Indian Society: आज उस दोराहे पर खड़ा है जहां आस्था, पहचान और राजनीति आपस में गड्डमड्ड हो चुकी हैं. मुसलमान हों या हिंदू, सिख हों या जैन—हर कोई अपनेअपने धर्म के नाम पर सड़क पर है. सवाल यह है कि क्या यह आस्था का उफान है या फिर कट्टरता का विस्फोट? संविधान ने सब को धार्मिक स्वतंत्रता दी, मगर सेकुलर भारत में सेकुलर होना आज गाली क्यों बन गया है?

मुसलमान अपने धर्म को ले कर सड़कों पर हैं तो हिंदू भी अपनी आस्थाओं के नाम पर सड़कों पर तांडव कर रहे हैं. सेक्युलर देश में सेकुलर होना गाली बन गया है. आस्था अपनी जगह है. सभी को अपनी अपनी आस्था के साथ जीने का हक है. भारत का संविधान भी धार्मिक आजादी की बात करता है लेकिन धार्मिक आजादी के नाम पर देश भर में यह कैसा तमाशा चल रहा है?

4 सितंबर 2025 को उत्तर प्रदेश के कानपुर के रावतपुर इलाके में बारावफात (ईद-ए-मिलाद-उन-नबी) का जुलूस निकला. इस दौरान कुछ मुसलिम समुदाय के लोगों ने जुलूस मार्ग पर ‘आई लव मोहम्मद’ का बैनर लगाया. हिंदू संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि यह साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश है. पुलिस ने बैनर हटाने का आदेश दिया. विवाद बढ़ा तो 9 सितंबर को कानपुर पुलिस ने 5 नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की.

मुसलिम संगठनों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता (संविधान के अनुच्छेद 25) पर हमला बताया. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “आई लव मोहम्मद कहना कोई अपराध नहीं है." इस से शोशल मीडिया पर #आईलवमोहम्मद ट्रैंड करने लगा. इस विवाद में ओवैसी के कूदने के बाद बरेली, लखनऊ, उन्नाव, महाराजगंज, कौशांबी, मऊ में रैलियां निकली. बरेली में मौलाना तौकीर रजा के आह्वान पर जुमे की नमाज के बाद पथराव हुआ, पुलिस ने लाठीचार्ज किया. 12 लोग गिरफ्तार, 21 एफआईआर और 1,324 मुसलिमों पर मुकदमे हुए. कश्मीर, तेलंगाना, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और कर्नाटक में पथराव हुए जिस से देश भर में सांप्रदायिक तनाव और बढ़ा. शोशल मीडिया पर लाखों पोस्ट्स में लोग प्रोफाइल पिक्चर बदल कर ‘आई लव मोहम्मद’ शेयर करने लगे.

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