारत आने में काफी वक्त लगता था लेकिन पिछले साल इन्होंने अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमा पर अपना ब्रीडिंग सेंटर बनाया. इस बाबत पाकिस्तान सरकार ने इन टिड्डियों पर नियंत्रण पाने को लेकर किसी तरह का प्रयास नहीं किया. इस कारण लगातार पिछले ही साल से टिड्डियों के इस तरह के हमले देखने को मिल रहे हैं.
क्या हैं टिड्डियां
अगर रेगिस्तानी टिड्डियों की बात करें तो इनका प्रभाव सीधे तौर पर किसानी व फसलों से जुड़े कामों पर देखने को मिलता है. ये फसलों को नष्ट करने के लिए जाने जाते है. देश के कई हिस्सों में हमें टिड्डी देखने को मिलते हैं या कई बार इनके झुंड देखने को मिलते हैं, लेकिन रेगिस्तानी टिड्डी इन अन्य भागों में दिखने वाले टिड्डियों से थोड़ा अलग होते हैं या यूं कहें कि ये टिड्डियों की एक अलग प्रजाति है. आम टिड्डियों के मुकाबले रेगिस्तानी टिड्डे फसलों को कहीं ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं.
रेगिस्तानी टिड्डे : नुकसानदायक
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कई देशों में टिड्डों के आतंक को टिड्डे प्लेग का भी नाम दिया गया है. इस को किसानी से जुड़े मामलों में प्लेग की संज्ञा दी गई है. जब टिड्डियों का विशाल झुंड महाद्वीपों में फैल जाता है तो इसे प्लेग का नाम दे दिया जाता है. AFO के अनुसार टिड्डों का प्लेग दरअसल इन की प्रजाति के सब से विनाशकारी टिड्डों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ये आसानी से धरती के 20 प्रतिशत भूभाग को प्रभावित करने में सक्ष्म होते हैं. इस कारण रेगिस्तानी टिड्डों को हल्के में लेना खाद्य सुरक्षा के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.
टिड्डियों का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
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रेगिस्तानी टिड्डे वैसे तो शुष्क व अर्धशुष्क रेगिस्तानी क्षेत्रों में तक ही सीमित होते हैं, लेकिन अगर हमले या ब्रीडिंग के दौरान ये लगभग 30-60 देशों में भी जा सकते हैं. इस दौरान वे फसलों व खाद्य सुरक्षा के लिए चिंता का मुख्य कारण बन जाते हैं, क्योंकि ये अपने वजन के बराबर प्रतिदिन भोजन कर सकते हैं. इस का सीधा मतलब यह है कि 1 वर्ग किलोमीटर में उपजे खाद्य से 35 हजार लोगों की पूर्ति की जा सकती है लेकिन ये टिड्डे झुंड में 35 हजार लोगों के बराबर ही फसलों को खाने की क्षमता रखते हैं. इन कीड़ों पर समय पर कार्रवाई न करने पर यह फसलों व वनस्पति पर काफी प्रभाव डालते हैं. ऐसे में अगर फसलों और वनस्पतियों को नुकसान होगा तो जाहिर सी बात है कि देश में फसलों से जुड़े खाद्य पदार्थों पर महंगाई सहित भूखमरी जैसी स्थिति भी आ सकती है.