छह मार्च को दिल्ली बॉर्डर पर तीन नए कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग को लेकर धरने पर किसानों के बैठने के सौ दिन पूरे हो जाएंगे. कड़कड़ाती सर्दी, बारिश और अब तेज़ धूप व गर्मी की मार, लेकिन अपने घरबार छोड़ के परिवार सहित सीमा पर डटें किसानों का मनोबल अब भी ऊंचा है. उम्मीद है कि लड़ाई जीत कर ही घर वापसी करेंगे. मोदी सरकार के ढीठपन से आखिरी दम तक लड़ेंगे और अपनी मांगे मनवा कर ही मानेंगे.
सिंधु बॉर्डर पर बीते कुछ दिनों से काफी गहमागहमी है. किसान यूनियनों के बीच सरकार को घेरने की नयी रणनीतियों पर विचार विमर्श जारी है. दिल्ली की सीमा पर बैठने के सौ दिन पूरे होने पर किसान नेताओं द्वारा छह मार्च से सरकार पर दबाव बनाने के लिए कई नए कार्यक्रमों की घोषणा हो गयी है. संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि 6 मार्च को दिल्ली व दिल्ली बोर्डर्स के विभिन्न विरोध स्थलों को जोड़ने वाले केएमपी एक्सप्रेसवे पर 5 घंटे की नाकाबंदी की जाएगी. सुबह 11 से शाम 4 बजे के बीच जाम किया जाएगा और ट्रैफिक की आवाजाही पूरी तरह ठप्प कर दी जाएगी. यहां टोल प्लाजा को टोल फीस जमा करने से भी मुक्त कर दिया जाएगा.
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इसी के साथ पूरे भारत में, आंदोलन को समर्थन के लिए, और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए, घरों और कार्यालयों पर काले झंडे लहराए जाएंगे. संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारियों को उस दिन काली पट्टी बांधने का आह्वान भी किया है.
8 मार्च को महिला दिवस के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा महिला किसान दिवस मनाएगा. इस दिन हरियाणा-पंजाब-उत्तर प्रदेश के गाँव से महिला किसानों का जमावड़ा दिल्ली की सीमा पर लगेगा. सभी सयुंक्त किसान मोर्चे के धरना स्थल 8 मार्च को महिलाओ द्वारा संचालित होंगे. इस दिन महिलाएं ही मंच प्रबंधन करेंगी और वही वक्ता होंगी. संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख योगेंद्र यादव का कहना है कि 8 मार्च को महिला संगठनों और अन्य लोगों को भी हम बॉर्डर पर आमंत्रित करेंगे. यही नहीं हम चाहेंगे कि वे किसान आंदोलन के समर्थन में इस तरह के कार्यक्रम करें और देश में महिला किसानों के योगदान को उजागर करें.
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केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर 15 मार्च 2021 को ‘निजीकरण विरोधी दिवस’ का समर्थन करते हुए सयुंक्त किसान मोर्चा द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे. संयुक्त किसान मोर्चा इस दिन को ‘कॉरपोरेट विरोधी’ दिवस के रूप में देखते हुए ट्रेड यूनियनों के इस आह्वान का समर्थन करेगा, और एकजुट होकर निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन होगा.
किसान नेताओं ने अब पूरे देश में भाजपा के खिलाफ प्रचार की मुहिम छेड़ने का मन बना लिया है. आने वाले चंद महीनो में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. किसानों का मुद्दा आज पूरे देश में गर्म है. मोदीनीत भाजपा सरकार का किसानों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैय्या पूरी दुनिया देख रही है. किसान आंदोलन को विदेशों से समर्थन मिल रहा है. विदेशी अखबार किसानो के मुद्दे पर भारत सरकार की भर्त्सना कर रहे हैं. ऐसे में अब आंदोलन को और मुखर रूप देते हुए किसान नेताओं ने पूरे देश में घूम घूम कर भाजपा के खिलाफ प्रचार करने का मन बना लिया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हाल ही में होने हैं, उन राज्यों में किसान नेता भारतीय जनता पार्टी की किसान-विरोधी, गरीब-विरोधी नीतियों को दंडित करने के लिए जनता से अपील करेंगे. भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी उन सभी राज्यों का दौरा करेंगे और विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये जनता से भाजपा को वोट ना देने का आह्वान करेंगे. बंगाल में 12 मार्च को किसानों की विशाल रैली होगी. बंगाल समेत उन सभी राज्यों में संयुक्त किसान मोर्चा भाजपा का विरोध करेगा जहां कुछ की समय बाद चुनाव होने हैं.
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पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों ने भाजपा नेताओ का बॉयकॉट किया. किसान नेताओं ने कहा – हम सरकार को चेतावनी देते है कि अगर सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती है और एमएसपी पर कानून नहीं बनाती है तो भाजपा नेताओ का देशभर में बॉयकॉट किया जाएगा.
इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी किसानों की रणनीति बन चुकी है. संयुक्त किसान मोर्चा के डॉ. दर्शन पाल के मुताबिक किसान पूरे भारत में ‘एमएससपी दिलाओ’ अभियान शुरू करेंगे. इस अभियान के तहत विभिन्न बाजारों में किसानों की फसलों की कीमत की वास्तविकता को दिखाया जाएगा, जो मोदी सरकार व एमएसपी के झूठे दावों और वादों को उजागर करेगा. बाज़ार में उपलब्ध उत्पादों के रेट और किसान से प्राप्त उत्पादों के रेट का तुलनात्मक वीडियो बनाये जाएंगे. बड़े व्यवसायी अनाज, सब्ज़ी, फल, मसाले, दालें, तिलहन आदि कितनी कम कीमतों पर किसान से खरीदते हैं और कितने ऊंचे दामों पर जनता की रसोई तक पहुंचाते हैं इसका कच्चाचिट्ठा खोलने के लिए हज़ारों वीडियो तैयार होंगे और सोशल मीडिया पर वायरल किये जायेगे. यह अभियान दक्षिण भारतीय राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से शुरू किया जाएगा और फिर पूरे देश में किसानों को इस अभियान में शामिल किया जाएगा.
गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्र सेवा दल संगठन ने तीन कृषि कानून रद्द करने की मांग को लेकर पूरे महाराष्ट्र में हस्ताक्षर अभियान चलाया था. इसमें अब तक 6 लाख 75 हजार लोगो ने इन कानूनों को रद्द करने के लिए अपने हस्ताक्षर दिए हैं. इस पत्र को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को सौंपा जा चुका है. अब आगामी 15 मार्च को हसन खान मेवाती की शहादत दिवस पर संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में झिरका में बड़ी किसान पंचायत के आयोजन की तैयारी है जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के नेता शामिल होंगे ओर मेवात की कई बड़ी शख्सियतें शिरकत करेंगी.
गौरतलब है कि किसान संगठन अब केंद्र सराकर के खिलाफ एक बार फिर अपना आंदोलन तेज कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा किसानों को संगठित करने की कोशिश कर रहा है. हाल ही में मोर्चा ने गुरु रविदास जयंती और शहीद चंद्रशेखर आजाद के शहीदी दिवस पर ‘मजदूर किसान एकता’ दिवस भी मनाया था. इस दौरान नगर कीर्तन भी निकाला गया था. संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर दिल्ली की सभी सीमाओं पर मजदूर व मजदूर संगठनों ने इस आयोजन में भागीदारी की थी. देशभर के अनेक मजदूर संगठनों ने किसानों के संघर्ष को जरूरी ठहराते हुए इसे अपना समर्थन दिया था. मजदूर संगठनों ने एक सयुंक्त बयान जारी कर किसानों के संघर्ष की हिमायत की है और मजदूर किसान एकता दिवस को समर्थन दिया है.