एक ऐसा शख्स जो कल तक किंग साइज लाइफस्टाइल का प्रमोटर था,जो अपने हजारों कर्मचारियों और निवेशकों के साथ पार्टियां करता था,नाचता गाता था और तथाकथित चीनी अर्थव्यवस्था व बिजनेस मॉडल का पोस्टर ब्वाय था.वह अचानक से एकांतप्रेमी हो गया है.क्या यह सब कुछ स्वाभाविक है या इसके पीछे चीन की वैचारिक क्रूरता का वही पुराना काला चेहरा है,जो पहले भी कई लोगों के साथ ऐसा ही खेल खेलता रहा है.

पिछले एक दशक से दिन दूनी रात चौगुनी रफ़्तार से चमकती चीनी कंपनी अली बाबा और उसके संस्थापक जैक मा पर पिछले साल 24 अक्टूबर 2020 को तब गाज गिरी जब वह शंघाई में अपनी एक और कंपनी एंट ग्रुप का आईपीओ [इनिशियल पब्लिक ओफरिंग ] लाने के पहले शेयर बाजार के अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहे थे.इस मीटिंग के दौरान जैक मा ने चीन की सरकारी बैंकों और वित्तीय नियामकों की कड़ी आलोचना करते हुए न केवल इन्हें ब्याजखोर कहा बल्कि बीबीसी के मुताबिक़ तो जैक मा ने व्यंग्यात्मक लहजे में यह भी कहा, ‘चीन के बैंक "प्य़ादे जैसी सोच के साथ" काम करते हैं.सरकारी अधिकारी रेलवे स्टेशन को चलाने के तरीकों से एयरपोर्ट चलाते हैं.’ जैक की इस टिप्पणी ने न केवल बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े चीनी अफसरशाहों को नाराज़ किया बल्कि माना जाता है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भी उनकी इस टिप्पणी ने ध्यान खींचा.

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इस कारण चीन की सत्ता्रूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी जैक मा पर भड़क उठी.जैक की इस आलोचना को चीन के वित्तीय संस्थानों की आलोचना न मानकर कम्युनिस्ट पार्टी की आलोचना समझा गया.इसके बाद से ही जैक मा के दुर्दिन शुरू हो गए.उनके समूचे बिजनेस साम्राज्य के विरुद्ध असाधारण प्रतिबंध लगाये जाने लगे.नवंबर 2020 में चीनी अधिकारियों ने जैक मा को जोरदार झटका देते हुए उनके एंट ग्रुप के प्रस्तावित 37 अरब डॉलर के आईपीओ को निलंबित कर दिया.वास्तव में इसी आईपीओ के लांचिंग की तैयारी के सिलसिले में वह चीन के बैंकिंग व वित्तीय अधिकारियों के साथ वह मीटिंग कर रहे थे,जिसमें उन्होंने चीन के सरकारी बैंकों और नियामक संस्थाओं की आलोचना की थी.

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