कोरोना काल में जब सभी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, किसी की नौकरी चली गयी है, किसी का व्यवसाय ठप्प हो गया है तो कहीं घर का कमाऊ व्यक्ति  ही कोरोना की भेंट चढ़ गया है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई और खर्चे को लेकर अधिकाँश माता पिता गहरे तनाव से गुज़र रहे हैं.

अर्जुन दिल्ली के स्प्रिंगडेल्स स्कूल में तीसरी का छात्र है. उसकी दो साल से ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है. वह कभी क्लास करता है तो कभी माँ से नज़र बचा कर मोबाइल पर गेम्स खेलता रहता है. उसके ज्ञान में क्या वृद्धि हो रही है, शारीरिक और मानसिक विकास समुचित हो रहा है या नहीं, यह जानने में ना तो स्कूल के टीचर्स की दिलचस्पी है और ना माता पिता को इतनी समझ है कि कैसे पता करें. वो तो बस हर महीने स्कूल की फीस भरने में ही पस्त हुए जा रहे हैं. महीने की 15 तारीख बीतते ही अर्जुन की क्लास टीचर का फ़ोन आना शुरू हो जाता है कि आपने फीस नहीं जमा की.

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अर्जुन की माँ इसी बात का रोना रोती रहती है, कि पढ़ाई तो कुछ हो नहीं रही है, बस स्कूल वाले फीस लिए जा रहे हैं. ये कहानी करीब करीब हर उस घर की है जहाँ बच्चे पढ़ रहे हैं. अब दिल्ली सरकार के एक फैसले से इन परिवारों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. दिल्ली के मुख्यमंत्री  अरविंद केजरीवाल सरकार ने सभी प्राइवेट स्कूलों को आदेश दिया है कि उन्हें अपनी फीस में 15% की कटौती करनी होगी. ये आदेश पिछले साल के शैक्षणिक सत्र यानी 2020-2021 के लिए लागू होगा. सरकार ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि अगर स्कूलों ने पैरेंट्स से ज्यादा फीस ली है, तो उन्हें पैसे लौटाने होंगे या फिर आने वाले साल में एडजस्ट करना होगा. दिल्ली के 460 प्राइवेट स्कूलों की फीस में 15 फीसदी कटौती का आदेश कोरोना काल में आर्थिक तंगी झेल रहे अभिभावकों को राहत पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि कोरोना काल में जब सभी पेरेंट्स आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, इस दौरान फीस में 15% की कटौती उनके लिए बड़ी राहत होगी. स्कूल मैनेजमेंट पेरेंट्स की आर्थिक तंगी के कारण बकाया फीस का भुगतान न करने के आधार पर स्कूल की किसी भी गतिविधि में छात्रों को भाग लेने से नहीं रोकेगा.

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दरअसल, दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने एक आदेश जारी कर दिल्ली के निजी स्कूलों को पैरेंट्स से वार्षिक और विकास शुल्क वसूलने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद ये मामला हाई कोर्ट चला गया था. दिल्ली सरकार के आदेश के खिलाफ प्राइवेट स्कूल कोर्ट चले गए थे, कि यदि हम पूरी फीस नहीं लेंगे तो स्कूल के रखरखाव और टीचर्स की तनख्वाह कहाँ से देंगे. हाई कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को 2020-2021 में वार्षिक और विकास शुल्क वसूलने की छूट तो दे दी लेकिन साथ ही ये भी कहा कि उन्हें अपनी फीस में 15% की कटौती भी करनी होगी.

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उदाहरण के लिए, यदि वित्त वर्ष 2020-21 में स्कूल की मासिक फीस 3000 रुपये रही है तो स्कूल उसमें 15℅ की कटौती करने के बाद अभिभावकों से केवल 2550 रुपये ही चार्ज करेंगे.  स्कूलों को ये निर्देश दिया गया है कि यदि स्कूलों ने अभिभावकों से इससे ज्यादा फीस ली है तो स्कूलों को वो फीस लौटाना होगा या आगे के फीस में एडजस्ट करना होगा.

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