राजस्थान के पाली शहर में शिवरात्रि के मौके पर उमड़ी भीड़ का फायदा उठा कर जेबकतरों ने कितनों की ही जेबें काट डालीं. उधर सोमनाथ मंदिर में 2 युवकों ने तो हल्ला मचाया और पुलिस पहुंची भी लेकिन कुछ पता न चला. इस छोटे से शहर में शोभायात्रा, कलश यात्राओं और दर्शन के लिए उमड़ी औरतों के सोने के गहनों की उठाईगीरी में लगी औरतें भक्त बन कर घुसतीं और फिर महंगी गाडि़यों में उड़नछू हो जातीं. पकड़े गए एक गैंग ने 12 चोरियों में तो अपना हाथ होना मान लिया.

उज्जैन में महाकाल मंदिर में भी कम से कम 16 लोगों ने मोबाइल व पर्स चोरी होने की शिकायतें कीं. औरतें गहने पहन कर ही दर्शनों के लिए जाती हैं शायद इसलिए कि उन्हें आशा होती है कुछ ज्यादा ही मंदिर की कृपा से मिलेगा पर जो उन के पास होता है वह भी हाथ से निकल जाता है. पुलिस इक्केदुक्के को पकड़ तो लेती है पर किसी से भी कुछ बरामद नहीं होता क्योंकि जेबकतरे, चोर, छीनने वाले तुरंत चुराया सामान दूसरों को दे देते हैं.

उदयपुर के चित्तौड़ग़ढ़ इलाके में सांवलिया सेठ मंदिर के बैंक खाते से पैसे निकालने की साजिश का पता चला. मंदिर को हर महीने 6 से 8 करोड़ रुपयों का चढ़ावा मिलता है. अयोध्या के राम मंदिर के नाम पर लूटने के कई धंधे चल रहे हैं. राम मंदिर दर्शन टिकट, राम मंदिर फ्री प्रसाद, राम मंदिर रेलयात्रा टिकट, राम मंदिर बसयात्रा टिकट, राम मंदिर अयोध्या रुकने की जगह के इंतजाम के लिए बाकायदा क्यूआर कोड बना कर ऐसी वैबसाइटें मौजूद हैं जो बिलकुल आधिकारिक लगती हैं पर होती फेक हैं. इन में पैसा डालने के बाद एकदम चुप्पी छा जाती है और अंधभक्त, जो वैसे ही ठगे जाने के लिए तैयार होता है, मंदिर द्वारा नहीं, मंदिर के नाम पर बैठे लुटेरों के हाथों ठगा जाता है.

मध्य प्रदेश के सागर कैंट थाना में पंचशील पंप के पास जैन मंदिर से पूजा कर के लौट रही एक भक्त से 2 ठगों ने पहले पानी पिलाने को कहा, फिर ?ांसा दे कर गहने उतरवा लिए. ठगों की करतूतें आजकल ही नहीं, हमेशा से मंदिरों के अंधभक्तों पर हावी रही हैं. यह कमाल है अंधभक्ति और अंधविश्वास के प्रचार का जिस में मंत्री, संतरी और मीडिया सब लगे रहते हैं. लोगों को बारबार विश्वास दिलाया जाता है कि मंदिरों की शरण में जाओ, सब दर्ददुख दूर  हो जाएंगे. बदले में अमुक पार्टी को वोट दो और मंदिरों को चंदा दो. इस का फायदा जो चुनाव जीतते हैं वे उठाते हैं, जो मंदिर चलाते हैं वे उठाते हैं और जो ठगी करते हैं वे भी बहते चरणामृत को पी कर अमर हो रहे हैं.

यह इस अंधविश्वास के प्रचार का कमाल है जो चुनावी मंचों से हो रहा है कि लोग अपने घरों को तोड़ कर नींवों से सोना निकालने के चक्कर में भी आ जाते हैं, वास्तु के नाम पर घरों का खाका बदलने के लिए लाखों रुपए खर्च कर देते हैं. बेचारे बुजुर्ग अपने अंधविश्वास के कारण युवाओं को मंदिरों में ले जाने की जिद करते हैं और फिर वहां से चोट खा कर लौटते हैं. लगभग एक माह में हुई इन घटनाओं से अंधभक्त कोई सबक लेंगे, इस का भरोसा नहीं क्योंकि उन से तो बारबार यह कहा जा रहा है कि मंदिर ही देश का उत्थान करेगा, सो, वे भला क्यों तर्क वाली सच बात सुनने लगे.

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